________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 727 ) विषयों में विरति 16, मोक्ष 17. सामर्थ्य 18. सर्व- / (वि.) जिसने कठिनाइयों और आपत्तियों पर शक्तिमत्ता (नपुं० भी अन्तिम 15 अर्थों में),-गम विजय प्राप्त कर ली है,-आश (वि०) निराश उत्तराफल्गुनी नक्षत्र। सम०-अङ्कुरः (आयु० में) ---भर्तृ० 2184, हताश- भर्तृ० 3152., उत्साह चिंक, योनिद्वार पर की गटिका, -आधानम् दाम्पत्य- (वि.) जिसका उत्साह टूट गया हो, जिसकी शक्ति सख प्रदान करना, . नः शिव का विशेषण,-देवः अवसन्न हो गई हो, जिसका उत्साह, भंग हो गया पूर्ण स्वेच्छाचारी, लम्पट --देवता विवाह की अधि- हो,-उद्यम (वि.) जिसके उद्योग निष्फल कर दिये ष्ठात्री देवता, दैवतम् उत्तराफल्गुनी नक्षत्र, -- नन्दनः गये हों, निराश, जिसका विकास अवरुद्ध हो गया हो, विष्णु का विशेषण,---भक्षकः विट, दलाल, भडआ, ....कम:,-प्रक्रमः अभिव्यक्ति या निर्माण में सममिति -~-वेदनम् वैवाहिक आनन्द की उद्घोषणा। का अतिक्रमण, दे० 'प्रक्रमभंग', चेष्ट (वि०) निराश, भगन्दरः [ भग++णि+खच, मुम् | एक रोग जो हताश,-दर्प (वि०) विनीत, जिसका घमंड ट गया गुदावर्त में प्रण के रूप में होता है। हों,--निद्र (वि.) जिसकी नींद में बाधा डाल दी गई भगवत् (वि.) [ भग+मतुप् ] 1. यशस्वी, प्रसिद्ध हो,-पाव (वि.) जिसके पार्श्व में पीड़ा होती हो, 2. सम्मानित, श्रद्धेय, दिव्य, पवित्र (देव, उपदेव तथा --पृष्ठ (वि.) 1. जिसकी कमर टूट गई हो अन्य प्रतिष्ठित एवं संमाननीय व्यक्तियों का विशेषण) 2. सामने आता हुआ,--प्रतिज्ञ (वि.) जिसने अपनी -अथ भगवान् कुशली काश्यपः - श० 5, भगवन्परवा प्रतिज्ञा तोड़ दी हो,--मनस् (वि.) निरुत्साहित, नयं जनः --- रघु० 8 / 81, इसी प्रकार भगवान् वासुदेवः हतोत्साहित,-वत (वि०) जो अपने व्रतों में निष्ठा.... आदि (पु०) 1. देव, देवता 2. विष्णु का विशे- वान् न हो,-संकल्प (वि०) जिसकी योजनाओं को षण 3. शिव का विशेषण 4. जिन का विशेषण उत्साहहीन कर दिया गया हो। 5. बुद्ध का विशेषण। भग्नी [= भगिनी, पृषो० साधुः ] बहन / भगवदीयः [ भगवत्-+छ ] विष्णु का पूजक / भडा (गा) रो| भमिति शब्दं करोति - भम्+ +अण भगालम् [भज्+कालन, कृत्वम् ] खोपड़ी। +डीप् ] डांस, गोमक्षी। भगालिन् (पुं०) [भगाल+इनि] शिव का विशेषण। भक्तिः (स्त्री०) [भञ्ज+क्तिन्] टूटना, (हड्डी का) भगिन् (वि०) (स्त्री०-नी) [ भग+इनि 11. फलता- टूटना / फूलता, संपन्न, भाग्यशाली 2. वैभवशाली, शानदार / भगः [भ-+घञ] 1. टूटना, टूट जाना, छिन्न-भिन्न भगिनिका [ भगिनी+कन्+टाप, इत्वम् ] बहन / होना, फाड़ डालना, टुकड़े टुकड़े करना, विभक्त भगिनी [ भगिन् +-डी] 1. बहन 2. सौभाग्यवती स्त्री करना-वार्यलाभङ्ग इव प्रवृत्त:--रघु० 5 / 45, 3. स्त्री०। सम०-पतिः, ... भर्तृ (पुं०) बह्न का 2. टूट, हड्डी का टूटना, विच्छेद 3. उखाड़ना, काटना पति, बहनोई। -आम्रकलिका भङ्गः-श०६ 4. पार्थवय, विश्लेभगिनीयः [ भगिनी+छ ] बहन का पुत्र, भानजा। षण 5. अंश, टुकड़ा, खंड, वियुक्त अंश-पुष्पोच्चयः भगीरथः[?] एक प्राचीन सूर्यवंशी राजा का नाम, सगर पल्लवभङ्गभिन्न: - कु० 3 / 61, रघु० 16116 का प्रपौत्र, जो अतिशय घोर साधना करके स्वर्ग से 6. पतन, अध: पतन, ध्वंस, विनाश, बर्बादी जैसा कि दिव्य गंगा को उतार कर इस पृथ्वी पर लाया, तथा राज्य , सत्त्व आदि में 7. अलग अलग करना, तितरराजा सगर के 60 हजार पुत्रों (पूर्वपुरुषों) की भस्म बितर करना- यात्राभङ्गः - मा०१8. हार, पछाड़, को पवित्र करने के लिए इस पृथ्वी से पाताल लोक पराभव, पराजय--पंच० 4 / 41, शि० 1672 को ले गया। सम० पयः,-प्रयत्नः भगीरथ का | 9. असफलता, निराशा, हताश-रघु० 2 / 42, आशाप्रयास जो किसी अतिदुष्कर कार्य या भीम कर्म को भंग आदि 10. अस्वीकृति, इंकारी-कु. 1142, आलंकारिक रूप से प्रकट करने के लिए प्रयुक्त किया 11. छिद्र, दरार 12. विघ्न, बाधा, रुकावट-निद्रा जाता है, - सुता गंगा का विशेषण / गति आदि 13. अननुष्ठान, निलंबन, स्थगन भग्न ( भू० क० कृ०) [भङ्ग् + क्त] 1. टूटा हुआ, हड्डी 14. भगदड़ 15. मोड़, तह, लहर 16. सिकुड़न, झुकाव, टूटी हुई, टूटा फूटा, फटा-पुराना 2. हताश, ध्वस्त, संकोच या सटाना उत्तर० 5 / 33 17. गति, चाल निराश 3. अवरुद्ध, गृहीत, निलंबित 4. बिगाड़ा हुआ, 18. लकवा, फालिज 19. जालसाजी, धोखेवाजी तोड़ा-फोड़ा हुआ 5. पराजित, पूर्ण रूप से परास्त, 20. नहर, जलमार्ग, नाली 21. गोलगोल या घूमधुमाकर छिन्न-भिन्न किया हआ -उत्तर० 5 6. दहाया हुआ, कहने या करने का ढंग-दे० भंगि 22. पटसन / सम० विनष्ट (दे० भ),-नम् पैर की हड्डी का टूटना।। ----नयः बाधाओं को हटाना,-वासा हल्दी,-सार्थ सम०—आत्मन् (पुं०) चन्द्रमा का विशेषण, आपद् / (वि०) बेईमान, जालसाज / For Private and Personal Use Only