________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 688 ) हरण करने वाला, घातक--पुरो मम प्राणहरो भवि- / प्रातस्तन (वि०) (स्त्री०-नी) [प्रातर्+टयु, तुट् ] ष्यसि, गीत०७ 2. फांसी,-हारक (वि०) घातक प्रातःकाल से संबद्ध, सुबह का / (कम) भयंकर विष / प्रातस्तराम् (अव्य०) [प्रातर+तरप्+आम् ] सुबह प्राणकः [ प्राण+के+क] 1. जीवित प्राणी, जीवधारी बहुत सवेरे ...प्रातस्तरां पतत्रिभ्यः प्रबुद्धः प्रणमन् रविम् जन्तु 2. लोबान / --भट्टि० 4 / 14 / प्राणथः [प्र-अन्+अथ ] 1. वायु, हवा 2. तीर्थ स्थान | प्रातस्त्य (वि०) [ प्रातर्+त्यक ] सुबह का, प्रभात 3. प्राणवारियों का स्वामी। कालीन / प्राणनः [ प्र--अन् ल्युट ] गला,-नम् 1. श्वासप्रश्वास, प्रातिः (स्त्री०) [प्र+अत् +-इन् ] 1. अंगूठे और तर्जनी सांस लेना 2. जीवन, जीवित रहना। के बीच का स्थान 2. भरना / प्राणन्तः [प्र+अन् -1-झ, अन्तादेशः ] वाय, हवा / प्रातिका | प्र+अत्ण्वु ल-+ टाप, इत्वम् ] जवा का प्राणन्ती [ प्राणन्त + ङीष् ] 1. भूख 2. सुबकना पौधा। 3. हिचकी। | प्रातिकूलिक (वि०) (स्त्री० .. की) [ प्रतिकूल +ठक् | प्राणाय्य (वि.) (स्त्री०--य्यी) [प्र--अन्+णि+ ___ विरुद्ध, विरीधी, प्रतिकूल रहने बाला / ण्यत् ] उचित, योग्य, उपयुक्त / | प्रातिकूल्यम् [प्रतिकूल-|-ध्या ] प्रतिकूलता, विरोध, प्राणित (वि.) [ अन्-+-क्त 1 जीवित, जीवधारी। शत्रुता, अननकलता, अमैत्रीपूर्णता / प्राणिन् (वि०) प्राण-+-इनि ] 1. साँस लेने वाला, जीने | प्रातिजनीन (वि० ) (स्त्री० को) [प्रतिजन+खा ] वाला, जीवित (पं०) जीवित या जीवधारी प्राणी, शत्रु का मुकाबला करने के लिए उपयुक्त / जीवित जंतु यथा-प्राणिनः प्राणवन्त: -- श० १११,मेघ० | प्रातिज्ञम् [ प्रतिज्ञा+अणु ] विचाराधीन विषय / 5 2. मनुष्य / सभ० अङ्गम किसी जन्तु का अंग, | प्रातिदेवसिक (वि.) (स्त्री० नी) | प्रतिदिवस / ठक | —जातम् प्राणीवर्ग, -तम् (मर्गों की लड़ाई, मेढ़ों प्रतिदिन होने वाला। की लड़ाई ) तीतर बटेर आदि जन्तुओं को लड़ा कर प्रातिपक्ष (वि०) (स्त्री०- क्षी) | प्रतिपक्ष+अण् ] जुआ खेलना, पीडा जन्तुओं के प्रति करता, --हिसा 1. विरुद्ध, प्रतिकल 2. शत्रुतापूर्ण, शत्रसंवन्धी। जीवन को क्षति, जीवित जन्तुओं को कष्ट देना, हिता प्रातिपक्ष्यम् [ प्रतिपक्ष ष्यत्र | शत्रुता, विरोधिता। जूता, बूट / प्रातिपद (बि०) (स्त्री० दी) [प्रतिपदा-+अण् ] प्राणीत्यम् [ प्रणीत +ध्या ] ऋण। 1. उपक्रम करने वाला 2. प्रतिपदा के दिन उत्पन्न, प्रातर् (अव्य.) [प्र-|-अत् +अरन् ] 1. तड़के, पौ फटने | 11 मारने प्रतिपदा से संबद्ध / पर, प्रभात काल में 2. कल तड़के, अगले दिन सुबह, प्रातिपदिकः / प्रतिपदा+ठा | अग्नि,-कम नाम शब्द कल प्रातः काल / सम० --अह न: दिन का प्रारम्भिक का परिपक्व रूप, विभक्ति चिह्न के जड़ने से पूर्व काल, दोपहर पहले, आशः प्रातःकालीन भोजन, संज्ञा शब्द-अर्थबदधातुरप्रत्ययः प्रातिपदिकम् -पा० कलेवा---अन्यथा प्रातराशाय र्याम त्वामलं वयम् 1 / 2 / 45 / --- भट्टि० ८।९८,--आशिन् (पु०) जिसने कलेवा कर प्रातिपौरुषिक (वि०) (स्त्री०की ) [प्रतिपुरुष +ठक ] लिया है, या प्रातःकाल का भोजन कर लिया है, पौरुषेय मदानगी या पराक्रम से संबद्ध / -कर्मन् (नपुं०)-कार्यम् ---कृत्यम् (प्रातःकर्म / प्रातिभ (वि०) (स्त्री०--मी) [ प्रतिभा--अण ] प्रतिभा ---आदि) प्रातःकालीन कर्म,-कालः (प्रातःकाल:) या दिव्यता से संबंध रखने वाला,..... भम् प्रतिभा या प्रातः का समय,-गेयः चारण जिसका कर्तव्य किसी। विशद कल्पना / जमानत देने के लिए (प्रतिभू के रूप राजा या अन्य महापुरुष को उपयुक्त गान द्वारा प्रात: | में) खड़ा होना। काल जगाना है,-त्रिवर्गा (प्रातस्थिवर्गा) गंगा नदी, प्रातिभाव्यम् [प्रतिभू -ध्या / जमानत या प्रतिभूति -दिनम् दोपहर से पहले,-प्रहरः दिन का पहला पहर होना, जामिनपना, किसी कर्जदार को (कचहरी में) -भोक्तु (पुं०) कौवा,-भोजनम् प्रातः काल का उपस्थित करने का उत्तरदायित्व होना (क्योंकि वह भोजन, कलेवा, -संध्या (प्रातः संध्या) 1. प्रात: विश्वासपात्र है तथा कर्ज का रुपया वापिस कर देगा)। काल को संध्या या भजन,-समयः (प्रातः समयः) | प्रातिभासिक (वि०) (स्त्री०.--की) [ प्रतिभास-ठक] सवेरे का समय, प्रभानकाल,-सवः,- --सवनम् (प्रातः 1. जो केवल दिवाई तो दे पर वस्तुतः हो उसका सवः .-आदि) सोमयाग द्वारा प्रातःकालीन तर्पण, अभाव 3. वास्तविक 2. दिखाई मी देने वाली / -स्नानम् (प्रात: स्नानम् ) सवेरे ही नहाना,-होमः / प्रातिलोमिक (वि०) (स्त्री० की) [ प्रतिलोम+ठक ] (प्रात.मः) प्रातःकाल का यज्ञ / लाभ के विरुद्ध, विरोधी, शत्रुतापूर्ण, अरुचिकर / For Private and Personal Use Only