________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 723 / वेदत्रयी-उत्तर०६९ (पाठांतर), नः ब्राह्मण की हत्या करने वाला,-चर्यम् 1. धार्मिक शिष्यवृत्ति, वेदाध्ययन के समय ब्राह्मण बालक का ब्रह्मचर्यजीवन, जीवन का प्रथम आश्रम --अविप्लतब्रह्मचर्यों गहस्थाश्रममाचरेत् --- मनु० 3 / 2, 2 / 249, महावीर० 1124 2. धार्मिक अध्ययन, आत्मसंयम 3. कौमार्य, सतीत्व, विरति, इन्द्रियनिग्रह, (यः) वेदाध्ययनशील, -दे० ब्रह्मचारिन् ((h) सतीत्व, कौमार्य, व्रतम्, सतीत्व रक्षण की प्रतिज्ञा स्खलनम् सतीत्व या ब्रह्मचर्य से गिर जाना, इन्द्रियनिग्रह का अभाव -चारिकम वेदों के विद्यार्थी का जीवन, चारिन (पुं०) 1. वेद का विद्यार्थी, जीवन के प्रथम आश्रम में वर्तमान ब्राह्मण जो यज्ञोपवीत धारण करने के पश्चात् दीक्षित होकर गुरुकुल में अपने गुरु के साथ रहता है तथा वेदाध्ययन के समय ब्रह्मचर्याश्रम के नियमों का पालन करता रहता है जब तक कि वह गृहस्थाश्रम में प्रविष्ट नहीं हो जाता है—मनु० 241, 175, 6 / 87 2. जो आजन्म ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा करता है,---चारिणी 1. दुर्गा का विशेषण 2. वह स्त्री जो सतीत्व व्रत का पालन करती है,-'जः कातिकेय का विशेषण, जारः ब्राह्मण की पत्नी का प्रेमी, -जीविन (50) जो ब्रह्मज्ञान के द्वारा ही अपनी आजीविका कमाता है,- वि०) जो ब्रह्म को जानता है (जः) 1. कातिकेय का विशेषण 2. विष्णु का विशेषण,-जानम् सत्यज्ञान, दिव्यज्ञान, विश्व की ब्रह्म के साथ एकरूपता का ज्ञान, ज्येष्ठः ब्राह्मण का बड़ा भाई,- ज्योतिस् (नपुं०) ब्रह्म या परमात्मा की ज्ञानज्योतिः,--तत्त्वम् परमात्मा का यथार्थ ज्ञान,-तेजस (नपुं०) 1. ब्रह्मा को कीर्ति 2. ब्रह्म को कान्ति, वह कीर्ति या कान्ति जो ब्राह्मण को चारों ओर से घेरे हुए समझी जाती है,--वः वेदज्ञान के प्रदाता गुरु, दण्डः 1. ब्राह्मण का शाप 2. ब्राह्मण को दिया गया उपहार 3. शिव का विशेषण,-दानम् 1. वेद पढ़ाना 2. वेद का ज्ञान जो उत्तराधिकार में या वंशानुक्रम से प्राप्त होता है, ---दायादः 1. ब्राह्मण, जो वेदों को आनुवंशिक उपहार के रूप में प्राप्त करता है 2. ब्राह्मण का पुत्र, --वादः शहतूत का पेड़,-दिनम् ब्रह्मा का दिन,-दैत्यः वह ब्राह्मण जो राक्षस बन जाय-तु०, ब्रह्मग्रह,-द्विष,द्वेषिन् (वि०) 1. ब्राह्मणों से घृणा करने वाला 2. वेदविहित कृत्यों या भक्ति का विरोधी, अपावन, निरीश्वरवादी,द्वेषः ब्राह्मणों की घणा,-नदी सरस्वती नदी का विशेषण, नाभः विष्णु का विशेषण,-निर्वाणम् परमब्रह्म में लीन होना, -निष्ठ (वि०) परमात्मचिन्तन में लीन, (ष्ठः) शहतूत का पेड़,-पवम् 1. ब्राह्मण का पद या दर्जा 2. परमात्मा का स्थान, | -पवित्रः कुश नामकघास,-परिषद् (स्त्री०) ब्राह्मणों की सभा,-पादपः ढाक का पेड़,-पारायणम् वेदों का पूर्ण अध्ययन, सारे वेद-उत्तर० 4 / 9, महावीर० १२१४,....पाशः ब्रह्मा द्वारा अधिष्ठित अस्त्र विशेष - भट्टि० 9/75, ----पितृ (पुं०) विष्णु का विशेषण, -पुत्रः 1. ब्राह्मण का बेटा 2. हिमालय की पूर्वी सीमा से निकलने वाला तथा गंगा के साथ मिल कर बंगाल की खाड़ी में गिरने वाला 'ब्रह्मपुत्र' नाम का दरिया, (त्री) सरस्वती नदी का विशेषण,--पुरम्,-पुरी 1. (स्वर्ग में) ब्रह्मा का नगर 2. वाराणसी,---पुराणम् अठारह पुराणों में से एक का नाम, .. प्रलयः ब्रह्मा के सौ वर्ष बीतने पर सृष्टि का विनाश जिसमें स्वयं परमात्मा भी विलीन माना जाता है, --प्राप्तिः (स्त्री०) परमात्मा में लीन होना,-बन्धुः ब्राह्मण के लिए तिरस्कार-सूचक शब्द, अयोग्य ब्राह्मण---मा० 4, विक्रम० 2 2. जो केवल जाति से ब्राह्मण हो, नाम मात्र का ब्राह्मण,-बीजम् ईश्वरवाचक अक्षर ॐ, -वाणः जो ब्राह्मण होने का बहाना करता है, भवनम ब्राह्मण का आवास,~-भागः शहतूत का वृक्ष,---भावः परमात्मा में लीन होना, भुवनम् ब्रह्मा की सृष्टि --भग० ८।१६,-भूत (वि.) जो ब्रह्मा के साथ एक रूप हो गया है, परमात्मा में लीन,-भूतिः (स्त्री०) संध्या,- भूयम् 1. ब्रह्म के साथ एकरूपता 2. ब्रह्म में लीनता, मोक्ष, निर्वाण-स ब्रह्मभ्यं गतिमाजगाम- रघु० 1828, ब्रह्मभूयाय कल्पते -भग० 14 / 26, मनु० 1298 2. ब्राह्मत्व, ब्राह्मण का पद या स्थिति, भूयस् (नपुं०) ब्रह्म में लय, ---मंगलदेवता लक्ष्मी का विशेषण--मीमांसा, वेदान्तदर्शन जिसमें ब्रह्म या परमात्माविषयक चर्चा है,-मूर्ति (वि.) ब्रह्म का रूप रखने वाला,- भूधभत् शिव का विशेषण,--मेखलः मुंज घास का पौधा, यतः (गृहस्थ द्वारा अनुष्ठेय) दैनिक पंचयज्ञों में से एक, वेद का अध्यापन तथा सस्वर पाठ---अध्यापनं ब्रह्म यज्ञः --मनु० 370 (अध्यापनशब्देन अध्ययनमपि गृह्यते-कुल्लू०),-योगः ब्रह्मज्ञान का अनुशीलन या अभिग्रहण, योनि (वि.) ब्रह्म से उत्पन्न,-रत्नम् ब्राह्मण को दिया गया मूल्यवान् उपहार,- रन्ध्रम् मूर्धा में एक प्रकार का विवर जहाँ से जीव इस शरीर को छोड़ कर निकल जाता है, ... राक्षसः दे० ब्रह्मग्रह, -रातः शुकदेव का विशेषण,--राशिः 1. ब्रह्मज्ञान का मंडल यो समस्त राशि, संपूर्ण वेद 2. परशुराम का विशेषण,-रीतिः (स्त्री०) एक प्रकार का पीतल --- रे (ले) खा,-लिखितम,-लेखः विधाता के द्वारा मस्तक पर लिखी गई पंक्तियाँ जिनसे मनुष्य का भाग्य प्रकट होता है, मनुष्य का प्रारब्ध, - लोकः ब्रह्मा For Private and Personal Use Only