________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 622 ) —गमनम् वापसी, फिर जाना,--जन्मन् (नपुं०) पेंठ, छोटा गाँव जहाँ पेंठ लगती हो,तोरणम् नगर बार 2 जन्म होना, देहान्तरागमन, -जात (वि०) का बाहरी फाटक, द्वारम् नगर का फाटक,...निवेशः फिर उत्पन्न हुआ, --णवः, नवः 'बार 2 उगना', नगर की नींव डालना,-पालः नगरशासक, दुर्ग का नाखून, दारक्रिया पुनर्विवाह करना (पुरुष का), सेनापति,—मथनः शिव का विशेषण,--- मार्गः नगर की दूसरी पत्नी लाना, प्रत्युपकारः किसी के उपकार गली, कु० 4 / 11, रघु० १११३,-रक्षः,-रक्षकः, का बदला चुकाना, बार 2 जन्म होना, देहान्तरा- --- रक्षिन् (पुं०) कांस्टेबल, सिपाही, पुलिस-अधिगमन ममापि च क्षपयतु नीललोहितः पुनर्भवं परि- कारी,... रोधः दुर्ग का घेरा,--वासिन (पु.)नागरिक, गतशक्तिरात्मभूः श० 7 / 35, कु० 3 / 5 2. नाखून, नगर का रहने वाला,-- शासनः 1. विष्ण का विशेषण -----भावः नया जन्म, पुनर्जन्म, धू: 1. विधवा जिसका 2. शिव की उपाधि। पुनर्विवाह हो गया हो 2. पुनर्जन्म, यात्रा 1. फिर | पुरटम् पुर् +अटन् ] सोना, स्वर्ण / जाना 2. बार 2 प्रगति करना (जलस निकलना), | पुरणः [+ क्यु, उत्वम्, रपरः / समुद्र, महासागर / ---वचनम् फिर कहना, वसुः (प्रायः द्वि० व०) पुरतः (अव्य०) [पुर+तस् ] सामने, आगे (विप० 1. सातवां नक्षत्र (दो या तीन तारों का पंज) गां पश्चात्), पश्यामि तामित इतः पुरतश्च पश्चात्--मा० गताविव दिवः पुनर्वसू रघु० 11136 2. विष्णु 1140, की उपस्थिति में - यं यं पश्यसि तस्य तस्य और 3. शिव का विशेषण, विवाह फिर विवाह पुरतो मा ब्रूहि दीनम् वचः - भर्तृ० 2051 2. बाद होना, संस्कारः (पुनः संस्कारः) किसी संस्कार या में - इयं च तेऽन्या पुरतो विडंबना कु० 570, शुद्धिकारक कृत्य का दोहराना, संगमः, संधानम् अमरु 43 / (पुनः संधानम् ) फिर से मिलना,-संभवः (पुनः-संभवः) पुरंदरः [पुर दारयति -- इति दृ--णिच् / खच्, मुम् | (संसार में) फिर जन्म लेना, देहान्तरागमन / ___ 1. इन्द्र--रघु० 2 / 74 2. शिव का विशेषण 3. अग्नि पुप्फुलः [ = पुप्फुसः, पृषो० सस्य लत्वम् ] उदरवायु, / की उपाधि 4. चोर, सेंध लगाने वाला,-रा गंगा का अफारा। विशेषण। पुप्फुसः [पुप्फुस्+अच्] 1. फेफड़ा 2. कमल का बीज कोष / पुरंधिः, -- ध्री (स्त्री०) [पूर गेहस्थजनं धारयति ध- खच पुर (स्त्री०) (कर्तृ०, ए० व०-पूः, करण, हि० व० +डीप, पृषो० वा ह्रस्वः-..तारा० / 1. प्रौढ़ विवा . पूाम् ) [ पृ-+-क्वित् ] 1. नगर, शहर जिसके हिता स्त्री, मातृका, विवाहिता स्त्री-पुरंध्रीणां चित्तं चारों ओर सुरक्षादीवार हो पूरप्यभिव्यक्तमुखप्रसादा कुसुमसुकुमारं हि भवति - उत्तर० 4 / 12, मद्रा० 2 / -- रघु० 16 / 23 2. दुर्ग, किला, गढ़ 3. दीवार. 7, कु० 6.32, 7 / 2 2. वह स्त्री जिसका पति व दुर्गप्राचीर शरीर 5 बुद्धि। सम०-द्वार (स्त्री०), बच्चे जीवित हों। द्वारम् नगर का फाटक / पुरला [पुर+ला+क+टाप् 1 दुर्गा का विशेषण / पुरम् [ +क | 1. नगर, शहर (बड़े 2 विशाल भवनों पुरस् (अव्य०) [पूर्व - असि, पुर् आदेशः / 1. सामने, से युक्त, चारों ओर परिखा से घिरा हुआ, तथा आगे, उपस्थिति में, आँखों के सामने ( स्वतंत्र विस्तार में जो एक कोस से कम न हो)-पुरे तावंत- रूप से या संबंध के साथ ) अम पुरः पश्यसि देव मेवास्य तनोति रविरातपम् कु० 23, रघु० 1159 दारुम्-रघु० 2036, तस्य स्थित्वा कथमपि 2. किला, दुर्ग, गढ़ 3. घर, निवास, आवास +. शरीर पुर:-मेघ० 3, कु० 4 / 3, अमरु 43, 5. अन्तःपुर, रनिवास 6. पाटलिपुत्र 7. पुष्पकोश, | प्रायः क, गम् वा और भू धातुओं के साथ पत्तों की बनी फलकटोरी 8. चमड़ा 10. गुग्गुल / प्रयोग (दे० धातु०) 2. पूर्व में, पूर्व से 3. पूर्व को सम..- अट्टः नगरभित्ति पर बना कंगूरा या मीनार, ओर। सम..--करणम,-कारः 1. सामने या आगे -अधिपः, अध्यक्षः नगरपाल, -अरातिः,-अरिः, रखना 2. अधिमान 3. ससम्मान बर्ताव, आदर-प्रदर्शन, --असुहृद (पुं०),-रिपुः शिव के विशेषण -पुरा- अनुरोध 4. पूजा E. सहचारिता, हाजरी देना 6. तैयारी रातिभ्रान्त्या कुसुमशर कि मां प्रहरसि... सुभा०, दे० 7. व्यवस्थापन 8. पूर्ण करना 9. आक्रमण करना त्रिपुर, उत्सवः नगर में मनाया जाने वाला उत्सव, 10. दोषारोपण करना,-- कृत (वि.) 1. सामने रक्खा --उद्यानम् नगरोद्यान, उपवन,- ओकस् (30) नगर हुआ----रघु० 2180 2. सम्मानित, आदर से बर्ताव में रहने वाला, ----कोट्टम् नगररक्षक दुर्ग - ग (वि०) किया गया, पूज्य 3. छांटा गया, माना गया, अनुगमन 1. नगर को जाने वाला 2. अनुकूल, --जित् / द्विष, किया-पुरस्कृतमध्यमक्रम:--- रघु०८।९ 4. आराधित, --भिद् (पुं०) शिव के विशेषण, ज्योतिस् (पुं०) पूजित 5. सेवा में प्रस्तुत, संलग्न, संयुक्त 6. तैयार, 1. अग्नि का विशेषण 2. अग्निलोक, तटी छोटी / तत्पर 7. अभिमंत्रित 8. दोषारोपित, कलंकित 1. पूरा For Private and Personal Use Only