________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 663 ) सबसे चौड़ा, अत्यन्त विशाल ('पृथु' को अतिशया- किया हुआ, प्रदर्शन किया हआ 2. जतलाया गया वस्था ) / ____ 3. सिखाया हुआ 4. व्याख्या किया गया, उद्घोषित प्रथीयस् (वि.) (स्त्री०-सी) [पथु+ ईयसुन् ] अपेक्षा- किया गया। कृत बड़ा, चौड़ा, विशाल 'पृथु' की तुलनावस्था)। प्रदलः [प्र+दल+अ बाण, तीर। प्रथु (वि०) [प्रथ् + उण्] व्यापक, दूर दूरतक फैला हुआ। प्रदवः [प्र+दु+अभ् ] जलना, ज्वालाएँ उठना / प्रथुकः [प्रथ्-+-उक] चिउड़े, चौले, (तु. पृथुक)। | प्रदात (पुं०) [प्रदा +दम् ] 1. देने वाला, दानी प्रदक्षिण (वि०) [प्रा० स०] 1. दाईं ओर रक्खा हुआ, 2. उदार व्यक्ति 3. (विवाह में) कन्या दान करने या खड़ा हुआ दाईं ओर को घूमने वाला 2. सम्मान- वाला 4. इन्द्र का विशेषण / पूर्ण, श्रद्धालु 3. शुभ, शुभलक्षणयुक्त,—णः,---णा, प्रदानम् [ प्र+दा--ल्यट] 1. देना, प्रदान करना, अर्पण ---णम् बाई ओर से दाई ओर को घूमना जिससे करना, प्रस्तुत करना वर", अग्नि, काष्ठ° आदि कि दाहिना पार्श्व सदैव उस व्यक्ति या वस्तु की ओर 2. (विवाह में) कन्या दान करना, कन्या° 3. समर्पित हो जिसकी परिक्रमा की जा रही है, श्रद्धापूर्ण अभि- करना, अध्यापन करना, शिक्षा देना, विद्या 4. भेंट, वादन जो इस प्रकार प्रदक्षिणा द्वारा किया जाय दान, उपहार 5, अंकुश / सम०---शूरः अति दान--कु० 7179, याज्ञ. ११२३२,–णम् (अव्य०)1. बाई शील पुरुष, दाता। ओर से दाई ओर को 2. दाईं ओर को, जिससे कि | प्रदानकम् | प्रदान+कन् ] पुरस्कार, भेंट, दान, उपहार / दाहिना पार्श्व सदैव प्रदक्षिणा की गई व्यक्ति या प्रदायम् [प्र+दाघज, यक ] उपहार, भेंट / वस्तु की ओर रहे 3. दक्षिण दिशा में, दक्षिण दिशा प्रदिः, प्रदेयः [ प्रदा +कि, यत् वा ] उपहार, भेंट / की ओर -मनु० 4 / 87, (प्रदक्षिणी कृ) बाईं ओर | प्रदिग्ध (50 क० कृ०) [ प्र+दिह +क्त ] चिकनाई से दाई ओर को जाना (सम्मान प्रदर्शित करने के | लपेटी हुई, पोती हुई, मालिश किया हुआ,-----स्वम् लिए)-प्रदक्षिणीकुरुष्व सद्योहुताग्नीन् - श० 4, विशेष प्रकार से तला हुआ मांस / प्रदक्षिणीकृत्य हुतं हुताशनम् -रघु० 2171) / सम० प्रदिश (स्त्री०) [ प्रगता दिग्भ्यः-प्र+दिश्+क्विप् ] ...अचिस् (वि.) जिसकी दाईं ओर को ज्वालाएँ 1. संकेत करना 2. आदेश, निदेश, आज्ञा 3. परिधि उठती हों, दाईं ओर को ज्वालाएँ रखने वाला - का अन्तर्वर्ती बिन्दु जैसे कि नती, आग्नेयी, ऐशानी प्रदक्षिणाचिहविरग्निराददे-रधु० 3.14 (स्त्री०) / और वायवी। दाई ओर को मुड़ी हुई ज्वालाएँ-रघु० ४।२५,-क्रिया प्रविष्ट (भू० क० कृ.)[प्र+दिश्+क्त ] 1. दिखाया प्रदक्षिणा करना, सम्मान प्रदर्शित करने के लिए हुआ, संकेतित 2. निदिष्ट, आदिष्ट 3. स्थिर किया सम्माननीय व्यक्ति को दाईं ओर रखना- रघु० हुआ, आदेश लागू किया हुआ, नियोजित किया हुआ 1176, --पट्टिका सहन, आंगन / -रघु० 2 / 39 / प्रदग्ध (भू० क० कृ०) [प्र--दह क्त ] जलाया गया, प्रदीपः [प्र+दीप+-णिच् + क ] 1. दीपक, चिराग __भस्म किया गया। (आलं० से भी) अतैल पूराः सुरतप्रदीपा:---कु० प्रदत्त (भू० क० कृ०) [प्र | दा+क्त ] दे० 'प्रत्त'। 1 / 10, रघु० 2 / 24, 1614, कुलप्रदीपो नृपतिदिलीप: प्रदरः [प्रह-अप] 1. तोड़ना, फाड़ना 2. अस्थिभंग --रघु० 6174, 'कुल का दीपक या अवतंस' - 7 / 29 होना, दरार पड़ना, फटाब, छिद्र, विवर 3. सेना का 2. जो जानकारी कराता है, या बात को खोलकर तितर बितर होना 4. तीर 5. स्त्रियों को होने वाला। कहता है, व्याख्या, विशेषतः ग्रन्थों के नामों के अन्त एक रोग। में प्रयक्त, यथा महाभाष्य प्रदीप, काध्यप्रदीप आदि / प्रदर्पः | प्रा० स०] धमंड, अहंकार / / प्रदीपन (वि०) (स्त्री०-नी) [प्र.--दीप+णिच् + ल्युट् ] प्रदर्शः [प्र.दृश् / घा] 1. दृष्टि, दर्शन 2. निदेश, आज्ञा / 1. जलाना 2. उद्दीपित करना, उत्तेजित करना,-नम् प्रदर्शक (वि०) [प्र-दश+ण्वुल] दिखलाने वाला, | सुलगाने की क्रिया, जलाना, उदीप्त करना,-नः एक प्रकट करने वाला। प्रकार का खनिज विष / प्रदर्शनम् [प्र+दश+ल्युट ] 1. दृष्टि, दर्शन जैसा कि | प्रदीप्त (भ० क० कृ०) [प्र+दीप् / क्त ] 1. सुलगाया 'धोरप्रदर्शनः' में 2. प्रकट होना, प्रदर्शन करना, दिख- हुआ, जलाया हुआ, प्रज्वलित, प्रकाशित 2. देदीप्यलाना, प्रदर्शनी, नुमायश 3. अध्यापन, व्याख्या करना मान, जाज्वल्यमान, प्रकाशमान 3. उठाया हुआ, 4. उदाहरण / विस्तारित---प्रदीप्तशिरसमाशीविषम्-. दश० 4. उद्दी प्रदर्शित (भूक०कृ०)[प्र.--दृश् ।-णिच् + क्त दिखलाया | पित, उत्तेजित (क्षुधा आदि)। हुआ, सामने रक्खा हुआ, प्रकट किया हुआ, प्रकाशित | प्रदुष्ट (भू० क० कृ०) [प्र+दुष्+क्त ] 1. बिगड़ा For Private and Personal Use Only