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मिल कर लिंग शरीर बनता है 5. आनन्दमय कोष -अर्थात् मोक्ष) जिनसे आत्मा लिप्त समझा जाता , - कोशी पाँच कोस की दूरी, लट्वम् - खट्वो पाँच खाटों का समूह, गवम् पांच गौवों का समूह, - गव्यम् गी से प्राप्त होने वाले पांच पदार्थों ( अर्थात् दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर - क्षीरं दघि तथा चाज्यं मूत्रं गोमयमेव च ) का समूह, गु ( वि०) पाँच गौओं के बदले खरीदा हुआ, गुण (वि०) पाँच गुणा - गुप्त ः 1. कछुवा 2. दर्शनशास्त्र में वर्णित भौतिकवाद की पद्धति, चार्वाकों का सिद्धांत, - चत्वारिंश (वि० ) पैंतालीसवां चत्वारिंशत् पैतालीस, जनः 1. मनुष्य, मनुष्य जाति 2. एक राक्षस जिसने शंखशुक्ति का रूप धारण कर लिया था तथा जिसकी श्रीकृष्ण ने मार गिराया था 3. आत्मा 4. प्राणियों की पाँच श्रेणियाँ अर्थात् देवना, मनुष्य, गंधर्व, नाग, और पितर 5. हिन्दुओं की चार मुख्य जातियाँ (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र तथा पाँच निपाद या असभ्य लोग ( इन दो अर्थों में व० To ) [ पूरे विवरण के लिए दे० ब्रह्म० १।४।११-१३ पर पारीरभाप्य ] - जनीन ( वि०) पंचजनों का भक्त ( : ) अभिनेता, बहुरूपिया, विदूषक, — ज्ञानः 1. बुद्ध का त्रिशेषण क्योंकि वह पाँच प्रकार के ज्ञान से युक्त है 2. पाशुपत सिद्धांतों से परिचित मनुष्य, - तक्षम, क्षी पाँच रथकारों का समूह... तत्त्वम् 1. पाँच तत्त्वों को समष्टि अर्थात पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश 2. (तंत्रों में ) तांत्रिकों के पाँच तत्त्व जो पंचमकार अर्थात् मद्य, मांस, मत्स्य, मुद्रा और मैथुन - भी कहलाते हैं, - तपस् (पुं०) एक संन्यासी जो ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की प्रखर किरणों के नीचे चारों ओर आग जला कर बैठा हुआ तपस्या करता है - तु० - हविर्भुजामेघवतां चतुर्णां मध्य | ललाटंत पसप्तसप्तिः - रघु० १३।४१, कु० ५/२३, मनु० ६।२३, और शि० २।५१ भी तय (वि० ) पांच गुणा (यः) पंचायत, - त्रिश ( वि० ) पैंतीसवाँ, त्रिशत् - त्रिशतिः (स्त्री० ) पैंतीस - दश ( वि० ) 1. पन्द्रहवाँ 2. जिसमें पन्द्रह बढ़े हुए हैं - यथा पंचदशशतम् - एक सौ पन्द्रह - दशन् ( वि०, ० ० पन्द्रह, अहः पन्द्रह दिन की अवधि -- वशिन् ( वि०) पन्द्रह से युक्त या निर्मित – दशी पूर्णिमा, - दीर्घम् शरीर के पाँच लंबे अंग- बाहू नेत्रद्वयं कुक्षितु नासे तथैव च स्तनयोरंतरं चैव पंचदीर्घ प्रचक्षते, नखः 1. पाँच पंजों से युक्त कोई जानवर
- पंच पंचनखा भक्ष्या ये प्रोक्ताः कृतजेद्विजः भट्टि० ६।१३१, मनु०५/१७, १८, याज्ञ० १।१७७ 2. हाथी 3. कछुवा 4. सिंह या व्याघ्र - नवः पाँच नदियों
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का देश, वर्तमान पंजाब' (पांच नदियों के नाम- शतद्रु विपाशा, इरावती, चन्द्रभागा और वितस्ता या क्रमशः सतलुज, व्यास, रावी, चेनाव और झेलम) (-दा: - ० ० ) इस देश के निवासीपंजाबी, नवतिः (स्त्री०) पिचानवें, नोराजनम् देवमति के सामने पाँच पदार्थों को हिलाना और फिर उसके सामने लंबा लेट जाना ( पांच पदार्थों के नाम
दीपक, कमल, वस्त्र, आम और पान का पत्ता), पंचास (वि०) पचपनवाँ, पंचाशत् पंचपन, पदी पाँच कदम पंच० २।११५ – पात्रम् 1. पांच पात्रों का समूह 2. एक श्राद्ध जिसमें पाँच पात्रों में रखकर भेंट दी जाती है, - प्राणा: ( प्र० ब० व० ) पांच जीवन प्रदवायु- प्राण, अपान, व्यान, उदान और समान,
प्रासादः विशिष्ट आकार का मन्दिर ( जिसमें चार कंगूरे और एक मीनार या शिखर हो ) - बाण: -- वाणः, -- शरः कामदेव के विशेषण दे० 'पंचेषु', - भुज (वि०) पांच भुजाओं का ( ज ) पंचभुज या पंचकांना तु० पंचकोण, भूतम् पाँच मूलतत्व --- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश मकारम् वाममार्गी तन्त्राचार के पाँच मूलतत्व जिनके नाम का प्रथम अक्षर 'म' है (मद्य, मांस, मत्स्व, मद्रा और मैथुन) दे० 'पंचतत्व' ( 2 ), महापातकम् पांच बड़े पाप दे० महापातक, महायज्ञः (पुं०, ब० व० ) पाँच दैनिक यज्ञ जो एक ब्राह्मण के लिए अनुष्ठेय हैं - दे० महायज्ञ, -- यामः दिन, रत्नम् पाँच रत्नों का संग्रह ( वे कई प्रकार से गिने जाते हैं - ( १ ) नीलकं बज्रकं चेति पद्मरागश्च मौक्तिकम्, प्रवालं चेति विज्ञेयं पंचरत्नं मनीषिभिः, (२) सुवर्ण रजतं मुक्ता राजावतं प्रवालकम्, रत्नपंचकमा रख्यातम्, (३) कनकं हीरकं नीलं पद्मरागश्च मौक्तिकम्, पंचरत्नमिदं प्रोक्तमृषिभिः पूर्वदर्शिभिः, रात्रम् पाँच रात्रियों का समय - राशिकम् ( गणि० में ) गणित की एक क्रिया जिससे चार ज्ञात राशियों के द्वारा पाँचवीं राशि निकाली जाती है, लक्षणम् एक पुराण ( क्यों कि इसमें पाँच महत्वपूर्ण विषयों का उल्लेख है -सर्गश्च प्रतिसर्गश्च वंशो मन्वन्तराणि च वंशानुचरितं चैव पुराणं पंचलक्षणम्, दे० 'पुराण' भी, लवणम् नमक के पाँच प्रकार -- अर्थात् काचक, सैन्धव, सामुद्र, बिड और सौवर्चल, वटी 1. अंजीर की जाति के पाँच वृक्ष - अर्थात् पीपल, वेल, वड़, हरड़ और अशोक 2. दण्डकारण्य का एक भाग जहाँ से गोदावरी निकलती हैं और जहाँ राम ने सीता समेत बहुत दिन बिताये थे, वह स्थान नासिक से दो मील की दूरी पर है - उत्तर० २ २८, रघु० १३।३१ - बर्षदेशीय (वि०) लगभग पाँच वर्ष की आयु का, -वर्षीय (वि०) पाँच
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