________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 736 ) की अन्तर्वस्तु,---मूल्यम् बर्तनों के रूप में पूँजी, शाला। के कारण ऐसी स्त्री के लिए 'चंडी' शब्द भी प्रयुक्त गोदाम, भण्डार। हुआ है)-उपचीयत एव कापि शोभा परितो भामिनि भाण्डकः,-कम् [भाण्ड+कन् ] छोटा बर्तन, कटोरा,-कम ते मुखस्य नित्यम् --भामि० 2 / 1 / माल, पण्यसामग्री, बर्तन / भारः [भनघन ] 1. बोझ, वजन, तोल (आलं० से भाण्डारम् [भाण्ड-ऋ+अण] गोदाम, भण्डार / भी) कूचभारानमिता न योषितः----भर्त० 3 / 27, इसी भाण्डारिन् (पुं०) [ भाण्डार+इनि ] गोदाम या भंडार | प्रकार-श्रोणीभार--मेघ० 82, भारः कायो जीवितं का रखवाला। वज्रकीलम् --मा० 9 / 37, 2. (आक्रमण आदि का) भाण्डिः (स्त्री०) [भण्ड-1-इन् पृषो० साधुः] उस्तरे का घर, धक्का, (युद्ध आदि का) अत्यन्त घिचपिच भाग पेटी। सम० बाहः नाई,--शाला नाई की दुकान / -- उत्तर० 5 / 5 3. अतिरेक, मार या उड़ान-रघु० भाडिकः,-ल: [ भाण्ड-+ठन्, भांडि+लच् ] नाई / 14 / 68 4. श्रम, मेहनत, आयास 5. राशि, बड़ी मात्रा भाण्डिका [भाण्डि-|-कन्+टाप्] उपकरण, औजार, यन्त्र / —कच', जटा° 6. 2000 पल सोने के तोल के भाण्डिनी | भाण्ड / इनिङीप ] पेटी, टोकरी। बराबर 7. बोझा ढोने के लिए जुआ। सम०-आक्रान्त भाण्डीरः [ भण्ड् +ईरच्, पृषो० साधुः ] बड़ का या गूलर | (वि०) बोझ से अत्यन्त दबा हुआ, अधिक बोझा का वृक्ष। लिए हुए,--उद्वहः कुली, बोझा ढोने वाला, उपजीवभात (भू० क० कृ०) [भा+क्त] चमकता हुआ, जग- नम् बोझा ढोकर जीवन-यापन करना, कुली का मगाता हुआ, चमकीला,--तः उषःकाल, प्रभात, जीवन, यष्टिः बोझ उड़ाने की लकड़ी, वाह (वि.) प्रातःकाल / (स्त्री-भारोही), बोझा ढोने वाला, वाहः बोझा ले भातिः (स्त्री०) [भा-+-क्तिन् ] 1. प्रकाश, चमक, कान्ति, जाने वाला, कुली,-वाहनः बोझा ढोने वाला जानवर आभा 2. प्रत्यक्षज्ञान, ज्ञान या प्रतीति / (नम्) गाड़ी, मालगाड़ी का डिब्बा, वाहिक: कुली, भातुः [ भा+तुन् ] सूर्य / ---सह (वि०) जो अधिक बोझा उठा सके, (अतः) भाद्रः, भाद्रपदः | भाद्रपदी वा पौर्णमासी अस्मिन् मासे बहुत मजबूत, बलवान्, हरः, . हारः बोझा ढोने भाद्री (भाद्रपदी)+अण् ] चांद्रवर्ष के एक मास का वाला, कुली, हारिन् (पुं०) कृष्ण का विशेषण / नाम (अगस्त और सितम्बर के मास में आने वाला), [आर सितम्बर क मास म आने वाला),भारण्डः[?] एक प्रकार का काल्पनिक पक्षी जिसका –दाः (स्त्री०-ब० व०) पच्चीसवाँ और छब्बीसवाँ वर्णन केवल कहानियों में पाया जाता है ('भारुड' नक्षत्र (पूर्वाभाद्रपदा और उत्तराभाद्रपदा)। भी ) पंच० 5.102 / भाद्रपदी, भाद्री [भाद्रपद -डीप्, भद्रा+अण् + ङीष् ] | भारत (वि.) (स्त्री०. ती) [भरत-अण् ] भरत से भाद्रपद मास की पूर्णिमा / संबन्ध रखने वाला या भरत की सन्तान,-तः 1. भरत भाद्रमातुरः [ भद्रमातुरपत्यम् ---भद्रमातृ-अण, उकारा की सन्तान 2. भारतवर्ष या हिन्दुस्तान का निवासी देशः ] सती साध्वी माता का पुत्र / 3. अभिनेता, तम् 1. भरत का देश, भारत शि० भानम् [भा भावे ल्युट ] 1. प्रकट होना, दृश्यमान 1415 2. संस्कृत में लिखा हुआ एक अत्यन्त प्रसिद्ध 2. प्रकाश, कान्ति 3. प्रत्यक्षज्ञान, ज्ञान / महाकाव्य जिसमें अनन्त उपाख्यानों के साथ भरतवंशी भानुः [ भा+नु] 1. प्रकाश, कान्ति, चमक 2. प्रकाश- राजाओं का इतिहास पाया जाता है (व्यास या कृष्ण किरण-मण्डिताखिलदिकप्रान्ताश्चण्डांशोः पान्तु भानवः द्वैपायन इसके रचयिता माने जाते हैं परन्तु यह जिस -भामि०१।१२९, शि०२।५३,मनु०८।१३२ 3. सूर्य, विशाल रूप में आज मिलता है निश्चित रूप से अनेक --भानुः सकृद्युक्ततुरंग एव----श० 5 / 4, भीमभानी व्यक्तियों की रचना है)-श्रवणांजलिपुटपेयं विरचितनिदाघे--भामि०१।३० 4. सौन्दर्य 5. दिन 6. राजा, वान् भारताख्यममृतं यः, तमहमरागमकृष्णं कृष्णद्वैपाराजकुमार, प्रभु 7. शिव का विशेषण-स्त्री० सुन्दर यनं बंदे-वेणी० 114, व्यासगिरां निर्यासं सारं स्त्री। सम..-केश (स) र: सूर्य,--जः शनिग्रह विश्वस्य भारतं वन्दे, भूषणतयैव संज्ञां यदडितां -दिनम्, -वारः रविवार, इतवार। भारती वहति आर्या०३१, ती वाणी, वाच्य, वचन, भानुमत् (वि०) [भानु+मतुप्] 1. ज्योतिर्मान्, चमकीला, वाणी-प्रवाह भारतीनिर्घोषः -उत्तर० 3, तमर्थमिव जगमग करता हुआ 2. सुन्दर, मनोहर-पुं० सूर्य कु. भारत्या सुतया योक्तुमर्हसि-कु० 679 नवरसरुचिरां 3165, रघु० 6 / 36 ऋतु० 5 / 2, तो दुर्योधन की निमितिमादधती भारती कवेर्जयति-काव. 1 पत्नी का नाम / 2. वाणी की देवता, सरस्वती 3. विशेष प्रकार की भामिनी [ भाम् +णिनि+डीप् ] 1. सुन्दर तरुणी, शैली--प्रारती संस्कृतप्रायो वाग्व्यापारो नटाश्रयः-- कामिनी----रघु० 8 / 28 2. कामुकी स्त्री (बहुत प्यार | सा० द० 285 4. लवा, बटेर / For Private and Personal Use Only