________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 856 ) कि उसकी अंगुलियों कुचल गईं। फलतः उसने शिव का साला (रानी का भाई) श्रुतं राष्ट्रियमुखाद् की एक हजार वर्ष तक इतने ऊँचे स्वर से स्तुति की। यावदगुलीयकदर्शनम् - श०६ / कि उसका नाम रावण पड़ गया, और उसे शिव ने रास् (भ्वा० आ० रासते) क्रंदन करना, चिल्लाना, किलउस पीड़ा से मुक्त कर दिया। परन्तु यद्यपि वह किलाना, शब्द करना, हह करना। इतना बलवान् और अजेय था, तो भी उसका अन्तिम | रासः [रास्+घञ] 1. होहल्ला, कोलाहल, शोरगुल दिन निकट आ गया। राम --जिन्होंने इस राक्षस का 2. शब्द, ध्वनि 3. एक प्रकार का नाच जिसका वध करने के लिए ही विष्णु का अवतार धारण अभ्यास, कृष्ण और गोपिकाएं करती थीं, विशेषतः किया था,- अपना निर्वासित जीवन जंगल में रहकर वृन्दावन की गोपियाँ--उत्सज्य रासे रसं गच्छन्तीम् बिता रहा था। एक दिन रावण ने उसकी पत्नी -वेणी० श२, रासे हरिमिह विहितविलासं स्मरति सीता का अपहरण किया और उससे अपनी पत्नी बन मनो मम कृत परिहासम् गीत० 2, 1 भी। सम. जाने का अनुरोध करने लगा-परन्तु उसने रावण - कोडा, मण्डलम् क्रीडामुलक नाच, कृष्ण और की प्रार्थना को ठुकराया और वह उसके यहाँ रहती वृन्दावन की गोपिकाओं का वर्तलाकार नाच / हुई भी पतिव्रता, सती साध्वी बनी रही। अन्त में ! रासकम् [रास+कन्] एक प्रकार का छोटा नाटक दे० राम ने अपनी वानरसेना की सहायता से लंका पर | सा० द. 548 / चढ़ाई की और रावण तथा उसकी सेना का काम रासभः [रासेः अभाच्] गधा, गर्दभ / तमाम किया। वह राम का उपयुक्त शत्रु था और राहित्यम् [रहित+व्या] बिना किसी वस्तु के रहना, इसीलिए यह कहावत प्रसिद्ध हुई-रामरावणयोर्युद्धम् अभाव, किसी वस्तु का न होना। रामरावणयोरिव)। राहः [रह+उण्] एक राक्षस का नाम, विप्रचित्त और रावणिः [ रावणस्यापत्यम्-इश ] 1. इन्द्रजित् का नाम, सिंहिका का पुत्र, इसीलिए कई बार यह सैहिकेय ---रावणिश्चाव्यथो योद्धमारब्ध च महींगत:-भट्रिक कहलाता है (जब समुद्रमंथन के परिणाम स्वरूप 15 / 78, 89 2. रावण का कोई पुत्र--भट्टि. समुद्र से निकला अमृत देवताओं को परोसा जाने लगा 15479,80 / तो राहु ने वेश बदलकर उनके साथ स्वयं भी अमृत राशिः [ अश्नुते व्याप्नोति-अश+इञ, धातोरुडागमश्च ] पीना चाहा / परन्तु सूर्य और चन्द्रमा को इस षड्यन्त्र 1. ढेर, अंबार, संग्रह, परिमाण, समुदाय धनराशिः , का पता लगा तो उन्होंने विष्णु को इस चालाकी का तोयराशिः, यशोराशि: आदि 2. अंक या संख्याएं जो ज्ञान कराया। फलतः विष्णु ने राहु का सिर काट अंकगणित की किसी विशेष प्रक्रिया के लिए प्रयुक्त डाला, परन्तु चूंकि थोड़ा सा अमृत वह चख चुका था, की जायें (जसे जोड़ना, गणा करना आदि) 3. ज्योति- तो उसका सिर अमर हो गया। परन्तु कहते हैं कि श्चक्र, बारह राशियाँ / सम०- अधिपः कुण्डली में पूर्णिमा या अमावस्या को वे दोनों चन्द्र औय सूर्य को किसी विशेष घर का स्वामी,-- चक्रम् तारामण्डल, अब भी सताते रहते है-तु० भर्त० 2134 / ज्योतिष बारह राशियाँ, त्रयम् पैराशिक गणित,--भागः में राहु भी केतु की भांति समझा जाता है, यह आठवाँ किसी राशि का भाग या अंश,-भोगः सूर्य, चन्द्रमा ग्रह है, या चन्द्रमा का आरोही शिरोबिन्दु है) 2. ग्रहण, आदि ग्रहों का राशिचक्र में से होकर मार्ग अर्थात् या ग्रस्त होने का क्षण। सम०--प्रसनम,-प्रासः, किसी ग्रह का किसी राशि पर रहने का काल / -वर्शनम्,--संस्पर्शः (चाँद या सूर्य का) ग्रहण, राष्ट्रम् [राज्+ष्ट्रन् ] 1. राज्य, देश, साम्राज्य-राष्ट्र -सूतकम् राहु का जन्म अर्थात् (चाँद या सूर्य का) दुर्गबलानि च--अमर०, मनु० 7.109, 1061 ग्रहण याज्ञ. 12146 तु० मनु० 4 / 110 / / 2. जिला, प्रदेश, देश, मण्डल जैसा कि 'महाराष्ट्र' में रिi ( तुदा० पर० रियति, रीण ) जाना, हिलना--मनु०७।३२ 3. अधिवासी, जनता, प्रजा--मनु० जुलना। ९।२५४,-ष्ट्र:-ष्ट्रम् कोई राष्ट्रीय या सार्वजनिक ii (ऋया० उभ०-दे० 'री')। संकट / रिक्त (भू० क० कृ०) [रिच्+क्त] 1. खाली किया गया, राष्ट्रिकः [राष्ट्र+ठक्] 1. किसी राज्य या देश का वासी साफ किया गया, रिताया गया 2. खाली, शून्य मनु० 10 // 61 2. किसी राज्य का शासक, 3. से रहित, वञ्चित, के बिना 4. खोखला किया गया राज्यपाल / (जैसे हाथ की अंजलि) 5. दरिद्र 6. विभक्त, वियुक्त राष्ट्रिय, राष्ट्रीय (वि.) राष्ट्र भव: घ] राज्य से सम्बन्ध (दे० रिच), -क्तम् 1. खाली स्थान, शून्यक नितिता रखने वाला,-- यः 1. राज्य का शासक, राजा | 2. जंगल, उजाड़, बियाबान / सम०--पाणि, -हस्त --जैसा कि 'राष्ट्रियश्याल: में,---मृच्छ० 9 2. राजा (वि.) खाली हाथ वाला, (फूल आदि के) उपहार For Private and Personal Use Only