________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ५०० ) पूर्वी [धुर+अज्+क्विप्, अज् इत्यस्य वी आदेशः] गाड़ी | विरल.),--वृक्षसेचने द्वे धारयसि मे, श० १, तस्मै का बम, या अगला भोग !
तस्य वा धनं धारयति आदि 11. थामना, रखना धूलकम् [धू+लक+बा०] विष, जहर !
12. पालन करना, अभ्यास करना 13. हवाला देना, धूलिः,-ली (पुं०, स्त्री०) [धू+लि बा०, धूलि+कीष्] उद्धत करना (इस धातु के अर्थ उन संज्ञा शब्दों के
1. धूल, अनीत्वापकतां धूलिमुदकं नावतिष्ठते-शि० अनुसार, जिनसे यह जुड़े, विविध प्रकार के हो जाते २१३४ 2. चूर्ण । सम०---कुट्टिमम्,--केदारः है-उदा० मनसा ५ मन में धारण करना, याद 1. टीला, प्राचीर 2. जोता हुआ खेत, ध्वजः वायु, रखना, शिरसा धू, मूनि ५ सिर पर रखना, अत्यंत - पटलः धूल का ढेर,-पुष्पिका,--पुष्पी केतकी का आदर करना, अंतरे ५ धरोहर रखना, जमानत के पौधा!
रूप में जमा करना, समये ५ सहमत करना, दण्डं ५ धूलिका [धूलि+कन्+टाप्] कोहरा, धुंध !
दण्ड देना, सजा देना, बल का उपयोग करना, जीवितं, धूसर (वि.) [धू+सर, किच्च न षत्वम] धूल के रंग का, प्राणान् शरीरं, गात्रं वेहम् ध जीवित रहना, आत्मा भूरा सा, धुमला-सफेद रंग का, मटमैला-शशी
को स्थापित रखना, प्राणों का सुरक्षित रखना, व्रतं घु दिवसधूसरः----भग० २।५६, कु० ४।४, ४६, रघु०
व्रत का पालन करना, तुलया ५ तराजू में रखना, ५।४२, १६।१७, शि० १७४१,-र: 1. भूरारंग
तोलना, मनः, मतिम्, चित्तम, बुद्धिम् ध किसी वस्तु 2. गधा 3. ऊँट 4. कबूतर 5. तेलो!
में मन लगाना, मन जमाना, सोचना, दृढ़ संकल्प ५i (तुदा० आ०--कइयों के मतानुसार घृ का कर्मवा०
करना गर्भ धू, गर्भवती होना, धारणां धू (एकाग्रता
संयम का पालन करना, 1. अव,--1. स्थिर करना, रूप-ध्रियते, धृत) 1. होना, विद्यमान होना, रहना रहते रहना, जीवित रहना-आर्यपुत्र ध्रिये एषा
निर्धारित करना, निश्चित.. करना, शि० ११३ ध्रिये-उत्तर० ३, ध्रियते यावदेकोऽपि रिपुस्तावत्कुतः
2. जानना, निश्चय करना, समझना, सही सही सुखम् --शि० २।३५, १५४८९ 2. स्थापित या सुर
जानना, न विश्वमूर्तेरवधार्यते वपुः--कु० ५।७८, क्षित रहना, रहना, चलते रहना... सुरतश्रमसंभृतो
रघु० १३१५, उद्,-1. ऊपर उठाना, उन्नत करना मुखे ध्रियते स्वेदलवोद्गमोऽपिते-रघु० ८।५१,
2. बचाना, परित्राण करना 3. बाहर निकालना, कु० ४।१८ 3. संकल्प करना, ! (भ्वा० चुरा० उद्धत करना 4. उन्मूलन करना, उखाड़ना, (उद् उभ० घरति-ते, धारयति-ते, धत, धारित) 1. थामना, पूर्वक धू के वही है रूप जो उद् पूर्वक ह के है) निस्---, संभालना, ले जाना-- भुजङ्गमपि कोपितं शिरसि
निर्धारण करना, निश्चित करना, नियत करना, पुष्पवद्धारयेत्-भर्तृ० २।४, वैणवीं धारयेद्यष्टिम्
–निर्धारितेऽर्थे लेखेन खलूक्ता खल वाचिकम्---शि० सोदकं च कमण्डलुम् ---मनु० ४।३६, भट्टि० १७१५४,
२०७०, ९।२०, वि-,1. धर पकड़ना, पकड़ लेना, विक्रम० ४१३६ 2. थामना, संभालना, स्थापित
ग्रहण करना, धारण कर लेना-- अंशुक पल्लवेन रखना, सहारा देना, जीवित रखना-..धृतमंदर--गीत.
विधतः, अमरु ७९, ५५ 2. पहनना, धारण करना, १, यथा सर्वाणि भूतानि धरा धारयते समम् मन्० उपयोग में लाना--रघु० १२।४० 3. स्थापित रखना, ९।३११, पंच० १११६, प्रातः कुन्दप्रसवशिथिलं
वह्न करना, सहारा देना, थामलेना, पंच० १२८२, जीवितं धारयेथाः-- मेघ० ११२, चिरमात्मना धृताम् भर्तृ० ३।२३ 4. टकटकी लगाना, निदेश देना, .- रघु० ३.३५ 3. अपने अधिकार में थामे रखना,
सम्-, 1. थामना, संभालना, ले जाना 2. थाम लेना, अधिकार में करना, पास रखना, रखना-या संस्कृता
सहारा देना-अरैः संधार्यते नाभिः-पंच. १९८१ धार्यते-भर्तृ० २।१९ 4. धारण करना, (रूप, 3. दबाना, नियंत्रण में रखना, रोकना 4. मन में छद्मवेश), लेना-केशव धृतशूकररूप--गीत० १,
रखना, याद रखना, समूद्---,1. जड़ से उखाड़ लेना, धारयति कोकनदरूपम् --१०, 5. पहनना, धारण
उन्मूलन करना दे० उद् पूर्वक 'हृ' 2. बचाना, परिकरना, (वस्त्रालंकारादिक) उपयोग में लाना, श्रित- त्राण करना, संप्र,- 1. जानना, निर्धारण करना, कमलाकुचमण्डल धृत कुण्डल ए-गीत०१6. रोकना, निश्चय करना शि० ९।६० 2. विचार विमर्श करना, दमन करना, नियंत्रण करना, ठहराना, स्थगित
चिन्तन करना, सोचना, विचार करना-मनु० १०।७३, करना 7. जमाना, संकेत करना (संप्र० या अधि०
एवं संप्रधार्य पंच०१। के साथ)-बाह्मण्ये धृतमानसः, मनो दधे राजसूयाय | घृत ( भू. क. कृ.) [+क्त] 1. थामा गया, ले आदि 8. भुगतना, भोगना 9. किसी व्यक्ति के लिए जाया गया, बह्न किया गया, सहारा दिया गया कोई वस्तु निर्धारित करना, नियत करना, निर्दिष्ट | 2. अधिकृत किया गया 3. रक्खा गया, संधारित, धारण करना 10. किसी का ऋणी होना (संप्र०, संबं० ।। किया गया 4. पकड़ा गया, आत्मसात् किया गया,
For Private and Personal Use Only