________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 773 ) मनसिजः [मनसि जायते-जन+ड, अलुक स०] 1. काम- | दस प्रजापति या महर्षियों का जन्म हआ। इसी को देव रघु० 18152 2. प्रेम, प्रणयोन्माद मनसिज- मनुस्मृति नामक धर्मसंहिता का प्रणेता माना जाता है रुजं सा वा दिव्या ममालमपोहितुम् - विक्रम सातवा मनु वैवस्वत मनु कहलाता है क्योंकि उसका 3 / 10, श० 3 / 9 / जन्म विवस्वान् (सूर्य) से हुआ। यही जीवधारी मनसिशयः [ मनसि शेते-शी+अच् सप्तम्या अलुक ] प्राणियों की वर्तमान जाति का प्रजापति समझा जाता कामदेव शि० 7 / 2 / है। जल प्रलय के समय मत्स्यावतार के रूप मुनस्तः (अब्य०) [ मनस् / तस् ] मन से, हृदय से में विष्ण ने इसी मन की रक्षा की थी। अयोध्या पर -रघु० 14181 / शासन करने वाले सूर्यवंशी राजा के सूर्यवंश का प्रवमनस्विन् (वि.) [ मनस् +विनि ] 1. बुद्धिमन्, प्रज्ञा- तक भी यही मनु समझा जाता है-दे० उत्तर० 6.18 वान्, चतुर, ऊँचे मन वाला, उच्चात्मा----रघु० 1 // रघु० 1 / 11, चौदह मनुओं के क्रमशः निम्नलिखित 32 पंच० 26120 2. स्थिरमना, दृढ़निश्चय, दृढ़ नाम है--1. स्वायंभुव 2. स्वारोचिष 3. औत्तमि संकल्प वाला - कु० ५।६,-नी 1. उदार मन की या 4. तामस 5. रेवत 6. चाक्षुष 7. वैवस्वत 8. सावणि अभिमानिनी स्त्री- मनस्विनीमानविघातदक्षम् --कु० 9. दक्षसावणि 10.ब्रह्मसावणि 11. धर्मसावणि 12. रुद्र३।३२, मालवि० 1119 2. बुद्धिमती या सती स्त्री सावणि 13. रोच्यदवसावणि 14. इन्द्र सावणि / 3. दुर्गा का नाम / 3. चौदह की संख्या के लिए प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति, मनाक (अव्य०) [ मन्-|-आक्] 1. जरा, थोड़ा सा, -नुः (स्त्री०) मनु की पत्नी। सम० - अन्तरम् अल्पमात्रा में, न मनाक 'बिल्कुल नहीं 'रे पान्थ एक मनु का काल (मनु० 1179 के अनुसार यह बिह्वलमना न मनागपि स्याः--भामि० 1137, 111 काल मनुष्यों के 4320000 वर्षों का होता है, इसी 2. शनैः शनैः, विलंब से। सम० ---कर (वि०) को ब्रह्मा का 1114 दिन मानते हैं, क्योंकि इस प्रकार थोड़ा करने वाला, (रम) एक प्रकार की गंधयक्त के 14 कालों का योग ब्रह्मा का एक पूरा दिन होता अगर की लकड़ी। है। इन चौदह कालों में से प्रत्येक का अधिष्ठातृमनाका [ मन्+आक--टाप् ] हथिनी / मनु पथक 2 है, इस प्रकार के छ: काल बीत चके है, मनित (वि.) [ मन्+क्त ] ज्ञात, प्रत्यक्षज्ञान, समझा इस समय हम सातवें मन्वन्तर में रह रहे हैं, और हुआ। सात और मन्वंतर अभी आने हैं),जः मानवजाति मनीकम् [ मन्---कीकन ] सुर्मा, अंजन / अधिपः, °अधिपतिः, ईश्वरः, पतिः, राजः राजा, मनीषा | मनसः ईषा प० त०, शक० ] 1. चाह, कामना, प्रभ, लोकः मानवों की सष्टि-अर्थात् भूलोक, -यो दुर्जनं वशयितुं तनुते मनीषां- भामि० 1195 --जातः मनुष्य,--ज्येष्ठः तलवार,-प्रणीत (वि.) 2. प्रज्ञा, समझ 3. सोच, विचार / मनु द्वारा शिक्षित या व्याख्यात,-भूः मनुष्य, मानव, मनीषिका [ मनीषा+कन्-:-टाप, इत्वम् ] समझ, प्रज्ञा / जाति,-राज् (पुं०) कुबेर का विशेषण,-श्रेष्ठः मनीषित (वि०) [मनीषा-इतच् ] 1. अभिलषित, विष्णु का विशेषण,-संहिता धर्मसंहिता जो प्रथम वांछित, पसंद किया गया, प्यारा, प्रिय -मनीषिताः मन द्वारा रचित मानी जाती है, मनु द्वारा प्रणीत सन्ति गृहेषु देवता:-कु० 5 / 4 2. रुचिक,र,-तम् विधिविधान। कामना, इच्छा, अभीष्ट पदार्थ -मनीषितं द्यौरपि मनुष्यः [मनोरपत्यं यक सुक च] 1. आदमी, मानव, मयं येन दुग्धा .. रघु० 5 / 33 / 2. नर / सम० ---इन्द्रः,-ईश्वरः राजा, प्रभु-रघु० मनीषिन् (वि.) [ मनीषा+-इनि ] बुद्धिमान, विद्वान्, / 212, --जातिः मानव जाति, इंसान, देवः 1. राजा प्रज्ञावान्, चतुर, विचारशील, समझदार --रघु० 1 // --रधु० 2 / 52 2. मनुष्यों में देव, ब्राह्मण,---धर्मः 15, (पुं०) बुद्धिमान या विद्वान् पुरुष, मुनि, पंडित 1. मनुष्य का कर्तव्य 2. मानव चरित्र, इंसान की -माननीयो मनीषिणाम् --रघु०१।११, संस्कारवत्येव विशेषता, धर्मन् (पुं०) कुबेर का विशेषण,--मारगिरा मनीषी-कु० 28, 5 / 39, रघु० 3 / 44 / णम् मानवहत्या,-यज्ञः आतिथ्य, अतिथियों का मनुः [मन्+उ] 1. एक प्रसिद्ध व्यक्ति जो मानव का प्रति- सत्कार, गृहस्थ के पाँच दैनिक कृत्यों में एक, निधि और मानवजाति का हित माना जाता है (कभी दे० नयज्ञ,-लोकः मरणशील (मयों) मनष्यों का कभी यह दिव्य व्यक्ति समझे जाते हैं) 2. विशे- संसार, भूलोक, विश, -विशा (स्त्री०), विशम् पत: चौदह क्रमागत प्रजापति या भूलोक प्रभु-मनु० इंशान, मानवजाति,-शोणितम् मानवरक्त-(पपौ) 1 / 63 (सबसे पहले मनु का नाम स्वायंभुव मनु है, कुतूहलेनेव मनुष्यशोणितम्-.-रघु० 3 / 54, सभा जो एक प्रकार से गौण स्रष्टा समझा जाता है, इससे / 1. मनुष्यों की सभा 2. भीड़, जमाव / मानव जाति देव, ब्राह्मणमा की For Private and Personal Use Only