________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (द्वि०व०) 1. फूट और मेल, असहमति और सह- भक्ष (वि०) (स्त्री-क्षी) [भिक्षव तत्समूहो वा-अण] मति 2. भिन्नता और एकरूपता भेदाभेदज्ञानम् भिक्षा पर जीवन-निर्वाह करने वाला, क्षम् 1. मांगना उन्मुख (वि०) फूटने वाला, खिलने वाला विक्रमः भीख --मनु० 6.55, याज्ञ० 3142 2. जो कुछ २१७,--फर,--कृत् (वि.) फुट के बीज बोने वाला भिक्षा में प्राप्त हो, भीख, दान-भक्षण वर्तयेन्नित्यम् ---दशिन-दृष्टि, बुद्धि, (वि०) विश्व को परमात्मा मनु० 2 / 188, 4 / 5 / सम० --अन्नम् भिक्षा में से भिन्न समझने वाला,-प्रत्ययः द्वैतवाद में विश्वास, प्राप्त आहार, भिक्षा का अन्न,-आशिन् (वि.)भिक्षा में -बादिन् (पुं०) जो द्वैत सिद्धांत को मानता है, सह प्राप्त अन्न को खाने वाला, (पु.) भिखारी, साधु, (वि.) 1. जो विभक्त या वियक्त हो सके 2. कल- ----आहारः भिखारी, काल: भीख मांगने का समय, षित होने योग्य, दूषणीय, प्रलोभन द्वारा जो फंसाया ..चरणम,...चर्यम, --चर्या भीख मांगने के लिए जा सके। इधर उधर फिरना, भीख मांगना, भिक्षा एकत्र करना, भेदक (वि०) (स्त्री० ---दिका) [भिद् / वल1. तोड़ने जीविका, ---वृत्तिः (स्त्री०) भिखारीपन,--भुज (पु०) वाला, खण्ड खण्ड करने वाला, विभक्त करने वाला, भिखारी, भिखमंगा। अलग अलग करने वाला 2. बींधने वाला, छिद्र करने भैक्षवम्, भक्षकम् भिक्षणां समूहः-अण] भिखारियों का वाला 3. नष्ट करने वाला, विनाशक 4. भेद करने समूह / वाला, अन्तर करने वाला 5. परिभाषा देने वाला, भक्ष्यम् [भिक्षा--प्या ] मांग कर प्राप्त किया हुआ अन्न, ... क: विशेषण या विभेदकारी विशेषता। भिक्षा, भीख, दान दे० 'भैक्ष'।। भेवनम् [भिद्+णिच् + ल्युट्] 1. टुकड़े-टुकड़े करना, तोड़ना, 'वि०) (स्त्री०-मी) [भीम--अण] भीमविषयक, फाड़ना 2. बाँटना, अलग-अलग करना 3. भेद करता -मो 1. भीम की पुत्री, नल की पत्नी दमयन्ती का 4. फूट के वीज बोना, मनमुटाव पैदा करना 5. भंग कर, पितपरक नाम 2. माघ शुक्ला एकादशी, या उस शिथिल करना 6. उघाड़ना, खोलना,-न: सूअर / दिन किया जाने वाला उत्सव। भेदिन् (वि०)[भिद्-+-णिनि तोड़ने वाला, विभक्त करने भमसेनिः,-न्यः भीमसेन+इन ,ज्य वा] भीमसेन का पुत्र / वाला, भेद करने वाला आदि। भैरव (वि०) (स्त्री०-वी) [भीरु+अण] 1. भयानक, भेविरम्, भेदुरम् [भिद् + किरच्, कुरच् बा, पृषी० गुणः] | डरावना, भीषण, भयावह 2. भैरवसंबंधी, ... वः शिव वज। का (इसके आठ रूप गिनाये गये हैं) एक रूप / भेद्यम [भिद + ण्यत विशेष्य, संज्ञा / सम-लिंग (वि०) --- वी 1. दुर्गादेवी का एक रूप 2. हिन्दु-संगीत पद्धति लिंग द्वारा जो पहचाना जा सके। में एक विशेष रागिनी का नाम 3. बारह वर्ष की भेरः [विभेत्यस्मात्-भी+रन् | चौसा, ताशा (बड़ा ढोल)। कन्या या किशोरी जो दुर्गा-पूजा के उत्सव पर दुर्गा भेरिः,-री (स्त्री०) [भी +-क्रिन्, बा० गुणः, भेरि+कीप्] / का प्रतिनिधित्व करे, वम् त्रास, भीषणता / सम० ___घौसा, ताशा (बड़ा ढोल) / भग० 1113 / / .....ईशः विष्णु का विशेषण, शिव का विशेषण, तर्जकः, भेरुण्ड (वि०) भयानक, भयपूर्ण, डरावना, भयंकर, डः | –यातना काशी में जाकर शरीर त्यागने वाले पक्षियों का एक भेद,---डम् गर्भाधान, गर्भस्थिति। व्यक्तियों की आत्मा को परमात्मा में लीन होने के भेरुण्डकः [भेरुण्ड-+कन्] गीदड़, शृगाल / योग्य बनाने के लिए भैरव द्वारा उनकी विशुद्धि के भेल (वि.) भी+रन, रस्य ल:] 1. इरपाक, भीरु लिए उनको दी जाने वाली यातना / 2. मूर्ख, अनजान 3. अस्थिर, चंचल 4. लंबा भैषजम् [ भेषज+अण् ] औषधि, दवा,-जः लवा पक्षी, 5. फुर्तीला, चुस्त,-लः नाव, बेड़ा, घिनई। लावक / भेलकः,-कम् [भेल-+-कन् नाव, वेड़ा। भैषज्यम् [ भिपजः कर्म भेपज-+-स्वार्थे वा व्या ] भेष (भ्वा० उभ०-भेपति-ते) डरना, त्रस्त होना, भय- ___ 1. औषधियां देना, चिकित्सा करना 2. दवादारू, भीत होना। / औषधि, दवाई 3. आरोग्यशक्ति, नीरोगकारिता / भेषजम् [भे रोगमयं जयति-जि-:-ड तारा०] औषधि, भैष्मकी भीष्मक+अण् + ङीष् ] विदर्भराज भीष्मक की भैषज्य या दवा . नरानम्ब त्रातुं त्वमिह परमं भेषज- पुत्री, रुक्मिणी का पितपरक नाम / मसि-~गंगा० 15, अतिवीर्यवतीव भेपजे बहुरल्पीयसि / भोक्त (वि.) [ भुज्+तुच | 1. उपभोक्ता 2. कब्जा दृश्यते गुणः-कि० 2 / 4 2. चिकित्सा या इलाज करने वाला 3. उपभोग में लाने वाला, प्रयोक्ता 3. एक प्रकार का सोया। सम-अ (आ) गारः, 4. महसूस करने वाला, अनुभव करने वाला, भोगने ....रम् अत्तार (औषधविक्रेता) की दुकान,---अङ्गम् वाला, (पुं०) 1. काविज, उपभोक्ता, उपयोक्ता 2. कोई चीज जो दवा खाने के वाद ली जाय / पति 3. राजा, शासक 4.प्रेमी। For Private and Personal Use Only