________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैसा कि 'प्रतिज्ञायाः पारं गतः', पूर्ण रूप से आत्मसात / पारतः [ पारं तनोति . पार+तन्-|-ड ] पारा / करना, प्रवीण होना-सकलशास्त्र पारंगतः,--र: पारा | पारतंत्र्यम् [परतंत्र+-व्यञ् ] पराश्रयता, अधीनता, अनु(पार 'दूसरी ओर' 'परे' कई बार समास में प्रयुक्त / सेवा। होता है --उदा० पारेगंगम्, पारेसमुद्रम् - गंगा के पारत्रिक (वि.) (स्त्री० की) [ परत्र- ठक ] 1. पर. पार या समुद्र के पार) / सम०--अपारम् --अवारम् लोक संवन्धी 2. भावी जीवन के लिए उपयोगी। दोनों तट, पास का और दूर का (रः) समुद्र, सागर पारच्यम् [ परत्र-1 प्या भावी जीवन में प्राप्य फल, - --शोकपारावारमुत्तर्तुमशक्नुवती---दश० 4, भामि० परलोक फल मनु० 2 / 236 / / ४।११,--अयणम् 1. पार जाना 2. पूरा पढ़ना, अनु- पारयः [ पारं ददाति .. पार-|-दा-न-क] पारा--निदर्शनं शीलन, आद्योपान्त अध्ययन 3. समग्रता, सम्पूर्णता, पारदोऽत्र रस:- भामि० 182 या किसी वस्तु की समष्टि-जैसा कि 'ब्रह्मपारायण पारवारिकः परदाग-। ठक् ] पभिचारी, परदारगामी या मंत्रपारायण' में,...-अयणी . सरस्वती देवी 2. -याज्ञ०२।२९५ / / चिन्तन, मनन 3. कृत्य, कर्म 4. प्रकाश,-काम परदार्यम् | परदार-व्यञ 1 व्यभिचार, परदारगमन (वि.) दूसरे किनारे तक जाने का इच्छुक, -ग .. मनु० 11159, याज्ञः 3 / 235 / (वि.) 1. पार जाने बाला, नाव से पार उतरने पारवेशिक (वि०) (स्त्री० की) [परदेश+रका वाला 2. जो पार पहुंच चका है, जिसने किसी ग्रंथ विदेशी, बाहर के देश का, कः 1. विदेश का रहने का पूरा अध्ययन कर लिया है, पूर्णपरिचित, पूरा वाला 2. यात्री। ज्ञाता (संब० के साथ, या समास में)-मनु० 2 / 148, | पारदेश्य (वि०) (स्त्री० यी) [ परदेश प्यन 11. याज्ञ. 1 / 111 3. प्रकाण्ड विद्वान्,---गत, गामिन् विदेश से संबंध रखने वाला, विदेशी, श्यः 1. अन्य (वि.) जो तट के दूसरी ओर पहुंच गया है,--वर्शक देश का रहने वाला 2. यात्री। (वि.) 1. सामने के तट को दिखलाने वाला 2. / पारभुतम् | इसका शुद्ध रूप संभवत: 'प्राभूत' है | उपहार, जिसके आर पार दिखाई दे, ---दृश्यन् (वि०) 1. भेंट। दूरदर्शी, बुद्धिमान्, समझदार 2. जिसने किसी वस्तु का पारमहंस्यम् [परमहंस--व्या / सर्वोत्कृष्ट सन्यासत्ति, द्रसरा किनारा देख लिया है, जिसने किसी बात को पूर्ण मनन / सम० परि (अव्य० ) इस प्रकार के सन्यासी रूप से जान लिया है-श्रुतिपारदृश्वा रघु० 5 / 24 / से सम्बन्ध रखने वाला। पारक (वि.) (स्त्री...की) [ पण्विल] 1. पार करने पारमाथिक (वि.) (स्त्री०-की) | परमार्थ | ठक् ] की योग्यता रखने वाला 2. आगे ले जाने वाला, 1. परमार्थ' अर्थात सर्वोपरि सत्य अथवा अध्यात्म ज्ञान बचाने वाला, सौंपने वाला 3. प्रसन्न करने वाला, से संबन्ध रखने वाला 2. वास्तविक, आवश्यक, यथार्थ संतुष्ट करने वाला। में विद्यमान सत्ता विविधा पारमाथिकी, व्यावहापारक्य (वि.) [ परस्मै लोकाय हितम् --पर+प्या, रिकी प्रातीतिकी च वेदान्त 3. सत्य का ध्यान रखने कुक् ] 1. पराया, दूसरे का 2. दूसरों के लिए उद्दिष्ट बाला, सत्यप्रय न लोकः पारमाथिक: पंच। 3. विरोधी, शत्रुतापूर्ण,-क्यम् परलोक साधन, पवित्र 11312 3. सर्वश्रेष्ट, सर्वोत्कृष्ट, सर्वोत्तम / आचरण / पारमिक (वि०) (स्त्री०-की) [ परम+ ठक् / सर्वोपरि, पारग्रामिक ( वि०) (स्त्री०- की) [ परग्राम+ठक् ] सर्वोत्तम, मुख्य, प्रधान / पराया, विरोधी, शत्रुतापूर्ण / पारमित (वि०) [ पारमितः प्राप्त:-अलुक स. 1. दूसरे पारज (40) [ पार-णिच+अजि ] सोना, स्वर्ण। तट या किनारे पर गया हुआ 2. पार पहुंचा हआ, पारजायिकः | परजायां गच्छति--परजाया 1-ठक | व्यभि- आर-पार गया गया हुआ 3. परमोत्कृष्ट / चारी पुरुष। पारमेष्व्यम् [परमेष्टिन्+प्य1. सर्वोपरिता, उच्चतम पारटीट:,--नः (पुं०) पत्थर, चट्टान / पद 2. राजचिह्न। पारण (वि.) पिल्यट] 1. पार ले जाने वाला, उवा- पारंपरीण (वि०) (स्त्री-णी) [परंपरा--- खा] परंपरा रने वाला 2. बचाने वाला, उद्धार करने वाला,---: प्राप्त, आनुवंशिक, वंशक्रमागत। 1. बादल 2. संतोष,-णम् 1. निष्पन्न करना, पूरा पारंपरीय (वि०) परम्परा---छपरम्पराप्राप्त, आनकरना 2. पाठ करना, बांचना 3. व्रत (उपवास) के वशिक / पश्चात भोजन करना, ब्रत खोलना .. कारय चक्षुषी पारंपर्यम् (परम्परा-ष्या] 1. आनवंशिक ऋम, अवि. पारणम् विद्ध० 1, 2 / 39, 55, 70, भोजन करना। च्छिन्न क्रम 2. परम्परा से प्राप्त शिक्षा, परम्परा ----कु० 5 / 22. (अभ्यवहारकर्म-मल्लि०) / 3. अन्तर्वतिता, मध्यस्थता / सम०-- उपदेशः परंपरा For Private and Personal Use Only