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का स्थानापन्न; संज्ञा से पूर्व 'अ' या 'अन्' लगा कर भी इस अर्थ को प्रायः व्यक्त किया जा सकता है, दे० नी० दिए गये समस्त शब्द, दे० 'निस्' और तु० 'अ' से) । सम० - अंश (वि० ) 1. पूर्ण, समस्त 2. पूर्वजों से प्राप्त सम्पत्ति में भाग लेने का अनधिकारी-अक्ष: ( ज्यो० में) भोगांश से मुक्त स्थान- अग्नि (वि० ) जिसने अग्निहोत्र करना त्याग दिया हो- अंकुश (वि०) 'जिस पर किसी प्रकार का दबाव न हो, कोई रोक टोक न हो, नियंत्रण से मुक्त, उद्दंड, स्वतंत्र, स्वेच्छाचारी, उच्खल --- निरंकुश इव द्विपः - भाग ०, कामो निकामनिरंकुश :- गीत ● ७, निरंकुशाः कवयः सिद्धा०, भर्तृ० ३।१०६, महावी० ३।३९, - अंग ( वि० ) 1. अंगहीन 2. साधनहीन, अजिन (f ( वि० ) त्वचारहित, अंजन ( वि० ) 1. 'बिना आंजक का 2. निष्कलंक, निर्दोष 3. मिथ्यात्व से रहित 4. सीधासादा, जिसमें बनावट न हो (नः) शिव का विशेषण (ना) पूर्णिमा, अतिशय (वि०) जिससे बढ़चढ़ कर दूसरा न हो, अद्वितीय, अत्यय ( वि० ) 1. निर्भय, निरापद, सुरक्षित रघु०१७/५३ 2. निरपराध, निष्कलंक, निर्दोष, निःस्पृह कि० १११२, १३३६१, पूर्णतः सफल, - अध्व (वि०) जो रास्ता भूल गया हो, - अनुक्रोश (वि० ) निर्मम, निर्दय कठोर हृदय, (शः ) निर्दयता, निष्ठुरता - अनुग (वि०) जिसका कोई अनुयायी न हो, अनुनासिक (वि०) अनुनासिक से भिन्न, जिसके उच्चारण में नाक का योग न हो, - अनुरोध ( वि० ) 1. अननुकूल, अमैत्रीपूर्ण 2. निष्करुण, सद्भावशून्यमा १०. - अंतर ( वि० ) 1. सदा बना रहने वाला, लगातार होने वाला, अव्यवहित, अविच्छिन्न- निरंतराधिपटल:- भाभि० १।१६, निरंतरास्वंत रवातवृष्टिषु — कु० ५।२५ 2. व्यवधानरहित, निरंतराल, सटा हुआ - मूढे निरंतरपयोधरया मयैव मृच्छ०५/१५, हृदयं निरंतरवृत्कठिनस्तनमंडलावरणमप्यभिदन्- शि० ९/६६ ३. अखंड, सघन - शि० १६ | ७६ 4. मोटा, स्थूल 5. विश्वसनीय, (मित्र की भांति ) ईमानदार, सच्चा 6. सदा आंखों के सामने
हने वाला 7. अभिन्न, समान, समरूप ( अव्य० - रम् ) 1. निर्बाध, लगातार, सतत, अनवरत 2. बिना किसी मध्यवर्ती अन्तराल के 3. पक्की तरह से, कसकर, दृढ़तापूर्वक -- 6- - ( परिष्वजस्व) कान्तैरिदं मम निरंतरमंगमंगे: - वेणी० ३।२७, परिष्वजेते शयने निरंतरम् - ऋतु ० २।११ 4. तुरन्त 'अभ्यासः अनवरत अध्ययन, सपरिश्रम अभ्यास, अन्तराल (वि०) जिसके बीच में स्थान न हो, सटा हुआ 2. तंग, भीड़ा, - अन्वय ( वि० ) 1. निस्संतान, संतानरहित 2. असंबद्ध, संबंधरहित (वाक्य में शब्द की भांति ) 3.
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अप्रासंगिक 4. असंगत, संगतिरहित, अव्यवस्थित 5. अदृश्य, आंख ओझल - मनु० ८ ३३२ 6. बिना नौकर-चाकरों के अनुचरवर्ग जिसके साथ न हो - दे० 'अन्वय', - अपत्रप (वि० ) 1. निर्लज्ज, ढीठ 2. साहसी, - अपराध (वि० ) निर्दोष, निरीह, दोषरहित, कलंकरहित (-धः ) भोलापन, - अपाय (वि०) 1. दुष्टता से रहित 2. क्षयरहित, अनश्वर 3. अमोघ, अचूक, -अपेक्ष (वि० ) 1. जो किसी दूसरे पर निर्भर न हो, स्वतंत्र, किसी और की अपेक्षा न रखने वाला ( अधि० के साथ ) न्यायनिर्णीतसारत्वान्निरपेक्षमिवागमे कि० ११।३९2. अवहेलना करने वाला ध्यान न देने वाला 3. तृष्णा से मुक्त, निर्भय- हि० ११८३ 4. लापरवाह, असावधान, उदासीन 5. सांसारिक विषयवासनाओं से विरक्त मनु० ६१४१०. निःस्पृह, दूसरे से किसी पुरस्कार की इच्छा न रखने वाला - भामि० ११५ 7. निष्प्रयोजन, (क्षा) उदासीनता, अवहेलना, अभिभव ( वि० ) जो दीनता या तिरस्कार का पात्र न हो, - अभिमान ( वि० ) 1, जो अहंमन्यता से मुक्त हो, घमंड या अहंकार रहित 2. स्वाभिमानशून्य - अभिलाष (वि०) जिसे किसी वस्तु की चाह न हो, उदासीन स्वसुखनिरभिलाषः खिद्य से लोकहेतो:- श० ५/५ अभ्र (वि० ) मेघरहित, - अमर्ष ( वि० ) 1. क्रोधशून्य, धर्यवान् 2. निरीह, -- अम्बु ( वि० ) 1. जल से परहेज करने वाला 2. निर्जल, जलरहित, अर्गल (वि०) अर्गलारहित, प्रतिबंधरहित, निर्बाध, अनियंत्रित, निर्विघ्न, पूर्णत: मुक्त मालवी० ५ ( अव्य०- लम्) मुक्त रूप से,
अर्थ (वि१ ) 1. निर्धन, गरीब, दरिद्र 2. अर्थहीन, ( शब्द या वाक्य ) निरर्थक 3. अनर्थक 4. व्यर्थ, बेकार, निष्प्रयोजन - अर्थक (वि०) 1. बेकार व्यर्थ, अलाभकर 2. अर्थहीन, अनर्थक, जिसका कोई तर्कयुक्त अर्थ न हो ( कम ) पूरक - निरर्थकं तु हीत्यादि पूरणकप्रयोजनम् -- चन्द्रा० २/६, अवकाश (त्रि०) 1. मुक्त स्थान से रहित 2. जिसके पास फुर्सत का समय न हो, - अवग्रह (वि० ) 1. नियंत्रण से मुक्त, अनि यंत्रित, अनवरुद्ध, नियंत्रणरहित, दुनिवार 2. मुक्त, स्वतंत्र 3. स्वेच्छाचारी, दुराग्रही, अबध (वि०) निष्कलंक, निर्दोष, अकलंकनीय, जिसमें कोई आपत्ति न हो सके - हृद्य निरवद्यरूपो भूपो बभूव दश० १, -अवधि (वि०) जिसका कोई अन्त े न हो, असीम -उत्तर० ३।४४, - अवयव ( वि० ) 1. खंडरहित 2. अविभाज्य 3. अंगरहित, अवलंब (वि० ) 1. असहाय, निराश्रय- श० ६ 2. जो सहारा न दे - अवशेष (वि०) पूर्ण, पूरा, समरत, अवशेषेण ( अव्य० ) पूरी तरह से, सर्वथा, पूर्णरूप से, बिल्कुल
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