________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 737 ) भारद्वाजः [ भरद्वाजस्यापत्यम् --अण् ] 1. कौरव पांडवों | भावः [भू भावे घन ] 1. होना, सता, अस्तित्व-- नासतो की सैनिक शिक्षा के आचार्य गुरु द्रोण 2. अगस्य विद्यते भावः ...भग० 2 / 16 2. होना, घटित होना, का नामान्तर 3. मङ्गलग्रह 4. चातक पक्षी,- -जम् घटना 3. स्थिति, अवस्था, होने की अवस्था—लताहड्डी / भावेन परिणतमस्या रूपम् -विक्रम० 4, कातरभावः, भारवः [ भारं वाति-वा+क] धनुष की डोरी। विवर्णभावः आदि 4. रीति, ढंग 5. दर्जा, स्थिति, पद, भारविः[?] किरातार्जुनीय नामक संस्कृतकाव्य के हैसियत-देवीभावं गमिता काव्य० 10, इसी प्रकार रचयिता, -तावद्भा भारवर्भाति यावन्माघस्य नोदयः, प्रेष्यभावम्, किंकरभावम 6. (क) यथार्थ दशा या उदिते च पुनर्माघे भारवेर्भा रवेरिव, भारवेरर्थगौरवम् स्थिति, यथार्थता, वास्तविकता भग० 108 (ख) --उद्भट / निष्कपटता, भक्ति-त्वयि मे भावनिबन्धना रतिः भारिः [इभस्य अरि: पृषो० साधुः ] सिंह। -रघु०८१५२, 2026 7. सहज गुण, चित्तवृत्ति, भारिक, भारिन् (वि.) [भार-Fठक, इनि वा ] भारी प्रकृति, स्वभाव --उत्तर० 6 / 14 8. झुकाव या मनो--पुं० बोझा ढोने वाला, कुली। वृत्ति, भावना, विचार, मत, कल्पना-पंच० 3 / 43, भार्गः [ भर्ग+अण् ] भर्ग देश का राजा। मनु० 8 / 25 4165 1. भावना, संवेग, रस या मनोभार्गवः [ भृगोरपत्यम् अण् ] 1. शुक्राचार्य, शुक्रग्रह का भाव एको भावः- पंच० 3166, कु. 6 / 95, शास्ता और असुरों का आचार्य 2. परशराम, दे० (नाट्य विज्ञान या काव्यरचना में भाव बहुधा दो परशुराम 3. शिव का विशेषण 4. धनुर्धर 5. हाथी। प्रकार के होते हैं-प्रधान या स्थायीभाव, तथा गौण सम..-प्रियः हीरा। या व्यभिचारिभाव। स्थायिभाव गिनती में आठ या भार्गवी [ भार्गव-डीप 1 1. दुब 2. लक्ष्मी का विशेषण / नौ है, तदनुसार अपने 2 स्थायिभाव से युक्त रस भी भार्यः [ भृ / ण्यत् ] सेवक, पराश्रयी (भरण-पोषण किये आठ या नौ हैं। व्यभिचारिभाव गिनती में तेंतीस या जाने के योग्य)। चौंतीस है तथा स्थायिभावों का विकास करने एवं भार्या [भर्तुं योग्या+भार्य+टाप्] 1. धर्मपत्नी-सा भार्या संवर्वन करने में सहायक होते हैं, इनके कुछ भेदों की या गृहे दक्षा सा भार्या या प्रजावती, सा भार्या या परिभाषा तथा गिनती के लिए--रस० का प्रथम पतिप्राणा सा भार्या या पतिव्रता हि० 11196 आनन या काव्य० का चौथा समुल्लास देखो) 10. प्रेम, 2. मादा जानवर / सम०-आट (वि०) अपनी पत्नी स्नेह, अनुराग-द्वन्द्वानि भावं क्रियया विवः .... कु. के वेश्यापन से जीवन निर्वाह करने वाला,-ऊढ (वि.) 3 / 35, रघु० 636 11. अभिप्राय, प्रयोजन, सारांश, विवाहित (पुरुष)-भार्योढं तमवज्ञाय-भट्टि० 4 / 15, आशय; इति भावः (प्रायः भाष्यकारों द्वारा प्रयुक्त) -जितः पत्नी से प्रभावित पति, जोरू का गुलाम / 12. अर्थ, आशय, तात्पर्य, व्यंजना मा० 125 भार्याल: [ भार्या+ऋ+उण् ] 1. एक प्रकार का मृग 13. प्रस्ताव, संकल्प 14. हृदय, आत्मा, मन-तयोविवृत 2. उस बालक का पिता जो अन्य पुरुष की पत्नी से भावत्वात्-मा० 1112, भग०१८।१६ 15. विद्यमान उत्पन्न हो। पदार्थ, वस्तु, चीज, तत्त्वार्थ,-जगति जयिनस्ते ते भावा भालम् [भा+लच् ] मस्तक, ललाट-यद्धात्रा निजभाल- नवेन्दुकलादयः—मा० 1417, 36, रघु० 3 / 41, पट्टलिखितं स्तोकं महद्वा धनम-भर्त० 2 / 49, (स्मर. उत्तर० 3 / 32 16. प्राणी, जीवधारी जन्तु 17. भावस्य) वपुः सद्यो भालानलभसितजालास्पदमभूत-भामि० मय मनन, चिन्तन (=भावना) 18. आचरण, गति१२८४ 2. प्रकाश 3. अंधकार / सम० अङ्कः 1. भाग्य- विधि, हावभाव 19. प्रीति द्योतक हावभाव या रस वान् पुरुष जिसके मस्तक पर भाग्य रेखा विराजमान की अभिव्यक्ति, प्रेम संकेत---श० 211 20. जन्म, है 2. शिव का विशेषण 3. आरा 4. कछवा, - चन्द्रः 21. संसार, विश्व 22. गर्भाशय 23. इच्छाशक्ति 1. शिव का विशेषण 2. गणेश का विशेपण,---दर्शनम् 24. अतिमानव शक्ति 25. उपदेश, अनदेश 26. (नाटकों सिंदूर,--दशिन् (वि.) 'मस्तक या ललाट को देखने में) विद्वान् और सम्माननीय व्यक्ति, योग्य पुरुष वाला' अर्थात् वह नौकर जो अपने स्वामी की इच्छाओं (संबोधनशब्द)-भाव अयमस्मि-विक्रम०१, तां खलु के प्रति सावधान रहता है, -- दश (पुं०) - लोचनः भावेन तथैव सर्वे वाः पाटिता:-मा०१ 27. (व्या० शिव का विशेषण,... पट्टः,-दृम मस्तक, ललाट / में) भाववाचक संज्ञा का आशय, भावात्मक विचार भाल: [ भृ-+उण, वृद्धिः, रस्य लः ] सूर्य / --भावे क्तः 28. भाववाच्य 29. (ज्योतिः-- में) भालुक, भालक, भाल्लुक, भाल्लक [ भलते हिनस्ति प्राणिनः जन्मकुंडली के स्थान 30. नक्षत्र / सम०--अनुग (वि०) --भल+उक (ऊक)+अण, भल्ल (ल्ल)+क स्वाभाविक, (गा) छाया,----अन्तरम् भिन्न स्थिति +अण् ] रीछ, भालू / -- अर्थः 1. स्पष्ट अर्थ या ध्वनि (किसी शब्द या 93 For Private and Personal Use Only