________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ५२५ ) अत्यधिक, बहुत ज्यादह, अत्यंत, अतिशय ।
लाना 3. प्रमाण, साक्ष्य - बलिना सह योद्धव्यमिति नित्य (वि.) | नियमेन नियतं वा भवं-नि+त्यप् ] 1. नास्ति निदर्शनम्-पंच०३ ।२३ 4. दृष्टान्त, उदा
निरंतर रहने वाला, चिरस्थायी, लगातार, देर तक हरण, मिसाल-ननु प्रभुरेव निदर्शनम् --- श० २, निदटिकने दाला, शाश्वत, निर्बाध-यदि नित्यमनित्येन र्शनमसाराणां लघुर्बहुतृणं नरः--शि० २।५०, रघु० ८। लभ्येत...हि. ११४८, नित्यज्योत्स्नाः प्रतिहततमो- ४५ 5. अग्रसूचक 6. चिह्न, शकुन 7. योजना, पद्धति वृत्तिरम्याः प्रदोषाः- मेघ (लल्लि० इसे प्रक्षिप्त 8. विधि, वेदविहित प्रमाण, निषेध,----ना अलंकार मानता है) मनु० २।२०६ 2. अटल, नियमित, शास्त्र में एक अलंकार-निदर्शना, अभवन्वस्तुसंबंध निश्चित, अनैच्छिक, नियमित रूप से नियत (विप० । उपमापरिकल्पक:-काव्य० १०, उदा० रघु० ०२। काम्य) 3. आवश्यक, अवश्यकरणीय, अपरिहार्य 4. निदाधः [ नितरां दह्यते अत्र ---नि-+ दह.+घङ | 1, ताप, सामान्य, प्रवलित (विप० नैमित्तिक). (समास के गर्मी 2. ग्रीष्म ऋतु, गर्मी का मौसम (ज्येष्ठ और अन्त में) निरंतर निवास करने वाला, लगातार किसी आषाढ़ के महीने) निदाघमिहिरज्वालाशतैः–भामि० काम में लगा हुआ या व्यस्त, जाह्नवीतीर', अरण्य', श१६, निदाघकाल: समुपागतः प्रिये-ऋतु० १११, आदान , ध्यान आदि, त्यः समुद्र, -त्यम् (अव्य०) पंच० १।१०५, कु० ७८४ 3. स्वेद, पसीना । सम० प्रतिदिन, लगातार, सदा, हमेशा, निरन्तर सदैव । --- करः सूर्य,-काल: गरमी की ऋदु । सम० ---अनध्यायः-ऐसा अवसर जब वेद पठन-पाठने
निदानम् [ निश्चयं दीयतेऽनेन ---नि+दा+ल्यट | 1. सर्वथा त्याग दिया जाय, मनु०४।१०७,---अनित्य
पट्टी, तस्मा, रस्सी, डोरी 2. बछड़े को बांधने का (वि०) शाश्वत तथा नश्वर, - ऋतु (वि०) ऋतु के
रस्सा 3. प्राथमिक कारण, प्रथम या आवश्यक आने पर नियमित रूप से होने वाला,-कर्मन् (नपुं०), कारण-निदानमिक्ष्वाकुकूलस्य संतते:-रघु० ३।१, -- कृत्यम्,- क्रिया प्रतिदिन किया जाने वाला आव
अयथा बलमारंभो निदानं क्षयसंपदः--शि० २१९४ श्यक कार्य, लगातार किया जाने वाला कर्तव्य, जैसे
4. सामान्य कारण--मुंच मयि मानमनिदानम --- गीत. कि दैनिक पंचयज्ञ,—गतिः वाय, हवा,-दानम् प्रति
५ 5. (आय० में) रोग का कारण जानना, रोगदिन दान देने का कर्म,-नियमः अटल सिद्धांत, नैमि- विज्ञान 6. किसी रोग का निरूपण 7. अन्त, समाप्ति तिकम किसी निमित्त विशेष से नियमित रूप से होने
8. पवित्रता, निर्मलता, शुद्धता। वाला या किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निदिग्ध (भ.क. कृ०) [नि-+-दिह+क्त] 1. लेप किया निरन्तर किया जाने वाला अनुष्ठान (उदा० पर्वश्राद्ध), |
हुआ, चुपड़ा हुआ 2. बढ़ाया हुआ, संचित--ग्धा -प्रलयः सुषुप्ति,-मुक्तः परमात्मा,-योक्ना (सदा !
__ छोटी इलायची। यवती बनी रहने वाली) द्रौपदी का विशेषण, - शंकित निदिध्यासः, निदिध्यासनम् [नि+ध्ये+सन्+घ, ल्युट् (वि.) सदैव चौकन्ना, सदैव सशंक, -- समासः अनि
| वा] बारंबार ध्यान में लाना, निरंतर चिन्तन ।। वार्य समास, ऐसा समास जिसके अर्थों को पृथक् २
निवेशः [नि+दिश+ध] 1. आज्ञा, हुक्म, हिदायत, शब्दों द्वारा अभिव्यक्त न किया जा सके-उदा०
अनुदेश---वाक्येनेयं स्थापिता स्वे निदेशे—मालवि. जमदग्नि, जयद्रथ आदि, इवेन नित्यसमासः आदि ।
३१४, स्थितं निदेशे पृथगादि देश-रषु० १४।१४ नित्यतो,--- त्वम् [ नित्य+तल+टाप त्व वा ] 1. स्थि- 2. भाषण, वर्णन, समालाप 3. सामीप्य, पढ़ोस 4.
रता, अनवरतता, नैरन्तर्य, शाश्वतता, निरन्तरता 2. पात्र, वर्तन । आवश्यकता ।
निवेशिन् (वि.) [निदेश+ इनि] संकेत करने वाला, निश्यबा (अव्य) [ नित्य+दाच् ] लगातार, हमेशा,' --नी 1. दिशा, पृथ्वी का एक बिन्दु 2. प्रदेश । । प्रतिदिन, सदैव ।
निद्रा [निन्द्+र+टाप, नलोपः] 1. सुप्तावस्था, नींद नित्यशस् (अव्य.) [ नित्य+शस् ] लगातार, हमेशा,
--प्रच्छायसुलभनिद्रा दिवसा:--श० ११३ 2. शिथिसदेव-- भग० ८।१४, मनु० २।९६,४।१५० ।
लता 3. आँखे मुंदना, कली की अवस्था 1. सम. निबनुः [निदात् विषात् द्वाति पलायते---निद+द्रा-कु] - भंगः जागरण, नींद टूट जाना,---वृक्षः अंधकार मनुष्य ।
-संजननम् श्लेष्मा, कफात्मक वृत्ति। निदर्शक (वि.) [नि+दृश् +पवुल ] 1. देखने वाला 2. निद्राण (वि.) [
निद्रा +क्त, तस्य नः, ततो णत्वम्] अन्दर देखने वाला, प्रत्यक्ष करने वाला 3. संकेत सोता हुआ, शयान, ।
करने वाला, प्रकथन करने वाला, इंगित करने वाला। | निद्राल (वि.) [नि+द्रा+आलुच शयान, निद्रित, निदर्शनम् [नि+दश+ ल्युट ] 1. दृश्य, अन्तर्दष्टि, अन्त- --विष्णु की उपाधि ।
रीक्षण, नजर, दर्शनशक्ति 2. इशारा करना, बत- निद्रित (वि.) [निद्रा+इतच्सोया हुआ, सुप्त ।
For Private and Personal Use Only