________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रेम-खम् [प्र+इत् +घञ् ] झूलना, पेंग (झोटा) प्रत्य (अव्य०) [प्र+5+क्त्वा+ ल्यप् ] (इस संसार से) लेना। विदा होकर मरने के पश्चात दूसरे लोक में -न च ण (वि०) [प्र+इल + ल्युट् ] घूमन वाला, इधर तत्प्रेत्य नो इह--भग० 17 / 28, मनु० 2 / 9,26 / उधर फिरने वाला, प्रविष्ट होने वाला--भट्टि सम-जातिः (स्त्री०) परलोक की स्थिति,-भावः 9 / 106,- 1. झूलना 2. झूला 3. नायक, सूत्रधार / मरने के पश्चात् आत्मा की अवस्था। आदि पात्रों से शून्य एकांकी नाटक-सा० द. द्वारा प्रेत्वन् (पुं०) [प्र+इ+क्वनिप, तुकागम: ] 1. वायु दी गई परिभाषा-गर्भावमर्शरहितं प्रेसणं हीननायकम, 2. इन्द्र का विशेषण / असूत्रधारमेकाङ्कमविष्कम्भ प्रवेशकम्, नियुद्धसंफोटयुतं प्रेसा [प्र+आप+सन् +अ+टाप् ] 1. प्राप्त करने की सर्ववृत्तिसमाश्रितम् / 547, उदा० 'वालिवध'। इच्छा 2. इच्छा / प्रेमा [प्र+इंख्+अड-+टाप् ] 1. झूला 2. नृत्य 3. पर्य B IJI झूला 2. नृत्य 3. पय- | प्रप्सु (वि.) [प्र--आप् सन्+उ] 1. प्राप्त करने का टन, धूमना, यात्रा करना 4. एक प्रचार का भवन या इच्छुक, कामना करता हुआ, अभिलाषी, प्रबल इच्छुक घर 5. घोड़े का विशेष कदम / 2. उद्देश्य रखने वाला। प्रेशन्त (भू. क.कृ.) [प्र+इल+क्त ] झूला हुआ, प्रेमन (पं०, नपुं०) [ प्रियस्य भावः इमनिच् प्रादेशः _ हिलाया हुआ, प्रदोलित या डांवाडोल / एकाच्कत्वात् न टिलोपः - तारा०] प्रेम, स्नेह-तत्प्रेमप्रेलोल (चुरा० उभ०—प्रेङ्खोलयति--ते) झूलना, हिलना | हेमनिकषोपलतां तनोति-गीत० 11, मेघ० 44 डांवाडोल होना। 2. अनुग्रह, कृपा, कृपापूर्ण या मृदु व्यवहार 3. आमोदप्रेसोलनम् [प्रेढोल-+ ल्युट्] 1. झूलना, हिलना, इधर से ! प्रमोद, मनोविनोद 4. हर्ष, खुशी, उल्लास। सम० उधर प्रदोलित होना 2. झूला, पेंग। - अश्रु (नपुं०) हर्षाश्रु, स्नेहाश्रु,-ऋद्धिः (स्त्री०) प्रेत (भू० क. कृ.) [प्र+इ+क्त ] इस संसार से गया स्नेहवर्धन, उत्कट प्रेम, --पर (वि०) स्नेहशील, प्रिय, हुआ, ---मृत-स्वजनाश्रु किलातिसंततं दहति प्रेतमिति - पातनम् 1. (हर्ष के) आँसू 2. (आँसू गिरानेवाली) प्रचक्षते-रघु० ८।२६,-तः 1. दिवंगत आत्मा, आँख, - पात्रम् प्रेम की वस्तू, कोई प्रिय व्यक्ति या और्वदेहिक क्रिया किय जाने से पूर्व जीव की अवस्था / जान से पूर्व जाव को अवस्था / वस्तु, ---बन्धः बन्धनम् स्नेहबन्धन, प्रेम की फाँस / 2. भूत, पिशाच-भग० 1714, मनु० 12171 / प्रेमिन् (वि०) (स्त्री०-णी) [प्रेमन+इनि] प्रिय, स्नेह-शील। सम०. अधिपः यमका विशेषण, अन्नम् पितरों को प्रेयस (वि.) (स्त्री०-सी) [अयमनयोः अतिशयन प्रियः अर्पित आहार,—अस्थि (नपुं) मृतक पुरुष की हड्डी, - प्रिय-ईयसुन, प्रादेश: 'प्रिय' की म० अ०] अधिक धारिन् शिव का विशेषण,—ईशः, ईश्वरः यम का प्यारा, अपेक्षाकृत प्रिय या रुचिकर (10) प्रेमी, विशेषण, उद्देशः पितरों के निमित्त अर्पण,–कर्मन पति (पुं०,नपुं०) चापलसी, सी पत्नी, स्वामिनी। (नपुं०)-कृत्यम्,-कृत्या और्ध्वदेहिक या अन्त्येष्टि प्रेयोपत्यः [अपत्यानां प्रेयः) बगुला, कंक पक्षी। संस्कार, - गहम कब्रिस्तान, शवस्थान,—चारिन (पुं०) कवि स्त्री-रिका) 11-1-ईर-1 णिच-+-वल] शिव का विशेषण, दाहः मुर्दे का जलाना, शवदाह, 1प्रेरित करने वाला, उत्तेजक, उद्दीपक 2. भेजनं ----धूमः चिता से उठता हुआ घूआँ,--पक्षः पितृपक्ष, वाला, निदेशक। आश्विन का कृष्णपक्ष जब कि पितरों के सम्मान में। प्रेरणम्-णा [प्र-+ ईर-णिच+ ल्युट | 1. प्रेरित करना, श्रद्धांजलियाँ अर्पित की जाती हैं, तु० 'पितपक्ष'। उत्तेजित करना, आगे बढ़ाना, उकसाना, भड़काना --पटहः अर्थी ले जाते समय बजाया जाने वाला 2. आवेग, आवेश 3. फेंकना, डालना भवति विफलढोल,-पतिः यम का विशेषण, -पुरम यमराज की प्रेरणा चूर्णमष्टि:-मेघ० 68 4. भेजना, प्रेषित करना नगरी,---भावः मृत्यु, भूमिः (स्त्री०) कब्रिस्तान, 5. आदेश, निदेश 6. (व्या० में) किसी ओर से कार्य शवस्थान,-शरीरम् वियुक्त जीव का शरीर, मत कराने की क्रिया, प्रेरणार्थक क्रिया। शरीर,- शुद्धिः (स्त्री),-शौचम् किसी संबंधी की प्रेरित (भू० क० कृ०) प्र / ईर् / णिच्+क्त] 1. आगे मृत्यु हो जाने पर शुद्धि पातक शुद्धि, ---श्राद्धम् किसी | बढ़ाया गया, उत्तेजित किया गया, उकसाया गया मत संबंधी के निमित्त बरसो से पहले 2 किये जाने 2. उत्तेजित, उद्दीपित, प्रणोदित 3. भेजा गया, प्रेषित वाली और्ध्वदेहिक (मासिक) क्रियाएँ,..- हारः 1. मत 4. स्पर्श किया गया, तः दूत, एलची।। शरीर को (श्मशानभूमि तक) ले जाने वाला प्रेष (भ्वा० उभ० प्रेषति-ते) जाना, चलना-फिरना। 2. निकट संबंधी। प्रेषः प्र. इष -+घञ] 1. भेजना, प्रेषण करना 2. दूत के प्रेतिक [प्रकर्षण इति गमनं यस्य प्रा० ब० प्र+इति रूप में भेजना, निदेश देना, भार या बोझ डालना, +कन्, ] भूत, प्रेत। आयुक्त करना। For Private and Personal Use Only