________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिचयो मलिनात्मनां प्रधानम् ----शि०७।६१, गंगा० / प्रनायक (वि०) [प्रगतो नायको यस्मात् प्रा० स० ब०] 18, प्रयोगप्रधानं हि नाट्यशास्त्रम्--मालवि० 1, 1. जिसका नेता विद्यमान न हो 2. नायक या पथशमप्रधानेषु तपोधनेष -श० 2 / 7, रघु० 679 प्रदर्शक से रहित / 2. प्रथम विकासकर्ता, जन्मदाता, भौतिक सष्टि का प्रनालः,-ली (स्त्री०) [प्रा० स०] दे० प्रणाल और स्रोत, प्रथम जीवाणु जिसमें से यह समस्त भौतिक प्रणाली। संसार विकसित हुआ है (सांख्य० के अनुसार)-न | प्रनिघातनम् [प्र+नि+हन्-णिच् + ल्युट ] वध, हत्या। पुनरपि प्रधानवादी अशब्दत्वं प्रधानस्यासिद्धमित्याह | प्रनत्त (वि.) [प्र+नत्+क्त ] नाचने वाला,---सम् -शारी०,दे० 'प्रकृति' भी 3. परमात्मा 4. बुद्धि 5. किसी | नाच। मिश्रण का मुख्य अंग,--नः, -नम् 1. राजा का मुख्य प्रपक्षः [प्रा० स०] पंख का अंतिम सिरा। सेवक या सहचर (उसका मन्त्री या अन्य विश्वस्त प्रपञ्चः [प्रा० स०] 1. प्रदर्शन, प्रकटीकरण-रागप्रायः पुरुष) 2. महानुभाव, राजसभासद 3, महावत, प्रपञ्चः-का० 141 2. विकास, फैलाव, विस्तार -अङ्गम् 1. किसी वस्तु की मुख्य शाखा 2. शरीर का ---शि० 20144 3. विस्तारण, विशद व्याख्या, मुख्य अंग 3. राज्य का प्रधान या प्रमुख व्यक्ति / स्पष्टीकरण, विवरण 4. सुविस्तारता, प्रसार बाहुल्य --अमात्यः प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री,-आत्मन् (पुं०)विष्णु -अलं प्रपञ्चेन 5. बहुविधता, विविधता 6. ढेर, प्राचुर्य, का विशेषण, धातः शरीर का मुख्य तत्व अर्थात् मात्रा 7. दर्शन, दृश्यवस्तु 8. माया, जालसाजी वीर्य, शुक्र, पुरुषः 1. प्रमुख व्यक्ति (राज्य का), 9. दृश्यमान जगत् जो केवल माया, और नानात्व 2. शिव का विशेषण,-मन्त्रिन (पुं०) राज्य का सबसे का प्रदर्शन मात्र है / सम-बुद्धि (वि.)धूर्त, कपटी, बड़ा मंत्री, वासस् (नपुं०) मुख्य वस्त्र, वृष्टिः --वचनम् विस्तृत प्रवचन, प्रसारयुक्त बातचीत / (स्त्री०) वर्षा की भारी बौछार / प्रपञ्चयति (नामधातु-पर०) 1. दिखलाना, प्रदर्शन करना प्रधावनः [प्र.+धात् + ल्युट् ] वायु, हवा, नम् रगड़ देना, -प्रपञ्चय पञ्चमम् --गीत० 10 2. विस्तार करना, घो देना। प्रसार करना। प्रधिः[प्र-धा-कि11. पहिय की नाभि या परिणाह | प्रपउचित (भ० क००) [प्र---पंच+क्त 11. प्रशित -शि० 15179, 17 / 27 2. कुओं। 2. विस्तारित, प्रसारित 3. फैलाया गया, पूरी व्याख्या प्रधी (वि.) [प्रकृष्टा धीः यस्य-प्रा०८. | कुशाग्रबुद्धि, की गई, विशदीकृत 4. भूल जाने वाला, भटका हुआ (स्त्रो०) बड़ी बुद्धि, प्रज्ञा / 5. धोखे में आया हुआ, छला हुआ। प्रधूपित (भू० क० कृ०) [प्र-धूप् क्त | 1. सुवासित, प्रयतनम् प्रयत्+ ल्युट ] 1. उड़ जाना 2. गिराना, "सुगंधयत 2. गर्माया हुआ, तपाया हुआ 3. प्रज्वलित अवपात 3. अवतरण 4. मृत्य, विनाश 5. खड़ी चट्टान, 4. संतप्त, ता 1. कप्टग्रस्त स्त्री 2. वह दिशा जिस ढलवाँ चट्टान / ओर सूर्य बढ़ रहा हो। प्रपदम् [ प्रा० स०] पर का अग्रभाग। प्रधृष्ट (भू० क० कृ०) [प्र-+-धृष्+क्त 1. तिरस्कार प्रपदीन (वि.) [प्रपद--ख ] पैर के अग्रभाग से संबद्ध, "पूर्वक बर्ताव किया गया 2. घमंडी, अहंकारी, दृप्त या या अग्रभाग तक विस्तृत / अभिमानी। प्रपन्न (भू० क. कृ.) [प्र+पद+क्त ] 1. पधारने प्रध्यानम् [ प्र+ध्य + ल्युट् ] 1. गहन विचार या विमर्श वाला, पहुँचने या जाने वाला 2. आश्रय ग्रहण करने 2. विचार या विमर्श / वाला, अपनाने वाला-कु० 315, 5 / 59 3. शरण लेने प्रध्वंसः [प्र-न-ध्वंस् / घा] सर्वथा विनःश, संहार / सम० वाला, संरक्षण ढूंढने वाला, प्रार्थी, दीन, याचक -अभावः विनाशजनित अभाव, चार प्रकार के अभावों -~~-शिष्यस्तेऽहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम्--भग० 27, में से एक, जिसमें विनाश से अभाव की उत्पत्ति होती 4. अनुसरण करने वाला 5. सुसज्जित, युक्त, आधिहै, जैसे कि किसी वस्तु की उत्पत्ति के पश्चात् / पत्य प्राप्त--श० 111. 6. प्रतिज्ञात 7. हासिल, प्रध्वस्त (भू० क० कृ०) [7--ध्वंस- क्त संहार किया प्राप्त 8. बेचारा, कष्टग्रस्त / हुआ, पूर्ण रूप से नष्ट किया हुआ। प्रपन्नाडः [प्रपन्न |-अल+अण, डलयोरभेदः ] दे० प्रनप्त (पुं०) [प्रगतो नप्तारं जनकतया प्रा० स० पौत्र 'प्रपुनाट'। का पुत्र, प्रपौत्र। प्रपर्ण (वि०) प्रपतितानि पर्णानि यस्य-प्रा० ब०] प्रनष्ट (भू.क. कृ०) प्र!-नम् -- तत | 1. अन्तर्धान, पत्तों से रहित (बक्ष),-र्णम् गिरा हुआ पत्ता। लुप्त, अदृश्य 2. खोया हुआ 3. भिटा हआ, मृत | प्रपलायनम् [प्र+परा-अय+ल्यट, रस्य ल:] भाग 4. बरबाद, समुच्छिन्न, उन्मूलित / खड़ा होना, प्रत्यावर्तन। For Private and Personal Use Only