________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
( ५२१ )
नास्तिक ( वि० ) ( नास्ति परलोकः तत्साक्षीश्वरो वा इति । निःसारणम् [ निर् + सृ + णिच् + ल्युट् ] 1. निष्कासन,
निकाल बाहर करना 2. घर से निकलने का मार्ग,
मतिरस्य उन्] याकः अनीश्वरवादी, अविश्वासी, जो वेदों की प्रामाणिकता, पुनर्जन्म और परमात्मा या विश्व के विधाता के अस्तित्व में विश्वास नहीं रखता है-- शि० १६।७ मनु० २।११, १२२ । नास्तिक्यम् [ नास्तिक + ष्णञ्ञ्] नास्तिकता, अनास्था, पाखंडधर्म ।
नास्तिक: (पुं०) आम का वृक्ष । नास्यम् [नासा + यत् ] नाक की रस्सी, चालू बैल की नकेल ।
नाहः [नह+घञ्ञ, ] 1. बंधन, निग्रह 2. फंदा जाल 3. मलावरोध, कोष्ठबद्धता ।
नाहुष:, - षि: [ नहुषस्यापत्यम् - नहुष + अण, इण् वा ] ययाति राजा की उपाधि ।
पूर्व
नि ( अव्य० ) [नी + डि] ( प्राय: संज्ञा या क्रिया के उपसर्ग के रूप में प्रयुक्त होता है, क्रिया विशेष या संबंधबोधक अव्यय के रूप में विरल प्रयोग ), गण० के अनुसार, इस शब्द के निम्नांकित अर्थ है -- 1. निचान, नीचे की ओर गति निपत् निषद् 2. समूह, या संग्रह, निकर निकाय 3 तीव्रता - निकाम, निगृहीत 4. हुक्म, आदेश, निदेश 5. सातत्य, स्थायित्व - निविशते 6. कुशलतानिपुण 7 नियन्त्रण, निग्रह, निबंध 8. सम्मिलन (में, अन्तर्गत) निपीतमुदकम् 9. सान्निध्य, सामीप्य निकट 10. अपमान, बुराई, हानि - निकृति, निकार 11 दिखलावा, निदर्शन 12. विश्राम, निवृत्ति 13 आश्रय शरण 14. सन्देह 15. निश्चय 16. पुष्टीकरण 17. ( दुर्गादास के अनुसार ) फेंकना, देना आदि । निःक्षेपः [ निर् + क्षिप् । घञ् ] 1. फेंकना, भेज देना
2. व्यय करना ।
निःश्रयणी, निःश्रेणि: (स्त्री० ) [ निःनिश्चितं श्रीयते आमीयते अनया निर् + श्रि + ल्युट् +- ङीपू, निश्चिता श्रेणिः सोपानपक्तिः यत्र ब० स०] सीढ़ी, जीना रघु०
१५/१०० । निःश्वासः, निश्श्वास: [ निर् / श्वय् घञ्ञ ] 1. साँस बाहर निकालना, बहिःश्वसन 2. आह भरना, लम्बा साँस लेना, श्वास लेना ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
निःसरणम् [ निर् + सृ :- ल्युट् ] 1. बाहर जाना, बहिर्गमन 2. निकास द्वार, दरवाजा 3. महाप्रयाण, मृत्यु 4. उपाय, तरकीब, उपचार 5. मोक्ष । निःसह ( वि० ) [ निर् + सह खल ] सहन करने या रोकने के अयोग्य असत्य 2. निःशक्त, बलहीन, हतोत्साह, म्लान, थान्त, अवि विरम निःसहासि जाता इसी प्रकार मा० २, ७, उत्तर० ३ 3. असहनीय, जो सहा न जा सके, अनिवार्य ।
मा० २.
६६
द्वार, दरवाजा |
निःस्रव: [ निर् + स्रु + अप् ] शेष, बचत, फाल्तू | निःस्राव: [ निर् + स्तु ] 1. व्यय, खर्च करना, अर्थव्यय 2. चावलों का मांड ।
free ( fao ) [नि समीपे कटति नि + कट् + अच् ] नजदीकी, समीपस्थ, अदूरस्थ, आसन्न, टः, टम् समीप्य ('नजदीक ' 'पास' 'समीप' अर्थों को क्रिया विशेषण के रूप में प्रकट करने के लिए 'निकटे' प्रयुक्त होता हैवहति निकटे कालस्रोतः समस्तभया वहम् शा० ३।२ ) निकर: [ नि + कृ + अच्, अप् वा ] 1. ढेर, चट्टा 2. झुण्ड, समुच्चय, संग्रह --- पपात स्वेदांबुप्रसर इव हर्षाश्रुनिकरः - गीत० ११, शि० ४।५८, ऋतु०६।१८ 3. गठरी 4. रस, सार, सत 5. उपयुक्त उपहार, दक्षिण 6. निधि,
खजाना ।
निकर्तनम् [ नि + कृत् + ल्युट् ] काट डालना । निकर्षणम् [ नि | कृप । ल्युट् ] विश्राम या बिहार के लिए
खुला स्थान, नगर में या नगर के निकट खेल का मैदान 2. दालान 3. पड़ोस 4. जमीन का टुकड़ी जो अभी जोता न गया हो ।
free: [ नि | कष् + घ, अच् वा ] 1. कसौटी, निकष-प्रस्तर, निकषे हेमरेखेव रघु० १७१४६, महाघी० १।४ 2. ( आलं० ) कसौटी का काम देने वाली कोई वस्तु, परीक्षण -- नन्वेष दर्पनिकषस्तव चन्द्रकेतुः उत्तर० ५)१०, आदर्श: शिक्षितानां सुचरितनिकष :- मृच्छ० ११४८, दश० १, का० ४४ 3. कसौटी पर बनी सोने की रेखा कनकनिकष रुचिशुचिवसनेन श्वसिति न सा हरिजन हसनेन - गीत० ७, कनकनिकषस्निग्धा विद्युप्रिया न ममोवंशी - विक्रम ० ४।१, ५/१९ । सम० ---उपल:, - प्रावन् (पुं०), पाषाण: कसौटी निकषप्रस्तर -- तत्प्रेम हेमनिकषोपलतां तनोति गीत० ११, तत्त्वनिकषग्रावा तु तेषां विपद् हि० १२१०, २१८०० freer [ति | कष् + अ + टाप् ] 1. रावण आदि राक्षसों की माता, (अव्य० ) 2. निकट, अदूर, समीप, पास ( कर्म० के साथ - निकषा सौधभित्तिम्---दश०, विलंध्य लंका निकषा हनिष्यति - शि० १।६८ | सम०
-आत्मजः राक्षस |
निकाम ( वि० ) [ नि + कम्+घञ्ञ ] 1. पुष्कल, विपुल, वहुल — निकामजलां स्रोतोवहां श० ६।१६, 2. इच्छुक - म, मम् कामना, चाह, मम् (अव्य० ) 1. यथेच्छ इच्छा के अनुसार 2. आत्मसंतोषार्थ, मनभर कर, रात्रौ निकामं शयितव्यमपि नास्ति श० २, 'मैं रात्रि को भी आराम से नहीं सो पाता 3. अत्यंत, अत्यधिक — निकामं क्षामांगी - मा० २३, ( इसके
For Private and Personal Use Only