________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 2 / 7, पाटलपाणिजां कितमुरः -गीत० 12, ल। पाठ करने वाला 3. आध्यात्मिक गुरु 4. छात्र, पीतरक्त, प्याजी या गुलाबी रंग --कपोलपाटलादेशि विद्यार्थी, विद्वान् / बभूव रघुचेष्टितम् - रघु० 4 / 68 2. पादर का फूल | पाठनम् [ पठ्+णिच् + ल्युट 1 अध्यापन, व्याख्यान देना / पाटल संसर्ग सुरभिवनवाता:-श० 113, --लम् 1. | पाठित (भू० क. कृ०) [ पठ्+णिच् --क्त ] पढ़ाया पाटल वृक्ष का फूल -रघु० 16 / 59, 19 / 46 2. हुआ, शिक्षा दिया हुआ। एक प्रकार का चावल जो बरसात में तैयार होता है | पाठिन् (वि.) [प-णिनि, पाठ+इनि वा ] 1. 3. केसर, जाफरान / सम० ---उपल: लाल,---ब्रुमः जिसने किसी विषय का अध्ययन किया हो 2. जानपादर वृक्ष / कार, परिचित / पाटला [ पाटल-अच + टाप् ] 1. लाल लोध्र 2. पादर | पाठीनः [ पठ-ईनण 11. पुराना या अन्य धार्मिक ग्रंथों का वृक्ष तथा उसका फूल 3. दुर्गा का विशेषण / की कथा करने वाला 2. एक प्रकार की मछली पाटलिः (स्त्री०) [ पाटल+इनि ] पादर का फूल / ___ ---विवृत्त पाठीन पराहतं पयः कि० 4 / 5 / सम० -पुत्रम एक प्राचीन नगर, मगव की राजधानी, | पाणः[पण+घा] 1. व्यापार, व्यवसाय 2. व्यापारी जो शोण और गंगा के संगम पर स्थित है, जिसे कुछ 3. खेल 4. खेल पर लगा या गया दाँव 5. करार, लोग वर्तमान 'पटना' मानते हैं, इसको 'पुष्पपुर' या 6. प्रशंसा 7. हाथ / 'कुसुमपुर' भी कहते हैं दे० मुद्रा० 2 / 3, 4 / 16, | पाणिः [पण+इण् ] हाथ--दानेन पाणिनं तु कंकणेन रघु०६।२४। (विभाति)---भर्तृ० २०७१,-णिः (स्त्री०) मंडी पाटलिकः | पाटलि+कन् ] छात्र, विद्यार्थी / (पाणी के हाथ में थामना, विवाह करना,-पाणीपाटलिमन् (पुं०) [ पाटल+इमनिच ] पीतरक्त वर्ण / करणम् विवाह)। सम० गहीती, हाथ से ग्रहण पाटल्या [पाटल+यत्+टाप] पाटल के फूलों का गुच्छा / की गई, ब्याही गई, पत्नी,- ग्रहः,---ग्रहणम् विवाह पाटवम् [ पटु + अण् ] 1. तीक्ष्णता, पैनापन 2. चतुराई, करना, शादी, रघु० 7 / 29, 817, कु०७।४,--ग्रहीत कौशल, दक्षता, प्रवीणता--पाटवं संस्कृतोक्तिष -हि. (पुं०)---ग्राहः दूल्हा, पति— ध्यायत्यनिष्ट यत्किचित 1, कि० 9 / 54 3. ऊर्जा 4. फती, उतावलापना / / पाणिग्राहस्य चेतसा--मनु० 9 / 21, बाल्ये पितुर्वशेपाटविक (वि.) (स्त्री०-को) [पाटव+ठन् ] 1. तिष्ठेत् पाणिग्राहस्य यौवने-५।१४८,--: 1. ढोल चतुर, तीक्ष्ण, कुशल 2. धूर्त, चालवाज, मक्कार / / बजाने वाला 2. कारीगर, शिल्पकार,--पातः हाथ पाटित (भ० क० कृ०) पट+णिच-।-क्त ] 1. फाड़ा का प्रहार, घसा,—जः नाखून-तस्याः पाटलपाणिहुआ. चोरा हुआ, टुकड़े 2 किया हुआ, तोड़ा हुआ 2. जातिमुरः--गीत० १२,--तलम् हथेली,-धर्मः बिद्ध, छिद्रित --रघु० 11 / 31 / विवाह की विधि,-पीडनम् विवाह,--पाणिपीडनमहं पाटी [ पट् ---णिच् +इन+ डीप अंकगणित। सम० दमयन्त्याः कामयेमहि महीमिहिकांशो---नं० 5 / 99 गगितम् अंकगणित / ---पाणिपीडनविधेरनन्तरम् कु० 811, प्रणयिनी पाटीरः [ पटीर+अण ] 1. चन्दन--पाटीर तव पटीयान पत्नी...बंधः 'हाथों का मिलना' विवाह,--- भुज कः परिपाटीमिमामुरीकर्तुम् --भामि० 1112 2. खेत (पुं०) बड़ का वृक्ष, गूलर का वृक्ष,-मुक्तम् हाथ 3. राँगा 4. बादल 5. चलनी। के फेंक कर मारा जाने वाला आयुध, अस्त्र,---वह पाठः [ पठ्+घञ ] 1. प्रपठन, सस्वर पाठ, आवृत्ति (पुं०), रुहः अंगुली का नाखून,-वादः 1. तालियाँ करना 2. पढ़ना, वाचन, अध्ययन 3. वेदाध्ययन, वेद- बजाना 2. ढोल बजाना, सार्या रस्सी। पाठ, ब्रह्मयज्ञ, ब्राह्मणों के द्वारा पाँच दैनिक यज्ञों में पाणिनिः (पु.) एक प्रसिद्ध वैयाकरण का नाम, यह से एक 4. पुस्तक का मूलपाठ, स्वाध्याय, पाठभेद...- अन्तःस्फूर्त मुनि समझे जाते हैं, कहते है कि ज्याकरण अत्र गंधवगंधमादनः इति आगंतुकः पाठः, प्राचीनपा- का ज्ञान इन्होंने शिव से प्राप्त किया था। 'अष्टापाठस्तु सुगंधिगंधमादन: इति पुल्लिगांत: -- मल्लि. ध्यायी' नाम का व्याकरण इन्होंने ही रचा।। कु०६७ पर। सम० ---अन्तरम् गरा पाठ, पाठभेद, | पाणिनीय (वि.) [ पाणिनि--छ] पाणिनि से संबंध -छेदः विराम, यति,-दोषः दूषित पाठ, पाठ को रखने वाला, या उसके द्वारा बनाया गया- शि० अशुद्धियाँ, निश्चयः किसी संदर्भ का पाठ निर्धारित 1975, यः पाणिनि का अनुयायी----अकृतव्यहाः करना, --मंजरी, शालिनी मैना, सारिका, -शाला पाणिनीया:, यम पाणिनि द्वारा प्रणीत व्याकरण / विद्यालय, महाविद्यालय, विद्यामंदिर। पाणिधम-य (वि०) पाणि +ध्मा (धे)-खश, मुम, ] पाठक: [ पठ्-+-णिच् +ण्वल ] 1. अध्यापक, प्राध्यापक, हाथ से धौंकने वाला, हाथ से फूंकने वाला, हाथ से गुरु 2. पुराण या अन्य धार्मिक ग्रन्थों का सार्वजनिक पीने वाला। For Private and Personal Use Only