________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 596 ) अध्याय (जैसा कि महाभारत में 5. जीने की सीढ़ी कर बनाई गई मिठाई, गजक। सम०-~-उबरः पित्त, -रघु० 16646 6. अवधि, निश्चित समय 7. विशष- ---प्रियः 1. पहाड़ी कौवा 2. राक्षस / कर, चन्द्रमा के चार परिवर्तन अर्थात् दोनों पक्ष की | पलवः [पल+वा+क] मछलियाँ पकड़ने का जाल या अष्टमी पूर्णिमा तथा अमावस्या 8. चन्द्रमा के परि- / टोकरी / वर्तन काल के अवसर पर अनुष्ठित यज्ञ 9. पूर्णिमा पलांडु (पुं०, नपुं०) [पलस्य मांसस्य अंडमिव-पल या अमावस्या,-अपर्वणि ग्रहकलषेन्दुमंडला विभावरी +अंड+कु प्याज---मनु० 5 / 5, याज्ञ. 1176 / कथय कथं भविष्यति --मालवि० 4 / 15, रघु० 7 / 33 | पलापः / पलं मासम् आप्यते बाहुल्येन अत्र-पल+आप मनु०४।१५०, भर्तृ० 2 / 34 10. सूर्य या चन्द्रमा | +धा ] 1. हाथी की पुटपुड़ी 2. पगहा, रस्सी। का ग्रहण 11. उत्सर्व, त्योहार, हर्ष का अवसर पलायनम् [परा- अय् + ल्युट रस्य ल: ] भागना, लोटना 12. सामान्य अवसर। सम-कालः 1. चन्द्रमा उड़ान, वच निकलना भग० 18043, रघु०१९:३१ का आवर्तिक परिवर्तन 2. वह काल जब चन्द्रमा | पलायित (भू० क० कृ०) [परा+अय-|-क्त ] भागा पर्वसन्धि में से गुजरता है (मिलते या निकलते समय), हुआ, लौटा हुआ, दौड़ा हुआ, बच निकला हुआ। -कारिन (पुं०) वह ब्राह्मण जो अमावस्या आदि पलालः --लम् [पल+कालन् ] पुआल, भसी-नै०८।२। के आवर्तिक अनुष्ठान या संस्कारों को अपने लाभ के सम० -- दोहदः आम का वृक्ष / कारण सामान्य दिनों में करता है, गामिन् (पुं०) पलालिः [पल+अल-+इन् ] मांस का ढेर।। पर्व आदि शास्त्र निषिद्ध अवसरों पर भी अपनी पलाशः [ पल--अश् + अण् ] एक वृक्ष, ढाक का पेड़ ... पत्नी से मैथुन करने वाला व्यक्ति,- धिः चन्द्रमा, . किशुकनवपलाशपलाशवनम् पूरः-शि० 6 / 2, शम् योनिः बेत, नरकुल,-रह (पुं०) अनार का वृक्ष,-- 1. इस वृक्ष का फूल - बालेंदुवक्राण्यविकाशभावाद्वभुः संधिः पूर्णिमा या अमावस्या तथा प्रतिपदा के मध्य पलाशान्यतिलोहितानि कु० 3129 2. पत्ता, पंखड़ी का समय, अर्थात् पूर्णिमा या अमावस्या को समाप्ति -.चलत्पलाशातरगोचरास्तरो:-शि० 121, 62 पर प्रतिपदा आरम्भ। 3. हरा रंग। पशुः [ परं शत्रु शृणाति-पर--शृ+कु स च डित् वा पलाशिन् (पू०) [ पलाश-+इन् ] ढाक का पेड़ / स्पृशति शत्रून्-...स्पृश्+शुन, पृ आदेशः] 1. कुठार, | पलिक्नी पिलित+अच, तस्य क्न, डाप्] 1.बढ़ी स्त्री जिसके कुल्हाड़ी-तु० 'परशु' 2. शस्त्र, हथियार। सम- बाल सफेद हो गये हों 2. पहली बार ही व्याई हुई पाणिः 1. गणेश का विशेषण 2. परशुराम का गौ, बालगभिणी। विशेषण / पलियः [ परि+हन्-+अप, घादेशः, रस्यर: ] 1. शीशे पशुका [पशु-कन् - टाप-] पसलो। का बर्तन, घड़ा 2. फसोल, परकोटा 3. लोहे की गदा पर्वधः[-परश्वधा +क, पपी० दे० 'परश्वध'। / .. तु० परिध 4. गौशाला, गोगह / पर्षद (स्त्री०) [पप्+अदि | 1. सभा, सम्मिलन, सम्मद | पलित (वि०) | पल+वत ] भूरा, धवल, सफेद बालों 2. विशेषकर धर्मसभा--याज्ञ० 19 / वाला, बद्ध, बढ़ा, तातस्य मे पलितमौलिनिरस्तकाशे पलः [पल् + अच् ] पुआल, भूसी,- लम् 1. मांस, आमिष (शिरसि) वेणी० ३.१९--तम् 1. सफेद बाल या 2. कर्प का तोल 3. तरल पदार्थों को मापने का भान वालों की सफेदी जो बदामे के कारण हर्द हो-कैकेयी4. समय मापने का मान / सम०-- अग्निः पित्त, शंकयेवाह पलितच्छमना जा रघु० 1212, मनु० –अंगः कछुवा, ...-अदः, ---अशन: पिशाच, राक्षस, 62. अधिक या अलंकृत केश। ----क्षारः रुधिर,---गंड: पलस्तर करने वाला, राज पलितकरण (वि.) अपलितं पलिनं क्रियतेऽनेन पलित -प्रियः 1. राक्षस 2. पहाड़ी कौवा,---भा मध्याह्न ---- ख्युन, मम् सफेद करने वाला। की विषवीय छाया -- अर्थात् मध्याह्न के समय धूपघड़ी पलितंभविषण (वि.)[ अपलितः पलितो भवति ....पलित के कील की तत्कालीन छाया।। -भ-+-खिष्णुच, मम् ] सफेद होने वाला। पलंकट (वि.) पलं मांस कटति-पल+कट् +खच, भुम् ] पल्यंकः [ परितः अक्यतेऽत्र, परि+अंक+घ रस्य ल: ] भीरु, बुजदिल / पलंग, खाट-दे० पर्यक / पलंकरः पलं मामं करोति--- पलम् + कृ--अच, द्वितीया पल्ययनम् [ परि+अय+ल्युट, रस्यल: ] 1. जीन, काठी या अलक पित्त / 2. रास, लगाम / पलंकषः [पलं कषति -पलम् ---कष्- अच, द्वितीयाया| पल्लः | पल्ल + अच | अनाज का बड़ा भंडार, खत्ती / अलुक ] 1. राक्षस, पिशाच, दानव, लम् 1. मांस पल्लवः--वम् [पल+विवप्.- पल, ल+अप-लव, पल 2. कीचड़, दलदल 3. पिसे हुए तिल व चीनी मिला- चासौ लवश्च कर्म० स०] 1. अंकुर, कोंपल, टहनी For Private and Personal Use Only