________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मेघ०७८ 4. किसी देवता को अर्पित किया गया | या आठ अष्टकों में विभक्त है) 16. एक प्रकार का भवन। सम-प्रतिष्ठा देवालय की प्रतिष्ठा।। कोढ़ जिसमें गोल चकत्ते पड़ जाते हैं 17. एक प्रकार मण्डयन्तः [मण्ड+णि+झच] 1. आभूषण, शृंगार का गन्धद्रव्य,-ली वृत्त, समूह, संघात (मण्डलीकृ 2. अभिनेता 3. आहार 4. स्त्री सभा,-न्ती स्त्री। कुंडलाकार या वृत्ताकार बनाना, लपेटना, मण्डलीभू मण्डरी [मण्ड ---अरन्-डी] झिल्ली, झींगर विशेष / / वृत्त बनाना ) सम ----अग्रः झुकी हुई या टेढ़ी तलवार, मण्डल (वि.) [मण्ड-कलच्] गोल, वृत्ताकार,-ल: खङ्ग,-अधिपः,--अधीशः,-ईशः----ईश्वरः 1. किसी 1. सैनिकों का गोलाकार क्रमव्यवस्थापन 2. कुत्ता जिले या प्रान्त का राज्यपाल या शासक 2. राजा, 3. एक प्रकार का साँप, --लम 1. गोलाकार पिण्ड, प्रभु,-आवृत्तिः (स्त्री०) गोलाकार गति-उत्तर० गोलक, चक्र, गोलाकार वस्तु, परिधि, कोई भी गोल ३।१९,-कार्मुक (वि०) गोलाकार धनुष को धारण वस्तु-करालफणमण्डलम्-रघु० 12098, आदर्श करने वाला,--नृत्यम् मंडलाकार घूमते हुए नाचना, मण्डलनिभानि समुल्लसन्ति - कि० 5 / 41, स्फुरत्प्र- गोलाकार नाच, न्यासः वृत्त का वर्णन करना,-पुच्छकः भामण्डल, चापमण्डल, मुखमण्डल, स्तनमण्डल आदि एक प्रकार का कीड़ा,----वटः गोलाकार रूप में बड़ 2. (जादूगर द्वारा खींची हुई)गोलाकार रेखा ...- मुद्रा० का वृक्ष,-वर्तिन् (पुं०) एक छोटे प्रान्त का शासक, 2 / 1 3. बिब, विशेषतः चन्द्र या सूर्य का बिंब,-अप- -- वर्षः राजा के समस्त प्रदेश में बारिश का होना, वंणि ग्रहकलुपेन्दुमण्डला (विभावरी)--मालवि० देशव्यापी वर्षा। 4 / 15, दिनमणिमण्डनमण्डपभयखण्डन ए गीत० मण्डलकम् [मण्डल+कन्] 1, वृत्त, 2. बिंब 3. जिला, प्रांत 4. परिवेश, सूर्य-चन्द्र के इर्द गिर्द पड़ने वाला घेरा 4. समूह, संग्रह 5. सैनिकों की चक्राकार-व्यहरचना 5. ग्रहपथ या ग्रहकक्ष 6. समुदाय, समूह, संग्रह, 6. सफेद कोढ़ जिसमें गोल चकत्ते होते हैं 7. दर्पण / संधात,टोली, वन्द-एवं मिलितेन कुमारमण्डलेन-दश०, मण्डलयति (ना० धा० पर०) गोल या वृत्ताकार बनाना। अखिल चारिभण्डलम-रघु०४।४ 7. समाज, सम्मेलन मण्डलायित (वि.) मण्डलवत आचरितम-मण्डल-क्यङ, 8. बड़ा वृत 9. दृश्य क्षितिज 10 जिला या प्रान्त दीर्घः, मण्डलाय+क्त] गोल, वर्तुल,---तम् गेंद, 11 पड़ौस का जिला या प्रदेश 12. (राजनीति में) गोलक / किसी राजा के निकट और दूरवर्ती पड़ौसियों का गढ़ मण्डलित (वि०) [मण्डलं कृतं-मण्डल---क्विप-मण्डल ----उपगतोऽपि मण्डलनाभिताम् -रघु० 915 +क्त गोल बना हुआ, वर्तुल या गोल बनाया हुआ। (मल्लि द्वारा उद्धृत कामन्दक के अनुसार राजा | मण्डलिन् (वि०) [मण्डल-+ इनि] 1. वृत्त बनाने वाला, के निकट और दूरवर्ती पड़ोसियों के गढ़ में बारह कुण्डलाकृत 2. देश का शासन करने वाला, (पुं०) राजा सम्मिलित है। एक तो केन्द्रीय राजा या 1. एक प्रकार का साँप 2. सामान्य सर्प 3. बिलाव विजिगीष, पांच अग्रवर्ती राज्यों के राजा, चार पश्च- 4. ऊदबिलाव 5. कुत्ता 6. सूर्य, 7. बटवृक्ष 8. किसी वर्ती राज्यों के राजा, एक मध्यम या अन्तर्वर्ती राजा | प्रांत का शासक / तथा एक उदासीन अथवा तटस्थ राजा / अग्रवर्ती और मण्डित (वि.) [मण्ड+क्त अलंकृत, भूषित / पश्चवर्ती राजाओं की विशेष संज्ञाएं हैं-दे० तद्गत | मण्डकः मण्डयति वर्षासमयं-मण्ड+ऊकण] मेंढक-निमल्लि० तु. शि. 2 / 81 भी तथा इसके ऊपर पानमिव मण्डूका: सोद्योगं नरमायान्ति विवशाः सर्वमल्लि। कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार ऐसे राजाओं संपदः, सुभा०,-कम् स्त्रीसंभोग का एक प्रकार, की संख्या, चार, छ:, आठ, बारह या इससे भी अधिक रतिबन्धविशेष, ---की 1. मेंढकी 2. व्यभिचारिणी स्त्री है-दे० याज्ञ० 12345 पर मिता० और दूसरे 3. कुछ पौधों के नाम / सम०-अनुवत्ति,--प्लुतिः विद्वानों के अनुसार गुट्ट में केवल तीन ही राजा होत (स्त्री०) 'मेंढकों की उछल कूद' बीच बीच में छोड़ है-प्राकृतारि या स्वाभाविक शत्रु (बगलवाले देश देना, बीच में छोड़कर आगे फलांग जाना (व्याकरण का प्रभु), प्राकृत मित्र या स्वाभाविक दोस्त (केन्द्रीय में यह शब्द कुछ सूत्र छोड़ कर उनके पूर्ववर्ती सूत्र राजा से मिले हुए दूसरे अन्य राज्यों के बाद जिसका से आपूर्ति करने के निमित्त प्रयुक्त होता है)-क्रिया राज्य हो) और प्राकृतोदासीन या स्वाभाविक तटस्थ ग्रहणं मण्डूकप्लुत्यानुवर्तते--सिद्धा०-कुलम् मेंढकों का (जिसका राज्य स्वाभाविक मित्रराष्ट्र से भी परे समूह,-योग: भाव-समाधि का एक प्रकार जिसमें हो)। 13. बन्दूक का निशाना लगाते समय विशेष साधक मेंढक की भांति निश्चल होकर समाधिस्थ पैतरा 14. दिव्य विभूतियों का आवाहन करने के होता है,--सरस् (नपुं०) मेंढकों से भरा हुआ सरोवर / लिए एक प्रकार का गुप्त रेखाचित्र या तंत्र, मण्डुरम् [मण्ड+ऊरच लोहे का जंग, लोहे का मैल (यह 15. ऋग्वेद का एक खण्ड (समस्त ऋग्वेद दस मण्डलों पौष्टिक औषधि के रूप में प्रयुक्त होता है)। For Private and Personal Use Only