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( ५७३ )
मन्तःकरणप्रवृत्तयः श० १।२२, बांछित फलप्राप्तेः पदम् - रन्न० १६ 8 आवास, पदार्थ, आशयपदं दृशः स्याः कथमीश मादृशाम् – शि० १३७, १४।२२, अगरीयान्न पदं नृपश्रियः - कि० २०१४, अविवेकः परमापदां पदम् - २ ३०, के वा न स्युः परिभवपदं निष्फलारंभयत्नाः- मेघ० ५४, हि० ४०६९ १. श्लोक का एक चरण, एक लाइन --- विरचितपदं (गेयम् ) मेघ० ८६, १३३ - मालवि० ५/२, श० ३।१६ 10. विभक्तिचिह्न से युक्त पूरा शब्द- सुप्तिङन्तं पदम् पा० १।४।१४, वर्णाः पदं प्रयोगानिन्विर्तकार्थबोधकाः --- सा० द० ९, रघु० ८ ७७ 11. कर्तृ० ए० ब० को छोड़ कर शेष सभी व्यंजनादि विभक्तिचिह्नों का साकेतिक नाम 12. वैदिक शब्दों को सन्धिविच्छेद करके पृथक् २ रखना, वैदिक मन्त्रों का पद-पाठ निर्धारित करना 13. बहाना शि० ७।१४ 14. वर्गमूल 15. ( वाक्य का) प्रभाग या खंड 16. लम्बाई की माप 17. प्ररक्षा, संधारण या प्ररक्षण 18. शतरंज की बिसात पर बना वर्गाकार घर, द: प्रकाश की किरण । सम० – अंक:, - चिह्नम् पदछाप, अंगुष्ठः पैर का अँगूठा, - अनुगः अनुगामी, सहचर, अनुशासनम् शब्द विज्ञान, व्याकरण, अंतः शब्द का अन्त, अन्तरम् दूसरा पग, एक पग का अन्तराल --- पदांतरे स्थित्वाश० १, अब्जम् — अंभोजम्, अरविंदं, कमलम्,
- पंकजम्, पद्मम् चरणकमल, कमल जैसे पग, -अर्थ: 1. शब्द का अर्थ 2. वस्तु या पदार्थ 3. शीर्षक या विषय ( नैयायिक इसके आगे १६ उपशीर्षक गिनाते हैं ) 4. अभिधेय, वह वस्तु जिसका कुछ नाम रक्खा जा सके, प्रवर्ग, वैशे० के अनुसार इन प्रवर्गों या पदार्थों की संख्या सात, सांख्यों के अनुसार २५,
( या पतंजलि के अनुयायिओं के अनुसार २७ ) और वेदान्तियों के अनुसार केवल दो ही है, आघातः 'पैर का प्रहार' या ठोकर, -- आजि: पैदलसिपाही, - आवली शब्दों का समूह, शब्दों या पंक्तियों का अविच्छिन्न क्रम ( काव्यस्य शरीरं तावदिष्टार्थव्यवच्छिन्ना पदावली - काव्या० ११०, मधुरकोमलकांतपदावलीं शृणु तदा जयदेवसरस्वतीम् गीत० १, -- आसनम् पादपीठ, पैद रखने की चौकी, क्रमः चलना, क़दम रखना, गः पैदल सिपाही, च्युतः ( वि० ) पद से हटाया गया, गद्दी से उतारा हुआ - छेदः - विच्छेदः, – विग्रहः शब्दों को अलग २ करना, पदच्छेद करना, वाक्य का संघटकों में पृथक्करण, न्यासः 1. क़दम रखना, डग भरना, पग
रखना 2. पदचिह्न 3. पैरों की एक मुद्रा विशेष 4. गोखरु का पौधा - पंक्तिः (स्त्री० ) 1. पदचिह्नों की क़तार - श० ३३९, विक्रम० ४/६ २. शब्दों का
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क्रम कि० १०/३० 3. ईंट, पवित्र इष्टका, पाठः वैदिक मंत्रों का एक विशेषक्रम जिसमें मंत्र का प्रत्येक शब्द उच्चारणविकारों से निरपेक्ष होकर अपने मूलरूप में ही लिखा जाता है और इसी मूलरूप में उच्चारण किया जाता है ( विप० संहितापाठ ), -पातः, --विक्षेपः क़दम (घोड़े का भी ) क़दम, भंजनम् शब्दों का विग्रह, निरुक्ति, भंजिका एक टीका जिसमें किसी संदर्भ के शब्द, पृथक् २ किये जाते हैं तथा समासों का विग्रह कर दिया जाता है, माला जादू का गुर, वृत्तिः (स्त्री० ) दो शब्दों के बीच अंतर या विराम ।
पदकम् [ पद + कन् ] क़दम स्थिति, पदवी-दे० 'पद' — कः कण्ठ का एक आभूषण 2. पद पाठ का ज्ञाता ।
पदविः - वी (स्त्री० ) [ पद् + अवि वा डीष् ] 1. रास्ता, मार्ग, पथ, बटिया ( आलं० ) पवन पदवी - मेघ ० ८, अनुयाहि साधुपदवीम् - भर्तृ० २७७, भले आदमियों के पदचिह्नों पर चलो' – श० ४।१३, रघु० ३५०,७७,८,११, १५/९९, भर्तृ० ३।४६, वेणी० ६।२७, इसी प्रकार 'यौवनपदवीमारूढः ' पंच० १, 'वयस्कता प्राप्त की' ( अर्थात् पूरा मनुष्य बन गया ) 2. अवस्था, स्थिति, दर्जा, मर्यादा, पदवी, पद 3. जगह, स्थान ।
पदातः पदातिः [ पद्भ्यामतति — अत् + अच् इन् वा ]
1. पदल सिपाही - रघु० ७।३७ 2. पैदल यात्र ( पैदल चलने वाला) उत्तर० ५।१२ ।
पदातिन् (वि० ) [ पदात + इनि ] 1. ( सेना ) जिसमें पैदल सिपाही हों 2. पैदल चलने वाला (पुं० ) पैदल सिपाही ।
पदिक ( वि० ) [ पादेन चरति - पाद - छन्, पादस्य
पदादेश। ] पैदल चलने वाला - (पुं० ) पैदल आदमी । पद्मम् [ पद् + मन् ] 1. कमल ( इस अर्थ में पुं० भी ) पद्मपत्रस्थितं तोयं धत्ते मुक्ताफलश्रियम् 2. कमल जैसा आभूषण, 3. कमल का रूप या आकृति 4. कमल की जड़ 5. हाथी सूँड और चेहरे पर रंगीन निशान 6. कमल के आकार खड़ी की हुई सेना 7. विशेषरूप से बड़ी संख्या, ( १०००००००००००००००) 8. सीसा, प्रः 1. एक प्रकार का मंदिर 2. हाथी 3. साँप की एक जाती 4. राम का विशेषण 5 कुबेर के नौ खजानों में से एक दे० नवनिधि 6. एक प्रकार का रतिबंध, मैथुन, या सौभाग्य की देवी लक्ष्मी, विष्णु की पत्नी ( तं) पद्मा पद्मातपत्रेण भेजे साम्राज्यदीक्षितम् - रघु० ५ सम० - अक्ष ( वि० ) कमल जैसी सुन्दर आँखों वाला ( -क्षः) विष्णु या सूर्य का विशेषण, (क्षम् ) कमल गट्टा, आकरः 1. एक विशाल सरोवर जिसमें कमल खिले हों
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