________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मुतिः
१४१११२, दे० नमन नुनाव-कु. ९०
( ५५२ ) न (अदा० पर० नौति, प्रणीति, नुत-प्रर० नावयति, । न (पुं०) [नी+ऋन् डिच्च] (कर्तृ० ए० ५०–ना,
इच्छा० नुनूषति)। · प्रशंसा करना, स्तुति करना, संबंध०, ब०व०, नृणां या नृणाम्) 1. मनुष्य, एक श्लाघा करना-सरस्वती तन्मिथुनं नुनाव-कु० ७.९०, व्यक्ति- स्त्री हो, चाहे पुरुष, मनु० ३८१, ४१६१,
७६१, १०१३३ 2. मनुष्यजाति 3. शतरंज का मुतिः (स्त्रिी०) [नु+क्तिन्] 1. प्रशंसा, संस्तुति, प्रशस्ति मोहरा 4. सूरजघड़ी की कील 5. पल्लिग शब्द
परगुणनुतिभिः (अने० पा०) स्वान् गुणान् ख्यापयंताः -संधिर्ना विगहो यानम्-अमर० ।. सम-अस्थिभर्तृ० रा६९ 2. पूजा, समादर ।
मालिन् (पुं०) शिव का विशेषण,-कपालम् मनुष्य नुव (तुद० उत्तम० नुदति-ते, नुत्त या नुत्र, प्रणुदति) की खोपड़ी,-केसरिन् (पु) 'नर-शेर,' नृसिंहावतार
1. धकेलना, धक्का देना, हांकना, ठेलना, प्रोत्साहित में विष्णु भगवान्-तु० 'नरसिंह',-जलम् मनुष्य का करना-मंद मंदं नुदति पवनश्चानुकलो यथा त्वाम् मूत्र,-देवः एक राजा,--धर्मन् (पुं०) कुबेर का
-मेघ० ९ २. प्रोत्साहित करना, उकसाना, आगे विशेषण,--पः मनुष्यों का राजा, राजा, प्रभु अध्वरः बढ़ाना-शि०११।२६ ३. हटाना, भगा देना, फेंक राजसूय यज्ञ जिसे सम्राट् सम्पन्न करता है और जिसमें देना, मिटाना-~-अदस्त्वया नुन्नम नुत्तमं तमः सभी पदों का कार्य सहायक राजाओं द्वारा किया -शि० १२२७, केयूरबंधोच्छ्वसितर्नुनोद-रधु० जाता है, आत्मजः राज कुमार, युवराज,-आभी६१६८, ८१४०, १६५८५, कि० ३।३३, ५।२८ 4. रम,--°मानम् राजभोज में होने वाला संगीत, फेंकना, डालना, भेजना-प्रेर० 1. हटाना, दूर —आमयः तपदिक, क्षय,- आसनम् राजगद्दी, करना 2. प्रोत्साहित करना, उकसाना, ढकेलना,
सिंहासन, राज्य को कुर्सी,-गृहम् राजमहल,-नीतिः ठेलना, आगे बढ़ाना,-अप्-भगाना, हटाना--भट्टि. (स्त्री०) राजनय, राजा को नीति, राजनीति १०११३, उप-धकेलना, आगे चलाना-शि० ४६६१, -वेश्यांगनेव नपनीतिरनेकरूपा-भर्त०२।४७-प्रियः निस्-1. अस्वीकार करना, इंकार करना-धाना आम का पेड़, लक्ष्मन् (नपुं०),-लिंगम् राजचिह्न मत्स्यान्ययो मांसं शाकं चव न निर्णदेत-मनु० राजत्व का लक्षण, राजकीय अधिकार चिह्न, विशेष ४१२५० 2. हटाना, मिटाना, प्र-मिटाना, दूर कर श्वेत छत्र,-शासनम राजविज्ञप्ति, सभम् सभा करना, हटाना-शि० ९१७१, वि.-,1. आधात करना, राजाओं की सभा,—पतिः,-पालः राजा,---पशः बींधना 2. (वीणा आदि) वाययंत्र बजाना--प्रेर० मनुष्य की शक्ल का जानवर, हिंसक पशु, नृशंस, 1. हटाना, दूर करना, मिटाना, फेंक देना-तापं -मिथुनम् मिथुन राशि, -मेषः नरमेध यज्ञ, –यज्ञः विनोदय दृष्टिभिः-गीत० १०, शि० ४।६६ 2. 'मनुष्यों के लिए किया जाने वाला यज्ञ', आतिथ्य, आगे बढ़ना, (काल) बिताना 3. मोड़ना, बहलाना, अतिथियों का सत्कार (दैनिक 'पंच यज्ञो' में से एक मनोरंजन करना-लतासु दृष्टि विनोदयामि-श० यज्ञ-दे० पंचयज्ञ), लोकः मरण-धर्मा लोगों का ६, रघु० १४३७७ 4. दिल बहलाना-रघु० ५।६७, संसार, मर्त्यलोक, --बराहः 'सूअर' के अवतार में सम् - 1. एकत्र करना, संग्रह करना 2. प्राप्त करना, विष्णु भगवान्,-वाहन कुबेर का विशेषण,--वेष्टनः मिलना।
शिव का नाम,-शृंगम 'मनुष्य का सींग' अर्थात् नूतन, नूत्म (वि.) [नव+तनप् (लवा) ने आदेशः । असंभावना,-सिंहः 1. 'सिंह जैसा मनुष्य', शेरेनर, प्रमुख
1. नया-नूतनो राजा समाज्ञापयति-उत्तर० १, मनुष्य, पूज्य व्यक्ति 2. विष्णु भगवान्, का चौथा रघु. ८१५ 2. ताजा, बच्चा 3. भेंट, उपहार अवतार, 'नसिहावतार', तु०नरसिंह 3. एक प्रकार का 4. तात्कालिक 5. हाल का, आधुनिक 6. कुतूहल रतिबंध,--सेनम्,--सेना मनुष्यों की फ़ौज,--सोमः पूर्ण, अजीब।
वैभव- शाली मनुष्य, बड़ा आदमी-रघु० ५।५९ । ननम् (अव्य.) [नु+ऊन्+अम्] असंदिग्ध रूप से, नुगः (०) वैवस्वत मनु का पुत्र, जो एक ब्राह्मण के विश्वस्त रूप से, निश्चय ही, अवश्य, निस्सन्देह | शापवश छिपकली बना।
-अद्यापि नूनं हरकोपबह्निस्त्वयि ज्वलत्यौर्व इवां नत् (दिवा० पर० नृत्यति, प्रणत्यति, नृत्त) नाचना, इधर बुराशी श० ३३, मेघ० ९।१८ ४६, भर्तृ० ११०, उधर हिलना-नृत्यति युवतिजनेन समं सखिकु. १०१२, ५।७५, रधु०१२२९, 2. अत्यधिक संभावना गीत० १, लोलोर्मी पयसि महोत्पलं ननर्त-शि०
के साथ, पूरी संभावना है कि उत्तर. ४।२३।। ८।२३, भट्टि ३।४३ 2. रंगमंच पर अभिनय करना नपुर-रम् नू+क्विप्नु +पुर+क] पाजेब, पैरों 3. हाव भाव दिखाना, नाटक करना, प्रेर० -नतं.
का आभूषण-नाहि चूडामणिः पादे नूपुरं मूनि धार्यते यति-ते 1. नचबाना-त्वमाशे मोघाशे किमपरमतो -हि. २०७१।
नर्तयसि माम् ~ भर्त० ३१६, तालः शिंजावलयसुभग
प्रसंदिग्ध रूप से, मृगः शापवश छिपकली याता, प्रत्यति, नृत्त) नम सखि
For Private and Personal Use Only