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( ४५६ ) 5. देवदारु वृक्ष 6. कच्चा लोहा 7. पीतल । सम। मछुवों का गाँव, -नन्दिनी व्यास को माता सत्यवती ..-अण्डः मोर, --आघाटः खुटबड़ई,-गर्भा काठ को का विशेषण। पुतलो,-जः एक प्रकार का ढोल, -पात्रम् कठरा, | दाशरथः,-दाशरथिः [दशरथ---अग, इन वा]-दशरथ का काठ का बर्तन, -पुत्रिका,--पुत्री लकड़ी की गुडिया, पुत्र,---रघु०१०१४४ 2. राम और उसके तीनों भाई, ---मुख्याहया, मुख्याह्वा छिपकिली,---यन्त्रम् 1. कठ- विशेषकर राम---रघु० १२।४५ । पूतलो 2. लकड़ी का यन्त्र,-बवः लकड़ी की गुड़िया, | दाशार्हाः (ब० व०) [दशाह+अण् ] दशाह के वंशज, .. सारः चन्दन, हस्तकः लकड़ी का चम्मच ।
यादव--शि० २।६४ । दारुकः [दारु-+कन्] 1. देवदारु का पेड़ 2. कृष्ण के सारथि | दाशेरः | दाशी+ढक् ] 1. मछुवे का बेटा 2. मछुवा
का नाम-उत्कन्वरं दारुक इत्युवाच-शि०४।१८,-का| 3. ऊँट । 1. कठपुतली 2. लकड़ी की मूर्ति ।
दाशेरकः [ दाशेर+कन् ] मालव देश,-काः (ब० व०) दारुण (वि०)[+णिच् + उनन् ] 1. कड़ा, सख्त-उत्तर० मालव देश के निवासी या शासक, दे० 'दाशेर' भी।
३३३४ 2. कठोर, क्रूर, निर्दय, निष्ठुर,-मय्येव दासः [ दास्+अच्] 1. गुलाम, सेवक---गृहकर्मदाशाः विस्मरणदारुणचित्तवृत्तौ -श० ५।२३, पशुमारण- --भर्तृ० १११, गृह, कर्म', आदि 2. मछुवा 3. शूद्र, कर्मदारुणः-६६१, मनु० ८।२७० 3. भीषण, भयानक, चौथे वर्ण का पुरुष, तु० 'गुप्त'। सम० ----अनुदासः भयंकर---श० ६।२९ 4. घोर, प्रचण्ड, उग्र, तीव्र, --गुलाम का सेवक (अत्यंत विनम्र सेवक) (कभी अत्यन्त पीड़ाकर (शोक, पीडा आदि),-हृदयकुसुम- कभी वक्ता के द्वारा यह शब्द 'विनम्रता' का सूचक शोषी दारुणो दीर्घशोक:-उत्तर० ५ 5. बहुत तेज, समझा जाता है),-जनः सेवक या गुलाम-कमपराधलवं कर्कश (शब्द आदि) 6. नशंस, रोमाञ्चकारी,-णः मयि पश्यसि त्यजसि मानिनि दासजनं यत:-विक्रम
भयानक रस,—णम् उग्रता, निर्दयता, बीभत्सता आदि । ४।२९ ( भीड़भाड़ या सामान्य जनसमूह के लिए दाढयम् [दृढ़-+ष्या] 1. कड़ापन, सख्ती, दृढ़ता 2. पुष्टि, 'दास्यकुलम्' समस्तशब्द प्रयक्त किया जाता है ) समर्थन ।
दासी [ दास+डोष ] 1. सेविका, नौकरानी 2. मछुवे की दार्दुरः,-रम् [दर्दुर---ण] 1. दक्षिणावर्ती (दाईं ओर खुलने पत्नी 3. शूद्र की पत्नी 4. वेश्या । सम०-पुत्रः, वाला) शंख 2. जल।
-सुतः सेविका या गुलाम स्त्री का पुत्र, सभम दासियों दार्भ (वि०) (स्त्री०- ) [दर्भ+अण् ] कुश घास का का समूह, (जिस समय 'संबं० ए०व० 'दास्याः
बना हुआ-दार्भ मुञ्चत्युटजपटलं वीतनिद्रो मयूरः-श० शब्द समास में प्रयुक्त होता है तो उसका शाब्दिक ४, (अने० पा०)।
अर्थ नष्ट हो जाता है, उदा० दास्याः पुत्रः,-सुतः वार्य (वि०) (स्त्री०-:) [ दारु+अण् ] काठ का बना छिनाल का बेटा, (हराम का बच्चा---एक प्रकार का हुआ।
अपशब्द)-दास्याः पुत्रैः शकुनिलुब्धकैः-श० २; दार्वटम् [पर्शियन शब्द --दारु+अट् + क ] मन्त्रणागृह, परन्तु 'दास्याः सदृशी' सेविका के समान । न्यायालय।
दासेरः,-रकः [ दासी+डक, दासेर+कन् ] 1. दासी या दार्शनिकः [दर्शन-|-ठञ] दर्शन शास्त्रों से परिचित । । सेविका का पुत्र 2. शूद्र 3. मछुवा 4. ऊँट-शि० दार्षद (वि.) (स्त्री०-दी) [दषद+ अण ] 1. पत्थर का १२।३२, ५।६६, (इस अर्थ में 'दासेय' शब्द भी है)।
बना हुआ, खनिज 2. सिल पर पिसा हुआ (सत्तू | दास्यम् [ दास+प्या ] दासता, गुलामी, सेवा, अधीनता आदि)।
-पतिकुले तव दास्थमपि क्षमम् -श० ५।२७, मनु० दान्ति (वि०) (स्त्री०-जी) [दृष्टान्त---अण् ] दृष्टान्त ८४१०।
देकर समझाया गया या व्याख्या किया गया, सचित्र | दाहः [दह +घञ ] 1. जलन, दावाग्नि,-दाहशक्तिमिव वर्णन का विषय अर्थात उपमेय--स्वापस्य दार्टान्ति- कृष्णवत्मनि -रघु० १२४२, छेदो दंशस्य दाहो वा कत्वेन विवक्षितं---शंकर।
--मालवि० ४।४, कि० ५।१२ 2. (आकाश की दाल्मिः [दालयति असुरान्-दल+णिच् +-मि] इन्द्र । भांति) दहकती हुई लाली 3. जलन की उत्तेजना दावः [दुनाति दु+ण]दव । सम० ---ग्निः, अनल: 4. ताप, संताप। सम-अगुरु (नपुं०)काष्ठम्
---बहनः, जङ्गल की आग, दावाग्नि ... आनन्दमग- एक प्रकार का सुगन्ध, अगर, --आत्मक (वि०) जल दावाग्निः शीलशाखिमदद्विपः, ज्ञानदीपमहावायुरयं खल- उठने वाला,-ज्वरः जलन वाला बुखार,-सरः, समागमः---भामि० १।१९०, ३४ ।
.....सरस् (नपुं०),--स्थलम मुर्दो के जलाने का स्थान, बाशः [दशति हिनस्ति मत्स्यान् -दंश् -ट, नस्य आत्वम्] | श्मशानभूमि,-हर (वि०) गर्मी को दूर हटाने वाला
मछुवा, मनु० ८५४०८,४०९, १०३४ । सम०-ग्रामः । (--रम्) उशीर पौधा, खस ।
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