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नतितः कांतया मे-मेघ० ७९, उत्तर० ३।१९ । बाहरी किनारा,-पिंडः 1. अक्षिगोलक 2: बिल्ली, 2. हिलजुल पैदा करना, आ-, (प्रेर०) 1. नाच -मलम् ढीढ, आँख का मेल,-योनिः, "1. इन्द्र का कराना 2. नचवाना, फुर्ती के साथ हिलाना-मरु- विशेषण (जिसके शरीर पर, गौतम द्वारा दिये गये द्विरानतितनक्तभाले-रघु०५।४२, अमरु ३२, ऋतु. शाप के फलस्वरूप, स्त्री-योनि से मिलते जुलते हजार ३।१०, उप-, 1. नाचना 2. किसी दूसरे के आगे चिह्न हों) 2. चन्द्रमा,-रंजनम् अंजन; सुरमा,-रोमन् नाचना-उपानृत्यंत देवेशम् , प्र--, नाचना, प्रति- (नतुं०) आँख की बरौनी,-वस्त्रम् आँख का पर्दा, नाच की नकल करके हंसो उड़ाना।
पलक,-स्तंभः आँखों का पर्थरा जाना । नृतिः (स्त्री०) [नृत् +इन् ] नाचना, नाच ।
नेत्रिकम् [नेत्र+ठन्] 1. नली 2. चम्मच। नृतम्, नृत्यम् [मृत+क्त, क्यप् वा] नाचना, अभिनय | नेत्री [नेत्र+डीष] 1. नदी "2. धमनी"3. स्त्री मती
कला, नाच, मूक अभिनय, हावभाव--नृत्तादस्याः 4. लक्ष्मी का विशेषण स्थितमतितरां कांतम् - मालवि० २।७, नृत्यं मयूरा नदिष्ठ (अयम् एषाम् अतिशयेन अन्तिक:-+इष्ठन्, विजहुः--रबु०१४।६९, मेघ० ३२,३६, रघु०३।१९। अन्तिकस्य नेदादेशः] निकटतम, दूसरा, अत्यंत निकट सम-प्रियः शिव का विशेषण,-शाला नाचघर, (अंतिक' की उत्तमावस्था)। -स्थानम् रंगमञ्च, नाचने का कमरा ।
नेदीयस (वि.) (स्त्री०-सी) [अनयोः अतिशयेन नृपः, नृपतिः, नपाल: नरान् पाति रक्षति-न-पाक, अन्तिकः+ईयसुन् अन्तिकस्य नेदादेशः] निकटतर,
नृणां पतिः, ष० त०, नृ+पाल+दे० 'नृ' के नीचे। अधिक पास (अतिक की मध्यमावस्था) - नेदीयसी णिच् +अण्]
- भूत्वा-मा० १, निकट आंकर, पहुंचकर। नृशंस (वि.) नि+शस+अणु] दुष्ट, द्वेषपूर्ण, क्रूर, उपद्रवी, - 'कमीना, मच्छ०३१२५, मनु० ३१४१, याज्ञ०२६४।। नेपथ्यम् नी+विच्, नेः नेता तस्य पश्यम्] 1. सजोफ्ट, मंजकः [नि-बुल घोबी।
आभूषण 2. परिधान, पोशाक, वेशभूषा, वस्त्र उदार जनम् [निज + ल्युट घोना, साफ करना, मांजना।
नेपथ्यभृत् ---रघु० ६।६, राजेन्द्रनेपथ्यविधानशोमा-- तु (पुं०) [नी+तच्] 1. जो नेतृत्व या पथप्रदर्शन करे, १४।९, उज्जवलनेपथ्यविरचना-मा० १, कु०७१७,
अग्रेसर, संचालक, प्रबंधक, (हाथियों तथा और जान- विक्रम०५3. विशेषकर नाटक के पात्र की वेशवरों का पथप्रदर्शक,-रघु० ४।७५, १४।२२, १६॥ भषा-विरलेनेपथ्ययोः पात्रयोः प्रवेशोऽस्तु-मालवि० २०, मेघ० ६९, नेताश्वस्य स्रुघ्नं सुघ्नस्य वा- १ 4. परिधान कक्ष (जहाँ नाटक के पात्र अपनी सिद्धा०, मुद्रा० ७.१४ 2. निदेशक, गुरु-भर्तृ० २१८८ बेशभूषा धारण करते हैं, यह सदव परदे के पीछे 3. मुख्य, स्वामी, प्रधान 4. (दण्ड आदि) देने वाला होता) रंगमंच पृष्ठ, नेपथ्ये परदे के पीछे। समे०
---मनु० ७।२५ 5. मालिक 6. नाटक का नायक । विधानम् परिधान कक्ष की व्यवस्था या १ नेत्रम् [नयति नोयते वा अनेन-वी+ष्ट्रन] 1. नेतत्व | नेपालः (१०) भारत के उत्सर में स्थित एक देश का माम
करना, संचालन 2. आँख ---प्रायेण गृहिणीनेत्राः __ लाः-(ब० व०) इस देश के निवासी,-लम् तांबा, कन्यार्थेषु कुटुंबिन:--कु० ६८५, २।२९, ३०, ७।१३ .: –लो जंगली छहारे का वृक्ष या इसका फल सिम 3. रई के डंडे की रस्सी 4. बुनी हुई रेशम, महीन ___---जा,--जाता मैनसिल । रेशमी वस्त्र-नेत्रक्रमेणोपरुरोध सूर्यम् ---- रघु० | नेपालिका [नेपाल+डी+कम् -टाप, ह्रस्वः] मैनसिल ने ७.३९, (यहाँ कुछ भाष्यकार 'नेत्र' शब्द का सामान्य नेम (वि.) (कर्तृ० ब०-मे-नेमाः) नीमन] अर्थ 'आँख' ही मानते हैं) 5. वृक्ष की जड़ 6. बस्ति- आधा,-मः 1. भाग 2. समय, काल, ऋतु 3. हद, क्रिया की नली 7. गाड़ी, वाहन 8. दो की संख्या | सीमा 4. घेरा, बाड़ा 5. दीवार की नींव 6. जाल9. नेता, अगुआ 10. नक्षत्र पुंज, तारा (इन दो अर्थों साजी, घोखा:7. सायंकाल 8. विवर, खाई.9. जड़। में पुंलिंग)। सम०--अंजनम् आँखों के लिए सुरमा- नेमिः,-मी (स्त्री०) [नी+मि, नेमि+डी] 1. परिधि, श्रृंगार० ७, -अंतः आँख का बाहरी किनारा, पहिये का घेरा, उपोढ़शब्दा न रथांगनेमयः-श. -अंबु,-अम्भस् ( नपुं० ) आँसू,-आमयः आंख का ७११०, चक्रनेमिक्रमेण-मेष० १०९, रधु० ॥१७, रोग, नेत्र-प्रदाह,-उत्सवः सुखद तथा सुन्दर पदार्थ, ३९ 2. किनारा, घेरा 3. हस्तघर्घरी, गरारी 4. वृत्त, -उपमम् बादाम,-कनीनिका आँख की पुतली,-कोषः परिधि-उदधिनेमि-रघु० ९।१०5. बज 6. पाती, 1. अक्षिगोलक 2. फूल की कल -गोचर (वि०) । —मिः तिनिश का वृक्ष । दृष्टि-परास के भीतर, प्रत्यक्षज्ञेय, दृश्य,-छदः पलक, नेष्ट (पुं०) [ नेष्+तृच् ] सोमयाग के प्रधान ऋत्विजों -अम्,-जलम्,-बारि आँसू,-पर्यन्तः आँख का | (जिनकी संख्या १६ होती है) में से एक।
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