________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 802 ) दांवपेंच, जालसाजी, झूठा आभास-बालमेनमेकेन / अनुसंधानकर्ता, परीक्षक 2. मीमांसादर्शनशास्त्र का मिषेणानीय----दश०, (उत्प्रेक्षा प्रकट करने के लिए अनुयायी। बहुधा 'छल' की भांति प्रयुक्त होता है)--स रोम- | मीमांसनम् अनुसंधान, परीक्षण, पूछताछ / कपौषमिषाज्जगत्कृता कृताश्च कि दूषणशून्यबिन्दवः मीमांसा गहन विचार, पूछताछ, परीक्षण, अनुसंधान,... रस-० 21, बदने विनिवेशिता भुजङ्गी पिशुनानां गङ्गाधरनाम्नीं करोति कुतुकेन काव्यमीमांसाम रस०, रसनामिषेण धात्रा--भामि० 11111 / इसी प्रकार दत्तक अलंकार' आदि 2. भारत के छ: मिष्ट (वि.) 1. मधुर 2. स्वादिष्ट, मजेदार–कि मिष्ट मख्य दर्शनशास्त्रों में से एक। (मल रूप से यह दो मन्नं खरसूकराणाम्, तु. व्हाई कास्ट पर्ल्स बिफोर भागों में विभक्त है, जैमिनि द्वारा प्रवर्तित पूर्वPITST(Why cast pearls before the मीमांसा, और बादरायण के नाम से विख्यात उत्तरswine ?) अर्थात् बन्दर क्या जाने अदरक का मीमांसा या ब्रह्ममीमांसा। परन्तु इन दोनों दर्शनों में स्वाद 3. तर किया हुआ, गीला किया हुआ,-ष्टम् समानता की कोई बात नहीं है। पूर्वमीमांसा तो मिष्टान्न, मिठाई। मुख्यतः वेद के कर्मकाण्डपरक मंत्रों की सही व्याख्या मिह (म्वा० पर० मेहति, मीढ) 1. मत्रोत्सर्ग करना तथा वेद के मूलपाठ के संदिग्ध अंशों का निर्णय करता 2. गीला करना, तर करना, छिड़कना 3. वीर्यपात है। उत्तर मीमांसा मख्यतः ब्रह्म अर्थात् परमात्मा करना। की स्थिति के विषय में विचार करता है। अत: मिहिका पाला, हिम। पूर्वमीमांसा को केवल 'मीमांसा' के नाम से तथा मिहिर 1. सूर्य-मयि तावन्मिहिरोऽपि निर्दयोऽभत्-भामि० उत्तरमीमांसा को 'वेदान्त' के नाम से पुकारते हैं। 2234, याते मय्यचिरानिदाघमिहिरज्वालाशतैः शष्क- उत्तरमीमांसा में जैमिनी के दर्शनशास्त्र की उत्तरार्धता ताम्-१४१६, नं० 2 / 36, 13054 2. बादल की कोई बात नहीं है, इसी लिए उसको अब एक 3. चन्द्रमा 4. हवा, वायु 5. बढ़ा आदमी / पृथक् दर्शन माना जाता है), मीमांसाकृतमन्ममाथ मिहिराणः शिव का विशेषण। " सहसा हस्ती मुनि जैमिनिम् -पंच० 2 / 33 / मी। (क्रया उभ० मीनाति मीनीते, श्रेण्य साहित्य में | मीर: 1. समद्र 2. सीमा, हद / विरल प्रयोग) 1. मार डालना, विनाश करना, चोट मील (भ्वा० पर०+मीलति, मीलित) 1. अखेिं मूंदना, पहुंचाना, क्षति पहुंचाना 2. घटना, कम करना पलकों को बन्द करना, आँख झपकाना, झपकी--पत्रे 3. बदलना, परिवर्तित करना 4. अतिक्रमण करना, विभ्यति मीलति क्षणमपि क्षिप्रं तदालोकनात् गीत. उल्लंघन करना ii (म्वा० पर० चुरा० उभ० मयति, 10 2. मूंदना, (आँख या फूलों का) मुदना या बन्द माययति--ते) 1. जाना, हिलना-जुलना 2. जानना, होना नयनयुगममीलत् --शि० 11 / 2, तस्यां मिमीसमझना (गतिमत्योयः) iii (चुरा० आ० मीयते) लतुर्नेत्रे - भट्टि० 14154 3. मुझॉना, अन्तर्धान होना, मरना, नष्ट होना। नष्ट होना 4. मिलना, एकत्र होना-प्रेर० (मीलयति मीट (भू० क० कृ०) 1. मूत्रोत्सृष्टि, पेशाब किया गया - ते) बन्द करवाना, मुदवाना, (आँख या फूल आदि 2. (मूत्र की भाँति) बहाया गया। का) बन्द करना -शेषान्मासान्गमय चतुरो लोचने मोदष्टमः, मीड्वस् (पुं०) शिव का विशेषण / मीलयित्वा-मेघ० 110, आ-प्रेर०-- बन्द करना, मीन: 1 मछली- सुप्तमीन इव ह्रदः--रघु०१।७३, मीनो नेत्रे चामीलयन-काव्या० 2 / 11, उद्-1. आखें नु हन्त कतमा गतिमभ्युपेतु-भामि० 1317 2. बारहवीं खोलना-उदमीलीच्च लोचने-भट्टि० 15 / 102, अर्थात् मीन राशि 3. विष्णु का पहला अवतार दे० 1682. जगाया जाना, उबुद्ध किया जाना शि० मत्स्यावतार / सम०-अण्डम् मछली का अंडा, मछली 1072 3. फूलाना, फंक मारना कि० 413, मा० के अंडों का समूहः-आघातिन, घातिन् (पुं०) 1138 4. प्रसृत किया जाना, फैलाया जाना, गुच्छे 1. मछुवा 2. सारस, आलयः समुद्र,-केतनः कामदेव, बनना, झुण्ड हो जाना उन्मीलन्मधुगंध'..'गीत. -गन्धा सत्यवती का विशेषण--.,गन्धिका जोहड़, 1, उत्तर० श२० 5. दिखाई देना, अंकुर फूटना पल्वल,-र-रङ्गः रामचिरैया, बहरी (एक शिकारी खं वायुज्वलनो जलं क्षितिरिति त्रैलोक्यमन्मीलति पक्षी)। -प्रबोध० 112, भामि २१७२(प्रेर०) खुलना तदेतमोनरः मगरमच्छ नाम का समद्री-दानव / दुन्मीलय चक्षुरायंत बिक्रम० 115, मु. 123 मीम् (म्वा० पर० मीमति) 1. जाना, हिलना-जुलना / नि , 1. आँखें मूंदना रघु० 12265 मनु० 152 2. बाब्द करना। 2. मृत्य के कारण आँखें मंदना, मरमा निमिमील मीमांसक: 1. जो अनुसंधान करता है, पूछताछ करता है, / नरोतमप्रिया हतचंद्रा तमसेव कौमुदी- रघु११६८ For Private and Personal Use Only