________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 828 ) बोधक सर्वनाम बहुधा एकही वाक्य में प्रयक्त किये। सचमुच-अमङ्गलाशंसया वो बचनस्य यत्सत्यम् कंपितजाते है. यदेव रोचते यस्मै भवेत्तत्तस्य सुन्दरम् (ख) / मिव मे हृदयम्-वेणी० 1, मुद्रा० 1, मृच्छ० 4 / जब इस शब्द की आवृत्ति कर दी जाती है तो इसका यदा (अव्य०) [ यद्काले दाच ] 1. जब, उस समय जब अर्थ होता है 'समष्टि' तथा इस शब्द का अनुवाद कि, यदायदा जब कभी, यदैवतदैव उसी समय, ज्योंही, होता है 'जो कोई' 'जो कुछ'; इस अवस्था में सह- | यदाप्रभति...'तदाप्रति जब से लेकर..... 'तब से संबंधी सर्वनाम 'तद्' की भी आवृत्ति की जाती है-यो लेकर 2. यदि.- पत्रं नैव यदा करीरविटपे दोषो यः शस्त्रं बिति स्वभुजगुरुबल: पाण्डवीनां चमनाम / | वसन्तस्य किम्-भत० 2 / 93 3. जब कि, चूंकि, यतः / क्रोधान्धस्तस्य तस्य स्वयमिह जगतामन्तकस्यान्तकोऽहम यदि (अव्य०) [ यद्+णिच् ---इन्, णिलोपः ] 1. अगर, -वेणी० 3 / 30 (ग) जब 'यद' को किसी प्रश्न- जो (दशासूचक, और इस अर्थ में प्रायः विधिलिङ वाचक सर्वनाम या उससे व्युत्पन्न किसी और शब्द के के साथ प्रयोग, परन्तु कभी-कभी भविष्यत्काल अथवा साथ जोड़ दिया जाता है, साथ में निपात 'चिद् चन, वर्तमानकाल के साथ भी; प्रायः इसके पश्चात् 'तर्हि' वा या अपि' लगे हों या न लगे हों, तो इसका अर्थ और कभी कभी 'ततः तदा, तत् या अत्र का प्रयोग होता है 'कुछ भी' 'चाहे जो कोई' 'कोई'; येन केन किया जाता है। - प्राणस्तपोभिरथवाभिमतं मदीयः कृत्यं प्रकारेण जिस किसी प्रकार से, किसी न किसी प्रकार घटेत सुहृदो यदि तत्कृतं स्यात्-मा० 29, वदसि से; यत्र कुत्रापि, यो वा को वा, यः कश्चन आदि; यदि किचिदपि दन्तरुचिकौमदी हरति दरतिमिरमतियत्किचिदेतद् 'यह तो केवल तुच्छ बात है। यानि घोरम्-गीत० 10, यत्ले कृते यदि न सिध्यति कोऽत्र कानि च मित्राणि -आदि, (अव्य०) अव्यय के रूप (---कस्तहि) दोष:--हि० प्र० 35 2. चाहे, अगर में 'यद' नाना प्रकार से प्रयुक्त होता है 1. किसी .. वद प्रदोषे स्फुटचन्द्रतारका विभावरी यद्यरुणाय प्रत्यक्ष या आश्रित वाक्य को आरम्भ करने में अन्त कल्पते-कू० 5 / 44 3. बशर्ते कि, जब कि 4. यदि में चाहे 'इति' हो या न हो-सत्योऽयं जनप्रवादो कदाचित्, शायद-यदि तावदेवं त्रियतां 'शायद आप यत्संपत्संपदमनुबध्नातीति- का० ७३,-तस्य कदा- ऐसा कर सकें'- पूर्व स्पष्टं यदि किल भवेदङ्गमेभिस्तचिच्चिन्ता समुत्पन्ना यदर्थोत्पत्त्युपायाश्चिन्तनीयाः वेति --मेघ० 103, याज्ञ० 3 / 104, (यद्यपि) कर्तव्याश्च--पंच०१ 2. क्योंकि, चंकि---प्रियमाचरितं हालांकि, अगञ-शि० 1682, भग० 138, लते त्वया मे ........"यदियं पुनरप्यपाङ्गनेत्रा परि- श० 1131, यदि वा या,-- यद्वा जयेम यदि वा नो वृत्तार्धमुखी मयाद्य दृष्टा--विक्रम० 1117, या-कि जयेयु:-भग० 216, भर्तृ० 2183, या शायद, कदाशेषष्य भरव्यथा न वपुषि क्ष्मां न क्षिपत्येव यत् चित, भले ही, प्रायः, निजवाचक सर्वनाम से भी -मुद्रा० 2118, रघु० 1127, 87, इस अर्थ में आवश्यकतानुसार आशय अभिव्यक्त कर दिया जाता 'यद' के पश्चात् इसका सहसम्बन्धी तद् या ततः है - उत्तर० 1312, 415 / आता है। दे० नै० 22046 / सम०--- अपि / यदुः[ यज+उ पृषो० जस्य द: 1 एक प्राचीन राजा का (अव्य०) यद्यपि, अगञ---वत्रः पन्था यदपि भवतः नाम, ययाति और देवयानी का ज्येष्ठ पुत्र, यादवों --मेघ० २७,---अर्यम्,---अर्थे (अव्य०) 1. जिस का वंश प्रवर्तक / सम०-कुलोद्भवः,-नन्दनः,-श्रेष्ठः लिए, जिस कारण, जिस वास्ते, जिस हेतु, श्रूयतां / कृष्ण का विशेषण / यदर्थमस्सि हरिणा भवत्सकाशं प्रेषित:-श० 6, कु० / यदृच्छा / यद- ऋच्छ+अ+टाप] 1. मनपसन्द 5 / 52 2. चूंकि, क्योंकि-नूनं देवं न शक्यं हि | करना, स्वेच्छा, (कार्य करने की) स्वतंत्रता 2. संयोग, पुरुषेणातिवर्तितुम, यदर्थ यत्नवानेव न लभे विप्रता घटना, इस अर्थ में प्रायः करण एक ब० में प्रयोग विभो –महा०,- कारणम्,--- कारणात् (अन्य ) होता है और 'घटनावश', 'संयोगवश' शब्दों से अनु1. जिस लिए, जिस कारण 2. चूंकि, क्योंकि,-कृते वाद किया जाता है-किनरमिथनं यदच्छयाऽद्रा(अव्य) जिस लिए, जिस वास्ते, जिस पुरुष या क्षीत्-का०, 'देखने का संयोग हुआ', आदि---वसिवस्तु के लिए,-भविष्यः भाग्यवादी (जो कहता है ष्ठधेनुश्च यदृच्छयाऽऽगता श्रुतप्रभावा ददृशेष नन्दिनी -- 'जो होना है वह होगा') - पंच० १।३१८,-वा --रघु० 3142, विक्रम० 1110, कु० // 14 / सम० (अव्य०) अथवा, या,--नैतद्विद्मः कतरन्नो गरीयो -- अभिज्ञः ऐच्छिक अथवा स्वपुरस्कृत साक्षी, यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयु:- भग०२।६ (भाष्य- --संवादः 1. अकस्मात् वार्तालाप 2. स्वतःस्फूर्त कार बहुधा इस शब्द को विकल्पार्थ बतलाते समय अथवा संयोगवश मिलन, घटनावश मिलाप। प्रयुक्त करते है), वृत्तम् साहसिकता,--- सत्यम् / यदृच्छातस् (अव्य०) [ यदृच्छा-+-तसिल ] अकस्मात्, / अव्य०) निश्चय ही, सचाई तो यह है कि, सत्यत: / घटनावश, संयोग से। For Private and Personal Use Only