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वर्ष का,—वल्कलम् पाँच प्रकार के वृक्षों (अर्थात् बड़, पंजरम् [पंज+अरन्] पिंजरा, चिड़ियाघर-पंजरशुकः, गूलर, पीपल, प्लक्ष और वेतस) की छाल,-विश भुजपंजर:---रः, - रम् 1. पसलियाँ 2. कंकाल, ठठरी (वि.) पच्चीसवां,-विशतिः (स्त्री०) पच्चीस, र: 1. शरीर 2. कलियुग। सम०-आखेटः मछलियाँ --विशतिका पच्चीस का संग्रह जैसा कि 'वेतालपंच- पकड़ने का जाल या टोकरी,-शुकः पिंजरे का तोता, विशतिका' में,-विध (वि०) पाँच गुणा या पाँच पिंजड़े में बंद तोता विक्रम० २।२३ । प्रकार का,-शत (वि.) 1. जिसका जोड़ पांच सौ । पंजिः,---जी (स्त्री०) [पंज्+इन्, पंजि-+डीष] 1. रूई हो 2. पांच सौ (-तम्) 1. एक सौ पांच 2. पांच सौ, का गल्हा जिससे धागा काता जाय, पूनी 2. अभिलेख, -शाखः 1. हाथ 2. हाथी,-शिखः सिंह- (वि०) पत्रिका, बही पंजिका 3. तिथि-पत्र, जंत्री, पत्रा या (ब० व०) पांच छः, सन्त्यन्येऽपि बहस्पतिप्रभतयः पंचांग । सम०-कारः,-कारकः लेखक, लिपिकार । रांभाविताः पञ्चषाः- भर्तृ० २१३४,-बष्ट (वि०)
पट i (म्वा० पर०–पटति) जाना, हिलना-जुलना-प्रेर० पैसठवां,---षष्टिः (स्त्री०) पैसठ,---सप्तत पचहत्तरवां, या चुरा० उभ०-पाटयति-ते 1. टुकड़े करना, --सप्ततिः (स्त्री०) पचहत्तर,--सूनाः (स्त्री०)
विदीर्ण करना, फाड़ना, फाड़ कर अलग २ करना, घर में रहने वाली पांच वस्तुएं जिनके द्वारा छोटे २
फाड़ कर खोलना, विभक्त करना ..'कंचिन्मध्यात्पाटजीवों की हिंसा हो जाया करती है वे ये है-पंच
यामास, दंती शि० १८१५१, दत्वर्ण पाटयेल्लेखम् सूना गृहस्थस्व चुल्लीपेषण्युपस्करः कंडनी चोदकुंभश्च
--याज्ञ० २।९४ मृच्छ० ९ 2. तोड़ना, तोड़ कर --मनु० ३।६८ (चूल्हा, चक्की या सिलबट्टा, झाडु,
खोलना--अन्यासु भित्तिषु मया निशि पाटितासु ओखली और पानी का घड़ा),-हायन (वि०) पांच -मृच्छ० ३.१४ 3. छेदना, चुभोना, धुसेड़ना - दर्भवर्ष की आयु का।
पाटिततलेन पाणिना-रघु०११।३१ 4. दूर करना, पंचनी [पंचन ल्युट-डीप् ] शतरंज जैसे खेल की कपड़े हटाना 5. तोड़ डालना उद -, 1. फाड़ डालना, __ की बनी हुई विसात ।
निकाल लेना---दंतैनोत्पाटयेन्नखान्- मनु० ४।६९, पंचम (वि.) (स्त्रो०-मी) [पंचन---मट्] 1. पांचवाँ कीलमुत्पाटयितुमारभे- पंच०१ 2. जड़ से उखा
2. पांचवा भाग बनानेवाला 3. दक्ष, चतुर 4. सुन्दर, इना, उन्मूलन करना-कु० २१४३, रघु० १५।४९ उज्ज्वल,--मः 1. भारतीय स्वरग्राम का पाँचवाँ (बाद 3. उद्धृत करना वि-1. फाड़ डालना (केतकबह) के समय में सातवाँ) स्वर, कथित कोकिलरव (कोकिलो विपाटयामास युवा नखा:-रघु० ६।१७ 2. खींचना, रौति पंचमम्-नारद) शरीर के पाँच अंगों से उत्पन्न बाहर निकालना, उद्धृत करना। होने के कारण इसका नाम 'पंचम' है-वायुः समु- | ii (चुरा० उभ०–पटयति-ते) 1. गूंथना, बुनना दगतों नाभेरुरोहत्कंठमुर्घसु, विचरन् पंचमस्थानप्राप्त्या —कुर्विदस्त्वं तावत्पश्यसि गणग्राममभितः-काव्य. पंचम उच्यते 2. संगीत स्वर या राग का नाम ७ 2. वस्त्र पहनाना, लपेटना 2. घेरना, घेरा बनाना। ----व्यथयति वथा मौन तन्वि प्रपंचय पंचमम्-गीत०
पटः, टम् [पट वेष्टने करणे घार्थे कः] 1. वस्त्र, १०, इसी प्रकार उदंचित पंचम रागम् --गीत० १,
पहनावा, कपड़ा, चिथड़ा-अयं पटः सूत्रदरिद्रतां गतो मम् 1. पाँचवाँ 2. मैथुन, तान्त्रिकों का पाँचवाँ मकार,
'ह्ययं पटश्छिद्रशतैरलंकृत:--मच्छ० २।९, मेघाः -मी 1. चान्द्रमास के पक्ष की पांचवीं तिथि 2.
सति बलदेवपट प्रकाशा:–५।४५ 2. महीन कपड़ा (व्या० में) अपादान कारक, द्रौपदी का विशेषण 4.
3. चूंघट, परदा 4. कपड़े का टुकड़ा जिस पर चित्र शतरंज की कपड़े की बिसात। सम०-आस्यः कोयल।
बनाये जायें-- टम् छप्पर, छत। सम०-उटजम् पंचालाः (पुं०, ब० व०) [पंच+कालन्] एक देश तथा
तंबू,-कारः 1. जुलाहा 2. चित्रकार,--कुटी (स्त्री०), उसके निवासियों का नाम,-लः पंचालों का राजा।
--मंडपः,—वापः, - वेश्मन् (नपुं०) तंबू-शि० पंचालिका [पंचाय प्रपंचाय अलति-अल-बल+टाप, १२।६३,-वासः 1. तंबू 2. पेटीकोट 3. सुगंधित चूर्ण इत्वम् गुड़िया, पुतली --तु० 'पांचालिका'।
--- रत्न०१,-वासकः सुगंधित चूर्ण । पंचाली पंचाल ङीष ] 1. गुड़िया, पुतली 2. एक प्रकार | पटकः [पट+के+क] 1. शिविर, पड़ाव 2. रूई का कपड़ा
का राग 3. शतरंज आदि खेल की कपड़े की बनी | पटच्चरः [पटत् इति अव्यक्तशब्द चरति-पटत्+चर+ बिसात ।
अचचोर, तु. पाटच्चर,-रम् चिथड़ा, फटे पुराना पंचाश (वि०) (स्त्री० शी) [पंचाशत् --डट् ] पचासवाँ । कपड़ा। पंचाशत्, पंचाशतिः (स्त्री०) पचास ।
पटत्कः [पटत्+के+क] चोर । पंचाशिका [पंचाश+क+टाप् इत्वम् पचास श्लोकों का | पटपटा (अव्य०) अनुकरण मूलक ध्वनि । संग्रह-अर्थात् 'चोर पंचाशिका'।
पटलम् [पट+कलच्] 1. छत, छप्पर-विनमितपटलांतं
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