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निषंगिन (अव्य० )[ निषंग+इनि 11. आसक्त, संलग्न । रिसना, झरना, तैलनिषेकबिंदुना-रघु० ८१३८,
----शि० १२१२६ 2. तरकसधारी--पुं० 1. धानुष्क, ___टपकते हुए तेल की एक बूंद 3. स्राव, प्रस्राव धनुर्धर 2. तरकस 3. खड्गधारी।
4. वीर्यपात, वीर्यसिंचन, गर्भवती करना, बीजनिषण्ण ( भू० क. कृ०) [नि+सद्+क्त] 1. बैठा कु० २।१६, रघु० १४।६० 5. सिंचाई, 6. प्रक्षालन
हुआ, आसीन, विश्रान्त, आश्रित,--रघु० ९।७६, के लिए जल 7. वीर्य की अपवित्रता 8. मैला पानी। १३।७५ 2. सहारा दिया हुआ 3. गया हुआ 4. निषेधः [ नि-+-सिध् । घञ्] 1. प्रतिषेध, दूर रखना, खिन्न, कष्टग्रस्त, नतमख--तु० 'विषण्ण'।
दूर हटाना, रोकना, प्रतिरोध 2. प्रत्याख्यान, मुकरना निषण्णकम् [ निषण्ण+कन् ] आसन।
3. नकारात्मक अव्यय-द्वौ निषेधौ प्रकृतार्थं गमयतः निषद्या [नि-+-सद्+क्या+टाप् ] 1. खटोला, पीला | 4. प्रतिषेधक नियम (विप० विधि) 5. नियम से
2. व्यापारी का कार्यालय, दुकान 3. मंडी, हाट व्यतिक्रम करना, अपवाद । ---शि०१८।१५।
निषेवक [नि+से+ण्वल ] 1. अभ्यास करने वाला, निषद्वरः [नि+सद् + वरच् ] 1. गारा, दलदल 2. अनुगमन करने वाला, भक्त, अनुरक्त 2. बार २ कामदेव,-री रात ।
आने वाला, बसने वाला, आश्रयग्रहण करने वाला निषधः ( ब० द०) [नि+सद् +अच्, पृषो०] नल
3. उपभोग करने वाला। द्वारा शासित एक देश तथा उसके निवासियों का | निषेवणम्, निषेवा [नि+से+ल्युट, अ+टाप् वा] नाम,--धः 1. निषध देश का शासक 2. पहाड़ का 1. सेवा करना, नौकरी, हाजरी में खड़े रहना नाम ।
2. पूजा, आराधना 3. अभ्यास, अनुष्ठान 4. आसक्ति, निषादः [ नि+सद +घञ ] 1. भारत की एक जंगली लगाव 5. रहना, बसना, उपभोग करना, उपयोग में
आदिम जाति, जैसे शिकारी, मछ्वे आदि, पहाड़ी लाना 6. परिचय, उपयोग। --मा निषादं प्रतिष्ठा त्वमगमः शाश्वती: समा: निष्क् (चुरा० आ०--निष्कयते) तोलना, मापना । --रामा० रघु० १४१५२, ७० 2. पतित जाति का निष्कः,-कम् [ निष्क-+-अच् ] 1. स्वर्णमुद्रा (भिन्न-भिन्न मनुष्य, चाण्डाल, एक वर्णसंकर जाति 3. विशेषकर मूल्य की, परन्तु सामान्यरूप १६ माशे या एक कर्ष शूद्रा स्त्री से ब्राह्मण का पुत्र-मनु० १०१८ 4. के तोल के सोने के बराबर) 2.१०८ से १५० कर्ष ( संगीत में ) हिन्दूसरगम का पहला (यदि उपयु- के तोल का सोना 3. छाती या कण्ठ में पहनने का क्तता के अधिक निकट हो तो--अन्तिम या सप्तम ) स्वर्णाभूषण 4. सोना,--कः चांडाल। स्वर--पीतकलाविन्यासमिव निषादानुगतम्--का० निष्कर्षः निस्कृप-धा 1 1. बाहर निकालना, २१, ( यहाँ यह प्रथम भी रखती है)।
निचोड़ना 2. सत्, सारभूत अर्थ, तत्व--इति निष्कर्षः निषावित [ नि+सद् + णिच् +क्त ] 1. बैठाया हुआ 2. (भाष्यकारों द्वारा बहुधा प्रयुक्त)-मनु० ५।१२५, कष्टग्रस्त, दुखी।
भाषा० १३८ 3. मापना 4. निश्चय, जाँचपड़ताल । निषादिन् (वि० ) ( स्त्री०--नी) [ निषाद-+-इनि] निष्कर्षणम् [निस्+कृष् + ल्युट ] 1. बाहर निकालना,
बैठने वाला या लटने वाला, विश्राम करने वाला, निचोड़ना, खींचना-रघु०१२।९७, 2. घटाना । आराम करने वाला--रघु० १।५२, ४।२, (पुं० ) निष्कालनम् [निस्+कल्--णिच् + ल्युट ] (गाय भैसों महावत,--शि० ५।४१ ।
को) हांक कर दूर करना 2. वध, हत्या। निषिद (वि०) [नि+सि+क्त ] 1. मना किया हुआ, निष्कासः (सः) [निस्+काश् (स्)+घञ्] 1. बाहर
प्रतिषिद्ध, दूर हटाया हुआ, रोका हुआ-दे० नि पूर्वक | निकलना, निर्गम, निकास 2. प्रासाद आदि का द्वारसिधु ।
मण्डप 3. प्रभात 4. अन्तर्धान। निषिक्त (भु०क० कृ०) [नि+सिच+क्त ] 1. छिड़का निष्कासित (भु०क० कृ०)[निस+कस-न-णिच+क्त ]
हुआ 2. भरा हुआ, टपकाया हुआ, उँडेला हुआ, 3. निर्वासित, बाहर निकाला हुआ, हांक कर बाहर व्याप्त किया हुआ।
किया हुआ 2. बाहर गया हुआ, बाहर निकाला हुआ, निषिधिः [नि-+-सिध् +क्तिन् ] 1. प्रतिषेध, दूर रखना, 3. रक्खा हुआ, जमा किया हुआ 4. ठहराया हुआ, _ दूर हटाना 2. प्रतिरक्षा ।
नियत किया हुआ, 5. खोला हुआ, खिला हुआ, निषूदनम् [नि+सू+णि+ल्युट ] वय करना, हत्या फैलाया हुआ 6. बुराभला कहा हुआ, झिड़का हुआ।
करना-वधिक जैसा कि 'बलवृत्रनिषूदन' में। निष्कासिनी [निस+क+णिनि-1-डी नह दामी जो निवेकः [निसि +धम ] 1. छिड़कना, तर करना ... अपने स्वामी के नियंत्रण में हो।
मुखसलिकनिषेक:-ऋतु. १२२८ 2. बूंद २ टपकना, निष्कुटः [निस्+कुट+क] 1. घर से लगा हुआ प्रमद
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