________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कि०८।५७, व्रतः भौरा ---मामिकः को मरन्दानाम- | मलिका [ मधूल-कन् ।-टाप् इत्वम् एक प्रकार न्तरेण मधुब्रतम् - भामि० 11117, तस्मिन्नद्य मधुव्रते का वृक्ष / विधिवशान्माध्वीकमाकांक्षति 46, शर्करा शहद से मध्य (वि.) [ मन्+यत्, नस्य धः, तारा०] 1. बीच तैयार की हुई शक्कर,-शाखः एक प्रकार का (महुए का, केन्द्रीय मध्यवर्ती, केन्द्रवर्ती-मेघ० 46, मनु० का) पेड,-शिष्टम्,-शेषम् मोम,-सखः, -सहायः, 2212. अन्तर्वर्ती, मध्यवर्ती 3. बीच के दर्जे का, मध्यक, --सारथिः, -सुहृद् कामदेव,--सिक्यकः एक प्रकार दमियाने कदका, बीच का --प्रारभ्य विघ्नविहता विरका विष,-सूदनः भौंरा,-स्थानम् मधुमक्खियों का यन्ति मध्याः भर्त० 2 / 27 4. तटस्थ, निष्पक्ष छत्ता, * स्वरः कोयल, हन (पुं०) 1. शहद को नष्ट 5. न्याय्य, यथार्थ 6. (ज्यो० में) मध्यभाग,-ध्यः,--ध्यम् करने वाला या एकत्र करने वाला 2. एक प्रकार का 1. मध्य, केन्द्र, मध्य या केन्द्रीय भाग अह्नः मध्यम् शिकारी पक्षी 3. ज्योतिषी, भविष्यक्ता 4. विष्ण दोपहर, दिन का मध्य-सहस्रदीधितिरलङ्करोति का नामान्तर। मध्यमह्नः . मा० 1, 'सूर्य शिरोबिन्दु पर है। अर्थात् मधुकः मधु-कन्, के-+-क वा] 1. एक वृक्ष (==मधूक, 'ठीक सिर के ऊपर' है, व्योममध्ये विक्रम० 2 / 1 महुआ) का नाम 2. अशोक वृक्ष 3. एक प्रकार का 2. शरीर का मध्यभाग, कमर-मध्ये क्षामा--मेघ० पक्षी, कम् 1. जस्ता 2. मुलैठी।। 82, वेदिविलग्नमध्या --कु० 1 / 39 बिशालवक्षास्तमधुर (वि.) [ मधु माधुर्य राति रा+क मधु अस्त्यर्थेर नवृत्तमध्यः ...- रघु० 6 / 32 3. पेट, उदर -मध्यन " वा | 1. मीठा 2. शहदयुक्त, मधुमय 3. सुखद, मनो- बलित्रयं चारु बभार बाला-कु० 1139 4. किसी हर, आकर्षक, रुचिकर---अहो मधुरमासां दर्शनम् वस्तु का भीतरी भाग 5. बीच की स्थिति या दशा .....श० 1, कु० 5 / 9, उत्तर० 120 4. सुरीला 6. घोड़े की कोख 7. संगीत में मध्यवर्ती सप्तक (स्वर),-रः लाल रंग का गन्ना, ईख 2. चावल 8. किसी श्रेणी की मध्यवर्ती राशि, ----ध्या बीच की 3. राब, गुड 4. एक प्रकार का आम, -- रम् 1. माधुर्य अंगली,-ध्यम दस अरब की संख्या ('मध्य' के कर्म०, 2. मघुरपेय, शर्बत 3. विष 4. जस्ता, रम् (अव्य०) करण० अपा० और अधिक के रूप क्रि० वि० की मिठास के साथ सहावने ढंग से, रोचकता के साथ / भांति प्रयुक्त होते है) (क) मध्यम में, के बीच में सम०---अक्षर (वि.) मधुर ध्वनि वाला, मिष्टभाषी, (ख) मध्येन में से, बीच से (ग) मध्यात् में से, के रसीला, आलाप (वि०) मधुर शब्दों का उच्चारण बीच (संब० के साथ) से -तेषां मध्यात् काकः प्रोवाच करने वाला (पः) मधुर या सरीले स्वर - मधुरालाप- —पंच० 1 (घ) मध्ये 1. बीच में, में, मध्य में निसर्ग पण्डितानाम् ---कु०४।१६, (-पा) मैना, मदनसा- रधु०१२।२९ 2. में, के अन्दर, के भीतर, बहुधा रिका, कण्टकः एक प्रकार की मछली,--जम्बीरम नींबू (जब कि अव्ययीभाव समास के आदि पद के रूप में की एक जाति, -त्रयम् -- मधुत्रयम् दे०,-फलः एक प्रयोग हो) उदा० - मध्येगङ्गम गंगा में, 'मध्येजठरम् प्रकार का पेंवदी बेर,---भाषिन्,-वाच् (वि०) 'पेट में भामि० 161, . मध्येनगरम् 'नगर के मधुरभाषी,---सवा एक प्रकार का छुहारे का पेड़, भीतर' मध्येनदि 'नदी के बीच में' मध्येपृष्ठम् 'पीठ पर' स्वर, ---स्वन (वि०) मधुर स्वर से अलापने वाला, मध्येभक्तम, भोजन करने के पश्चात फिर दोबारा मधुरस्वर वाला। भोजन करने से पूर्व बीच में ली जाने वाली औषधि, मधुरता, स्वम् / मधुर-+-तल - टाप, व वा ] माधुर्य, मध्येरणम् 'युद्ध में'- भामि० 1 / 128, मध्येसभ 'सभा सुहावनापन, रोचकता। में या सभा के सामने'---० 6176, मध्येसमुद्रम् मधुरिमन् (पुं०) [ मधुर-इमनिच ] मार्य, रोचकता 'समद्र के बीच में शि०३।३३) / सम-अगुलिः, मधुरिमातिशयेन वचोऽमृतम्-भामि० 1 / 113 / / —ली (स्त्री०) बीच की अंगुली.---अह नः ('अहन्' मधुलिका / मधुल+कन्+टाप, इत्वम् ] काली सरसों, के स्थान में) मध्याह्न, दोपहर, कृत्यम्, क्रिया दोप हर के समय की जाने वाली क्रिया, काल: "वेलाः मधूकः [ मह +ऊक नि० हस्य घः ] 1. भौंरा 2. एक समयः दोपहर का समय, स्नानम दोपहर का नहाना, वृक्ष का नाम महुआ,-कम् मधुक (महुए) बृक्ष / -कर्णः अर्धव्यास, ग (वि.) बीच में जाने वाला का फूल-दुर्वांवता पाण्डुमधूकदाम्ना-कु० 7 / 14, ... गत (वि.) केन्द्रीय, मध्यवर्ती, बीच में होने वाला, स्निग्धोनकच्छविर्गण्ड:--गीत० 10, रघु० गन्धः आम का वृक्ष, ग्रहणम् ग्रहण का मध्य, 6 / 25 / दिनम् ('मध्यंदिनम्' भी) 1. मध्य दिन, दोपहर मधूलः | मधु +-लाति ला+क पृषो०] एक प्रकार का 2. दोपहर का उपहार, दीपकम दीपक अलंकार का वृक्ष, --लो आम का पेड़ / एक भेद, इसमें सामान्य विशेषण जो समस्त चित्रण For Private and Personal Use Only