________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ला (प्र+मील-अ-+-टाप्] 1. तन्द्रा, आलस्य, उत्साह- प्रमोक्षः [प्र+मोक्ष +घञ्] 1. गिराना, गिरने देना हीनता 2. स्त्रियों के राज्य की प्रभुसत्ताप्राप्त स्त्री का 2. मुक्त करना, स्वतंत्र करना / नाम, (जब अर्जुन का घोड़ा उस स्त्री के राज्य में | प्रमोचनम् [प्र+मुच्+ल्युट्] 1. मुक्त करना, स्वतंत्र पहुँचा तो उसने अर्जुन के साथ युद्ध किया, परन्तु छोड़ना 2. उगलना, छोड़ना। अर्जुन के विजय हो जाने पर प्रमीला, अर्जुन की पत्नी प्रमोदः [प्र+मुद्+घञ्] हर्ष, आह्लाद, उल्लास, प्रसन्नता बन गई। -प्रमोदनृत्यैः सह वारयोषिताम् -- रघु० 3 / 19, प्रमीलित (भ० क. कृ०) [प्रमील- क्त] / मनु० 3161 / आँखों वाला। प्रमोदनम् [प्र+मुद्+णिच् +ल्यट] 1. आह्लादित करना प्रमुक्त (भू० क० कृ०) [प्र-मच्+क्त] 1. शिथिलित आनंदित करना, प्रसन्न करना 2. प्रसन्नता.. नः विष्णु 2. स्वाधीन किया हुआ, स्वतंत्र छोड़ा हुआ 3. तितिक्ष, 1 का विशेषण। विरक्त 4. डाला हुआ, फेंका हुआ। सम०-कण्ठम् | प्रमोदित (भू० क० कृ०) [प्र+मद+णि+क्त ] (अव्य०) फूट फूट कर। प्रसन्न, आह्लादित, हृष्ट, आनंदित,--सः कुबेर का प्रमुख (वि.) [प्रा० ब०] 1. मुंह किये हुए, मुंह मोड़े हुए विशेषण। 2. मुख्य, प्रधान, अग्रणी, प्रथम 3. (समास के अंत में) प्रमोहः [प्र-+ मुह,+घञ ] 1. मूर्छा, बेहोशी, जडता (क) प्रधानता में, प्रधान या मख्य बनाकर-वासुकि ---तिरयति करणानां ग्राहकत्वं प्रमोहः मा० 1 / 41, प्रमुखाः कु० 2 / 38 (ख) से युक्त, सहित प्रीति 2. विकलता, घबड़ाहट / / प्रमुखवचनं स्वागतं व्याजहार-मेघ० 4, खः 1. प्रमोहित (भू० क. कृ०) [प्र+मुह.+णिच्+क्त ] आदरणीय पुरुष 2. ढेर, समुच्चय,-खम् 1. मुंह आकुलित, उद्विग्न, घबड़ाया हुआ। 2. अध्याय या परिच्छेद का आरम्भ (प्रमुखतः, प्रमुखे प्रयत (भू० क० कृ०) [प्र+यम्+क्त ] 1. नियंत्रित, क्रिया विशेषण के रूप में प्रयक्त होकर के सामने जितेन्द्रिय, पूत, पावन, भक्त, घार्मिक अनुष्ठानों एवं 'सामने' के विरुद्ध' अर्थ को प्रकट करते है.. भग० साधनाओं से जिसने अपने आपको पवित्र बना लिया 1225, श० 7 / 22) / है, आत्मसंयमी,--रघु० 1195, 8111, 13 / 70, कु. प्रमुग्ध (वि०) [प्र+मुह, --क्त] 1. मूर्छित, अचेत, | 1158, 3 / 16 2. सोत्साह, अत्युत्सुक 3. सुशील, 2. अत्यंत प्रिय। विनम्र / प्रमद् (स्त्री०) (प्र+मद-+क्विप] अत्यंत हर्ष / प्रयत्नः [प्र-यत्-+-नङ ] 1. प्रयास, चेष्टा, उद्योग-रघ० प्रमुदित (भू० क. कृ.) [प्र+मुद्+क्त] उल्लसित, 2156, मुद्रा० 5 / 20 2. अनवरत प्रयास, धैर्य 3. श्रम ___ आह्लादित, प्रसन्न, आनन्दित / सम०-हृदय (वि०) कठिनाई. प्रयत्नप्रेक्षणीयः संवत्त:---श०१, 'दुर्दश्य' प्रसन्नमना / 'दुर्दष्ट' 4. बड़ी सावधानी, चौकसी--कृतप्रयत्नोऽपि प्रमुषित (भू० के० कृ०) [प्र--मुष---क्त] चुराया हुआ, गृहे विनश्यति - पंच०१।२०५ 5.(व्या० में ) उच्चारण अपहृत--शि० १७।७१,–ता एक प्रकार की पहेली। में प्रयास, मख का वह व्यापार जिसके सहारे वर्णों प्रमुढ (भू० क. कृ०) [प्र-+मुह +क्त] 1. विस्मित, का उच्चारण होता है। उद्विग्न, व्याकुल 2. मूर्ख, जड़। प्रयस्त (भू० क. कृ.) [प्र+यस+क्त ] अभ्यस्त, प्रमृत (भू० क० कृ०) [प्र+म+क्त] मरा हुआ, मृतक, सिझाया हुआ, मसाले आदि डाल कर स्वादिष्ट किया - तम् 1. मृत्यु 2. खेती / प्रमृष्ट (भू० क. कृ.) [प्र+म+क्त] 1. रगड़ दिया | प्रयागः [प्रकृष्टों यागफलं यत्र-प्रा.ब.] 1. यज्ञ 2. इन्द्र गया, धो दिया गया, मिटा दिया गया, साफ किया गया- 3. घोड़ा 4. वर्तमान इलाहाबाद के पास गंगा यमुना रघ०६१४१,४४2. चमकाया हुआ, चमकीला, स्वच्छ / के संगम पर बना प्रसिद्ध तीर्थस्थान---मनु० 2021 प्रमेय (वि.) [प्र+मा-+-यत्] 1. मापे जाने योग्य, (इस अर्थ में शब्द नपुं० भी है)। सम-भयः निश्चित 2. प्रमाणित किये जाने योग्य, प्रदर्शनीय, इन्द्र का विशेषण / --यम् 1. निश्चित ज्ञान की वस्तु, प्रदर्शित उपसंहार, | प्रयाचनम् [प्र+या+ल्युट ] माँगना, प्रार्थना करना, साध्य 2. सिद्ध करने योग्य बात, जो विषय सिद्ध गिड़गिड़ाना। (प्रमाणित) किया जा सके। प्रयाजः: [प्र+यज्+घा] प्रधानयज्ञ संबंधी एक प्रमेहः [प्र+मिह -घा] एक प्रकार का मत्र रोग अनुष्ठान / (धातु क्षीणता या मधुमेह आदि) जिसमें मूत्र के साथ | प्रयाणम् [प्र-+-या+ल्युट ] 1. कूच करना, प्रस्थान करना, धातु या शक्कर गिरती हो / बिदा 2. अभियान, मात्रा-मार्ग तावच्छृणु कथयत हुआ। For Private and Personal Use Only