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न होतालान बन्दलाली
भट्टि० २।२६, शि० ८१६३, मनु० २०६६, ६॥३० 2. प्रकाशित, सम्पन्न, निष्पन्न--मा० १०॥२४ (निःशंक
विहितः-जगद्धर 3. बढ़िया, पूर्ण । निष्पक्व ( वि०)[ निस्+पच्+क्त ] 1. काढ़ा बनाया
हुआ, जल में भिगोया हुआ 2. भली प्रकार पकाया
हआ। निष्पतनम् [ निस्+-पत्+लट् ] 1. झपट कर निकलना,
शीघ्रता से बाहर जाना। निष्पत्तिः ( स्त्री०) [ निस्+पद्+क्तिन् ] 1. जन्म,
उत्पादन-शस्यनिष्पत्तिः 2. परिपक्वावस्था, परिपाक-कु० २१३७ 3. पूर्णता, समापन 4. संपूर्ति,
संपन्नता, समाप्ति। निष्पन्न ( भू० क० कृ० ) [ निस्+पद्+क्त ] 1. जन्मा
हुआ, उदित, उद्गत, पैदा हुआ 2. कार्यान्वित हुआ,
पूरा हुआ, संपन्न 3. तत्पर । निष्पवनम् [ निस् +-पू+ल्यूट ] फटकना। निष्पादनम् [ निस्+पद्+णिच् + ल्युट् ] 1. कार्यान्व
यन, निष्पत्ति 2. उपसंहरण 3. उत्पादन, पैदा करना । निष्पावः [ निस्+पू+घञ ] 1. फटकना, अनाज साफ
करना 2. छाज से उत्पन्न होने वाली वायु 3. हवा । निष्पीडित (भू० क० कृ०) [ निस् ।-पोड़ +-णिच --क्त ]
निचोड़ा हुआ, ीचा हुआ,---निष्पीडितेंदुकरकंदलजो
नु सेक:-उत्तर० ३।११ । निष्पेषः, निष्पेषणम् [ निम् +पिय् +घञ, ल्युट् वा ] 1.
मिलाकर रगड़ना, पीसना, चूर-चूर करना, कुचलना-- भजांतरनिष्पेप:-वेणा०३ 2. खोटना या कूटना, आघात करना, रगड़ देना-रघु० ४।७७, महावी०
१२३४, का० ५६ । निष्प्रवाणम्-णि (नपुं०) [ निस--प्रवे+ल्युट, निर्गता
प्रवाणी तन्तुवाप शलाका अस्मात् अस्य वा नि० - साधुः ] नया कोरा कपड़ा, युगलम् -दश०। निस ( अव्य० ) [ निस+ स्विप ] 1. उपसर्ग के रूप
में यह धातुओं के पूर्व लग कर बियोग (से दूर, के वाहर), निश्चिति, पूर्णता, उपभोग, पार करना, अतिक्रमण आदि अर्थों को बतलाता है, उदाहरण दे० पीछे 'निर' के अन्तर्गत 2. संज्ञा शब्दों के पूर्व उपसर्ग के रूप म प्रयुक्त, होकर बहुत से नाम और विशेषण
बनाता है तथा निम्नांकित अर्थ प्रकट करता है (क) ... 'में से' 'से दूर' जैसा कि 'निर्वन, निष्कौशाम्बि' या
(ख) अधिक प्रचलित 'नहीं' के विना' से शन्न' (अभावात्मकता पर बल देने वाला), निःशेष -बिना शेष के, निष्फल, निर्जल आदि (विशे० समासो में निस् का स स्वरों के, अथवा वर्ग के तीसरे, चौथे या पांचवें वर्ण, या य र ल व ह में से कोई वर्ण, परे होने पर, बदल कर र हो जाता है, दे० निर, ऊष्म वर्णों
के परे होने पर विसर्ग, च छ से पूर्व श् तथा क और प से पूर्व ष हो जाता है, दे. दुस)। सम-कंटक (निष्कंटक) (वि०) 1. बिना कांटों का 2. काटों से या शत्रुओं से युक्त, भय तथा उत्पातों से मुक्त,-कंद (निष्कंद) (वि.) भक्ष्य मूलों के बिना,---कपट (निष्कपट) (वि०) निश्छल, शुद्ध हृदय,--कंप (निष्कप) (वि०) गतिहीन, स्थिर, अचर-निष्कंपचामरशिखा-श० १२८, कु. ३।४८,-करण (निष्करुण (वि.) निर्दय, निर्मम, क्रूर,-कल (निष्कल) (वि.) 1. अखंड, अविभक्त, समस्त 2. प्राप्तक्षय, क्षीण, न्यून 3. पुंस्त्वहीन, ऊसर 4. विकलांग-(लः) 1. आधार 2. योनि, भग 3. ब्रह्मा (-ला,-ली) एक बूढ़ी स्त्री जिसके बच्चे होने बन्द हो गये हों, या जिसे अब रजोधर्म न होता हो,-कलंक (निष्कलंक) (वि.) निर्दोय, कलंक से रहित,-कषाय (निष्कषाय) (वि०) मैल तथा दुर्वासनाओं से मुक्त,-काम (निष्काम) (वि.) 1. कामना या अभिलाषरहित, निरिच्छ, निस्वार्थ, स्वार्थरहित 2. संसार की सब प्रकार की इच्छाओं से मुक्त (अव्य-मम्) 1. विना इच्छा के 2. अनिच्छा पूर्वक,-कारण (निष्कारण) (वि०) 1. बिना कारण के, अनावश्यक 2. निस्वार्थ, निष्प्रयोजन-निष्कारणो बंधुः 3. निराधार, हेतुरहित (अध्य० णम) बिना किसी कारण या हेतु के, कारण के अभाव में, अनावश्यक रूप से,-कालक: (निष्कालक:) पश्चात्ताप में रत (अपराधी) जिसके बाल, रोएँ सब मूंड कर धी लगाया गया हो,-कालिक (निष्कालिक) (वि.) 1. जिसकी जीवनचर्या समाप्त हो गई, जिसके दिन इने गिने हों 2. जिसे कोई जीत न सके, अजेय,-किंचन (निष्किचन) (वि०) जिसके पास एक पैसा भी न हो, धनहीन, दरिद्र,-कुल (निष्कुल) (वि.) जिसका कोई बन्धुबान्धव न रह। हो, संसार में अकेला रह गया हो (निष्कुलं कृ पूर्ण रूप से संबंध विच्छेद करना, निर्मूल कर देना; निष्कूला कृ 1. किसी के परिवार को तहस-नहस कर देना 2. छिल्का उतारना, भसी अलग करना-निष्कुलाकरोति दाडिमम्-सिद्धा०),-कुलीन (निष्कुलीन) (वि.) नीच कुल का,-कूट (निष्कूट) (वि.) छलरहित, ईमानदार, निर्दोष,-कृप (निष्कृप) (वि०) निर्मम, निर्दय, क्रूर,---कैवल्य (निकैवल्य) (वि०) 1. केवल, विशद्ध, निरपेक्ष 2. मोक्ष से वञ्चित, मोक्षहीन,--कौशांबि निष्काशांबि) (वि.) जो कौशांबि से बाहर चला गया है,--क्रिय (निष्क्रिय) (वि०) 1. क्रियाहीन 2. जो धार्मिक संस्कारों का अनुष्ठान न करता हो,--क्षत्र (निःक्षत्र),-क्षत्रिय (निःक्षत्रिय) (वि०) सैन्यजाति
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