________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ५१८ )
नापितः [न आप्नोति सरलताम्-न+आप+तन्, इट् ] | नाम भूत्वा---दश० १३०, इसी प्रकार 'भीतो नामाव
नाई, हजामत बनाने वाला--पंच० ५।१। सम. प्लत्य १०४, मानों भयभीत होकर-परिश्रमं नाम --शाला नाई की दुकान, क्षौरगृह, वह स्थान जहाँ विनीय च क्षणम्-कु० ५।३२ 6. (लोट् लकार के हजामत होती हो।
साथ) माना कि, यद्यपि, हो सकता है, अच्छानापिप्यम् [ नापित+व्या ] नाई का व्यवसाय ।
तद्भवतु नाम शोकावेगाय-का० ३०८ करोतु नाम नाभिः (पुं०, स्त्री०) [ नह+इञ , भश्चान्तदेशः ] सूंडी
नीतिज्ञो व्यवसायमितस्तत:-हि० २११४, यद्यपि ----गंगावर्तसनाभि भि:--दश०२, निम्ननाभिः-मेघ०.
वह स्वयं प्रयत्न कर सकता है, इसी प्रकार-मा० ८३, रघु० ६५२, मेघ० २८ 2. नाभि के समान गर्त १०७, श० ५।८ 7. आश्चर्य-अंधो नाम पर्वत--(पुं०) 1. पहिए की नाह पंच० १६८१ 2. केन्द्र,
मारोहति-गण. 8. रोष या निदा-ममापि नाम किरणबिन्दु, मुख्य बिंदु 3. मुख्य, अग्रणी, प्रधान
दशाननस्य परैः परिभव:-गण, (यह वाक्य निंदा----कृत्स्यनाभिनुपमंडलस्य-रघु० १८५२०4. निकट
सूचक भी हो सकता है), किं नाम विस्फुरं शस्त्राणिकी रिश्तेदारी, बिरादरी, (जाति आदि) का समुदाय
उत्तर. ४, ममापि नाम सत्वरभिभूयते गहाः --श. जैसा कि 'सनाभि में 5. सर्वोपरि प्रभु-रघु० ९।१६
६; नाम शब्द प्रायः प्रश्न वाचक सर्वनाम तथा उससे 6. निकटसंबंधी 7. क्षत्रिय 8. जन्मभूमि,-भिः (स्त्री०)
व्युत्पन्न 'कथम्' 'कदा' आदि अन्य शब्दों के साथ कस्तुरी (अर्थात् मृगनाभि) (विशे० बह० समास के
प्रयुक्त होकर निम्नलिखित अर्थ प्रकट करता हैअन्त में प्रयुक्त 'नाभि' शब्द बदल कर 'नाम' बन
'संभवतः' 'निस्सन्देह', 'मैं जानना चाहँगा'--अयि जाता है) जैसा कि 'पद्मनाभः' में) । सम० ---आवर्तः
कथं नामैतत्-उत्तर० ६, को नाम राज्ञां प्रियःनाभि का गर्त,-जा-जन्मन् (पु.)-भूः ब्रह्मा के
पंच. १४१४६, को नाम पाकाभिमुखस्य जंतुराणि विशेषण,-नाडी,-नालन् 1. नाभिरज्जु, जन्मरज्जु.
देवस्य पिधातुमोष्टे---उत्तर० ७।४।। नाल 2. नाभि का विदारण ।
नामन् (नपुं०) [म्नायते अभ्यस्यते नम्यते अभिधीयते नाभिल (वि.) [ नाभिरस्त्यस्य-लच् ] नाभि से संबद्ध, अर्थोऽनेन वा म्ना+मनिन् नि. साधुः] 1. नाम, या नाभि से आने वाला।
अभिधान, वैयक्तिक नाम (विप० गोत्रम्) किन भाभीलम् [ नाभि+गी-+ला+क] 1. नाभि का गर्त नामैतदस्याः --- मुद्रा० १, नाम ग्रह संबोधित करना 2. पीडा, 3. विदीर्ण नाभि ।।
या नाम लेकर बुलाना, नामग्राहमरोदीत्सा भटि० नाम्य (वि.) [ नाभि-यत् ] नाभि से संबंध रखने वाला, ५।५, नाम क या दा, नाम्ना या नामतः कृ नाम
नाभि से आने वाला, नाभि में रहने वाला, नाल से रखना, पुकारना, नाम लेकर बुलाना-चकार नाम्ना जुड़ा हुआ,-म्यः शिव का विशेषण।।
रघुमात्मसंभवम् रघु० ३।२१, ५।३६, तौ कुशलबौ नाम (अव्य०) [नम् +णिच - ड] निम्नांकित अर्थों में चकार किल नामतः--१५।२२ चंद्रापीड इति नाम
प्रयुक्त होने वाला अव्यय-1. नामधारी, नामक, नाम चक्रे का० ७४, मातरं नामतः पृच्छेयम् श० ७ से-हिमालयो नाम नगाधिराज:--कु० १, तन्नन्दिनी
2. केवल नाम --संतप्तायसि संस्थितस्य पयसो सुवृत्तां नाम-दर०७ 2. निस्सन्देह, निश्चय ही, नामापि न ज्ञायते-- भर्त० २।६७, 'नाम भी नहीं' सचमुच, वास्तव में, यथार्थ में, अवश्य, वस्तुतः-मया अर्थात् 'कोई चिन्ह दिखाई नहीं देता है' आदि नाम जितम्--वेणी. २०१७, विनीतवेषेण प्रवेष्टव्यानि 3. (ब्या० में) संज्ञा, नाम (विष० आख्यात) तन्नाम तपोवनानि नाम-श०१, आश्वासितस्य मम नाम येनाभिदधाति सत्त्वं-या-सत्त्वप्रधानानि नामानि--विक्रम० ५।१६, जब कि मैं जरा आश्वस्त हुआ निरु. 4. शब्द, नाम, समानार्थक शब्द-इति वृक्ष 3. संभवतः, कदाचित्-प्रायः 'मा' के साथ - अये नामानि 5. सामग्री (विप० गुण)। सम० - अंक पदशब्द इव मा नाम रक्षिणः .. मृच्छ० ३, कदाचित (वि.) नाम से चिह्नित-रघु० १२।१०३,--अनु. (परन्तु मुझे आशा नहीं) रखवालों का--मा नाम शासनम्,-अभिधानम् 1. किसी के नाम की घोषणा अकार्यं कुर्यात्- मच्छ० ४ 4. संभावना-तवैव करना 2. शब्द संग्रह, शब्दकोष,- अपराधः (किसी नामास्त्रगतिः - कु० ३।१९, त्वया नाम मनि विमान्यः प्रतिष्ठित व्यक्ति को) नाम लेकर गाली देना, नाम
-श०५।१९, क्या यह संभव है (निंदात्मक ढंग से), लेकर बुलाना अर्थात तिरस्कार करना,---आवली इसका प्रयोग 'अपि' के साथ बहधा निम्नांकित अर्थ किसी देवता की) नाम-सूची,--करणम्,-कर्मन् में होता है-'मेरी इच्छा है क्या ही अच्छा हो' (नपुं०) 1. नाम रखना, जन्म होने के पश्चात्
क्या यह संभव है कि आदि, दे० 'अपि' के अन्तर्गत बालक का नामकरण करना 2. नाम मात्र का अनु5. झूठमुठ का कार्य, बहाना (अलीक), कार्तातिको बंध,-प्रहः नामोल्लेख करना, नाम लेकर संबोधित
For Private and Personal Use Only