________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 832 ) यशरूपी ढोल,-शेष (वि.) जिसकी केवल ख्याति / होना-यातस्तवापि च विवेकः ---भामि० 1168, शेप हो, सिवाय कौति के जिसका और कुछ न बचा भाग्यक्रमेण हि धनानि भवन्ति यान्ति मच्छ० 1113 हो,-अर्थात् मृतव्यक्ति, तु. कीर्तिशेष, (षः) मृत्यु / 6. गुजर जाना, बीतना (समय का)---यौवनमनियशस्य (वि.) [यशसे हितं-यत् ] 1. सम्मान या कीर्ति वति यातं तु काव्य० 10 7. टिकना 8. होना, __ की ओर ले जाने वाला--मनु० 2152 2. विश्रुत, घटित होना 9. जाना, घटना, होना (प्रायः भावप्रसिद्ध, विख्यात / वाचक संज्ञा के कर्म के साथ) 10 उत्तरदायित्व यशस्विन् (वि०) | यशस्+विनि ] प्रसिद्ध, विख्यात, संभालना न त्वस्य सिद्धौ यास्यामि सर्गव्यापारविश्रुत / मात्मना -- कु० 2 / 54 11. मैथुनसबंध स्थापित यष्टिः,-ष्टी (स्त्री०) यज् + क्तिन, नि० न संप्रसारणम्] / करना 12. प्रार्थना करना, याचना करना 13. ढूंढना, 1. लकड़ी, लाठी 2. सोटा, गदका, गदा 3. खंभा, सतून, खोजना ('गम्' की भांति 'या' के अर्थ भी संयक्त स्तम्भ 4. अड्डा-जैसा कि 'वासयष्टि' में 5. वन्त, संज्ञा शब्द के अनुसार नाना प्रकार से बदलते रहते सहारा 6. झंड़े का डंडा जैसा कि ध्वजयष्टि' में है.----उदा० अग्रे या आगे आगे चलना, नेतृत्व करना, 7. डंठल, वन्त 8. शाखा, टहनी 'कदम्बयाष्टिः स्फूट- मार्ग दिखाना, अधो या डबना, अस्तं या छिपना, कोरकेव-उत्तर० 3.41, इसी प्रकार 'चूतयष्टि:-कू० अस्त होना क्षीण होना, उदयं या उदय होना नाशं या 6 / 2, सहकारयष्टि: आदि 9.डोरी, लड़ी, (जैसे मोतियों नष्ट होना, निद्रां या सो जाना पदं या पद प्राप्त को) हार,-विमुच्य सा हारमहायंनिश्चया विलोल- करना, पारं या पार जाना, स्वामी होना, पार कर यष्टिः प्रविलुप्तचन्दनम्- कू० 5 / 8, रघु० 13154 जाना, आगे बढ़ जाना, प्रकृति या फिर स्वाभाविक 10. कोई लता 11. कोई भी पतली या सुकुमार वस्तु अवस्था को प्राप्त करना, लघुता या हलका होना, ('शरीर' अर्थ को प्रकट करने वाले शब्दों के पश्चात् वशं या बस में होना, अधिकार में आना, वाच्यतां समास के अन्त में प्रयोग)-तं वीक्ष्य वेपथुमती सरसा या कलङ्कित या निन्दित होना, विपर्यासं या परिवर्तित नयष्टि: कु० 5 / 85, पसीने से तर सूकुमार अंगों होना, रूप बदलना, शिरसा महीं या भूमि पर सिर वाली। सन० - ग्रहः गदाधारी, लाठी रखने वाला झकाना आदि), प्रेर० . (यापयति-ते) 1. चलाना, ---निवासः मोर आदि पक्षियों के बैठने का अड्डा आगे बढ़ाना 2. हटाना, दूर हांकना-रघु० 9 / 31 -वृक्षेशया यष्टिनिवासभङ्गात्-रषु० 16 / 14 3. व्यय करना, (समय) बिताना-तावत्कोकिल 2. खड़े हुए डंडों पर स्थिर कबूतरों का घर या छतरी, विरसान्यापय दिवसान- भामि० 117, मेघ० 89 -प्राण (वि०) 1. निर्बल, शक्तिहीन 2. प्राणहीन / 1. सहारा देना, पालनपोपण करना, इच्छा० यष्टिक: [यष्टि-!-कन् टिटिहरी पक्षी / (यियासति) जाने की इच्छा करना, जाने को होना; यष्टिका [ यष्टिक ---टाप् ] 1. लाठी, डंडा, सोटा, गदका अति --, 1. पार जाना, अतिक्रमण करना, उल्लंघन 2. (एक लड़का) मोतियों का हार / करना 2. आगे बढ़ना,- अधि-, चले जाना, आग यष्टी दे० यष्टि। बढ़ना, बच निकलना कुतोऽधियास्यसि कर निहयष्ट्ट (पुं०) [ यज् +तृच ] पूजा करने वाला, यजमान / तस्तेन पत्रिभिः - भट्टि० 890, अनु--, 1. अनुसरण यस् (भ्वा० दिवा० पर० यसति, यस्यति, यस्त) प्रयास करना, पीछे जाना (आलं० से भी) अनुयास्यन्मुनिकरना, कोशिश करना, परिश्रम करना। प्रेर० (यास तनयां--- श० श२९, कु० 4 / 1, भट्टि० 177 यति-ते कष्ट देना, आ-1. प्रयास करना, कोशिश 2. नकल करना, वरावर करना--स किलानुययस्तस्य करना, चेष्टा करना - मुद्रा० 3.14 2. थका देना, राजानो रक्षितुर्यश:-रघु० 27, 9 / 6, शि० थक जाना—नायस्यसि तपस्यन्ती-भट्टि० 6 / 69, 1213 3. साथ चलना, अनुसम्-, क्रमशः चलना, 15 / 54, (प्रेर०) - कष्ट देना, सताना, पीड़ा देना अप-,चले जाना, विदा होना, वापिस होना, प्र--, प्रयास करना, कोशिश करना। अभि , पहुँचना, जाना, नजदीक होना-अभिययौ स या (अदा० पर० याति, यात) 1. जाना, हिलना-जुलना, हिमाचलमुच्छितम्---कि० 5 / 1, रघु० 9 / 27 चलना, आगे बढ़ना, ययौ तदीयामवलम्ब्य चालिम् | 2. प्रयाण करना, आक्रमण करना-रघु० 5 / 30 ---.-रघु० 3 / 25, अन्वग्ययौ मध्यमलोकपाल:-..-.२।१६ 3. संलग्न करना, आ-, 1. आना, पहुँचना, निकट 2. चढ़ाई करना, आक्रमण करना मनु० 7.183 होना 2. पहुँचना, प्राप्त करना, भुगतना, किसी भी 3. जाना, प्रयाण करना, कच करना / कर्म या संप्र० अवस्था में होना, क्षयं, तुलां, नाशम् आदि, उप--, के साथ अथवा 'प्रति' के साथ) 4. गुजर जाना, 1. पहँचना, निकट जाना--कि० 616 2. (किसी वापिस होना, बिदा होना 5. नष्ट होना, ओझल विशेष अवस्था को) प्राप्त होना-मृत्यु, तनुताम्, For Private and Personal Use Only