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( ५७४ )
2. पोखर, पल्वल 3. कमलों का समूह -भर्त० २१७३, भेद किये हैं उसमें प्रथम प्रकार की स्त्री, इनका लक्षण --आलयः जगत्स्रष्टा ब्रह्मा का विशेषण, (-या) रतिमंजरी में इस प्रकार दिया है-भवति कमलनेत्रा लक्ष्मी का विशेषण,-आसनम् 1. कमल पीठ-कु० नासिकाक्षुदरंध्रा अविरलकुचयग्मा चारुकेशी कृशांगी ७।८६, 2. एक प्रकार का योगासन-उरूमले वामपादं मवचनसुशीला गीतवाद्यानुरक्ता सकलतनुसुवेशा पुनस्तु दक्षिण पदं, वामोरौ स्थापयित्वा तु पद्मासनमिति पद्मिनी पद्मगंधा। स्मृतम्, (नः) जगत्स्रष्टा ब्रह्माका विशेषण,-आह्वम् पद्मशयः [ पद्मे शेते--मो--अच्, अलु० स०] विष्णु का लौंग,-उद्धवः ब्रह्मा का विशेषण-करः,-हस्त विष्णु का विशेषण । विशेषण (रा,- स्ता) लक्ष्मी का नाम,—कणिका पद्म पद्य (वि०) [पद्+यत् ] 1. पद या पंक्तियों वाला का बीजकोश,-कलिका कमल का अनखिला फूल, कली, 2. चरण या पद को मापने वाला,-धः 1. शूद्र -केशरः-कम कमलफूल का रेशा--कोशः,--कोषः 2. शब्द का एक भाग,--या पगडंडी, पथ, वटिया, 1. कमल का संपुट 2. संपुटित कमल के आकार की --ग्रम् (चार चरणों से युक्त) श्लोक, कविता उँगलियों की एक मुद्रा,-खंडम्,-पण्डम् कमलों --मदीयपद्यरत्नानां मंजूषा मया कृता--भामि० का समूह,-गंध,--ांधि (वि.) कमल की गंधवाला ४।४५, पद्यं 'चतुष्पदी तच्च वृत्तं जातिरिति द्विधा या कमल की सी गंधवाला,-गर्भः 1. ब्रह्मा का -छं० २ 2. प्रशंसा, स्तुति। विशेषण 2. विष्णु का विशेषण 3. सूर्य का विशेषण, | पद [ पद्यतेऽस्मिन् पद्+रक ] गाँव । ---गुणा-गहा धन की देवी लक्ष्मी का विशेषण, पदः [पद्+वन् ] 1. भूलोक, मयं लोक 2. रथ 3. मार्ग। --जः,-जातः,--भयः,-भ:-योनिः,-संभवः कमल
पन (भ्वा० उभ०--पनायति-ते, पनायित या पनित) से उत्पन्न ब्रह्मा के विशेषण,-तंतुः कमल का रेशेदार
प्रशंसा करना, स्तुति करना-तु० 'पण' ।। डंठल--नाभः,-भि विष्णु का विशेषण-नालम्प नसः [पनाय्यते स्तूयतेऽनेन देवः-पन्+असच् ] 1. कटकमल का डंठल,--पाणि: 1. ब्रह्मा का विशेषण हल का वृक्ष 2. काँटा,-सम् कटहल का फल । 2. विष्णु का विशेषण,-पुष्पः कणिकार का पौधा, | पंथक (वि०) [पथि जात:--पथिन्+कन्, पन्थादेशः ] -बंधः एक प्रकार की कृत्रिम रचना जिससे शब्दो को | मार्ग में उत्पन्न । कमल-फल के रूप में व्यवस्थित किया हो-दे० काव्य० | पत्र (भू० क० कृ०) [पद्+क्त ] 1. गिरा हुआ, डूबा ९,-बंधुः 1. सूर्य 2. मधुमक्खी ,-रागः,--म् लाल, हआ, नीचे गया हुआ, अवतरित 2. बीता हुआ-३० माणिक्य, रघु० १३१५३, १७१२३, कु० ३।५३,-रेखा पद्। समाः साँप, सर्प-विपकृतः पन्नगः हथेली में (कमल फूल के आकार की) रेखायें जो फणां कुरुते--श०६।३० ( म) सीसा, अरिः, अत्यन्त धनवान होने का लक्षण है,-लांछन 1. ब्रह्मा अशनः, नाशनः गरुड के विशेषण । का विशेषण 2. कुबेर का विशेषण 3. सूर्य और पपिः [पातिलोकम्--पिबति वा, पा--कि, द्वित्वम् ] 4. राजा का विशेषण (ना) 1. धन की देवी लक्ष्मी
चन्द्रमा । का विशेषण 2. या विद्या की देवी सरस्वती का पपीः | पा+ई, द्वित्वं किच्च ] 1. चन्द्रमा 2. सूर्य । विशेषण-बासा लक्ष्मी का विशेषण।।
पपु (वि०) [पा-3, द्वित्वम् ] पालन-पोपण करन पाकम् [पद्म+कन् ] 1. कमलफूल के आकार की व्यूह- वाला, रक्षा करने वाला,--पुः (स्त्री०) धात्री माता,
रचना में स्थित सेना 2. हाथी की संड और चेहरे पर प्रतिपालिका। रंगीन स्थान 3. बैठने की विशेष मुल।
पंपा [पाति रक्षति. महादीन--पा० द्वित्वम् मुडागमश्च, पाकिन् (पुं०) [पद्मक+इनि ] 1. हाथी 2. भोजपत्र नि.] दंडकारण्य का एक सरोवर-इदं च पंपामिधानं का वृक्ष ।
सरः--उत्तर० १, रघु० १३।३०, भट्टि० ३।७३ पद्मावती [ पद्म--मतुप, वत्वम्, दीर्घश्च ] 1. लक्ष्मी का । 2. भारत के दक्षिण में एक नदी का नाम ।
विशेषण 2. एक नदी का नाम--मा० ९।१। पथस् (नपुं०) [पय+असुन, पा+असुन, इकारादेश्च ] पश्चिन् (वि.) [पद्म+इनि] 1. कमल रखने वाला 1. पानी 2. दूध पयः पानं भुजगानां केवल विपवर्धनम्
2. चितकबरा (०) हाथो--नी 1. कमल का पौधा -हि० ३।४, रघु० २।३६, ६३, १४१७८, (यहाँ दोनों --सुरगज इव बिभ्रत् पद्मिनी दंतलग्नाम--कु०३। अर्थ अभिप्रेत है) 3. वीर्य (हर वर्णों से पूर्व पयस् ७६, रघु० १६३८८, मेघ० ३३, मालवि० २०१३ को बदल कर 'पयों हो जाता है)। समालः, 2. कमलफूलों का समूह 3. सरोवर या झील जिसमें --T: 1. ओला 2. टापू,-धनम् ओला,-चयः जलाशय कमल लगे हुए हों 4. कमल का रेशेदार डंटल या सरोवर,-जन्मन् (पुं०) बादल-दः बादल 5. हथिनी 6. रतिशास्त्र के लेखकों ने स्त्रियों के चार --मेघ० ७, रघु० १४१३७,-सुहृद् (पुं०) मोर
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