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( ५२० )
नारोकेरः,--ल: [ किल+घञ् =केलः, नार्याः केल: नाव्य (वि.) नावा तायं नौ-यत] 1. जहाँ किश्ती या
-- १० त०, पृषों० ह्रस्वः, अथवा नल+इण् लस्य जहाज से जाया जा सके, (नदी आदि) जिसमें जहाज र:- नारि, केन जलेन इलति--इल+क कर्म० . चलाया जा सके-- नाव्याः सुप्रतरा नदी:---रघु० स०] नारियल---नारिकेलसमाकारा दृश्यते हि ४१३१, नाव्यं पयः केचिदतारिषुर्भुजः-शि० १२१७६ सुहृज्जनाः-हि० ११९४ (यह शब्द इस प्रकार । 2. प्रशंसा के योग्य - व्यम् नयापन, नूतनता । (नारिकेलि-ली, नारिकेर-ल, नाडि (डी) केर, नाशः [नश्+घा] 1. ओझल होना-गता नाशं तारा
नालिकेर, नालिकेलि-ली) भी लिखा जाता है। उपकृतमसावाविव जने-मच्छ० ५.२५ 2. भग्नाशा, नारी[न-नर वा जातौ ङीष नि०] 1. स्त्री,-अर्थतः ध्वंस, वर्बादी, हानि-भग० २।४० रघु० ८।८८,
पूरुषो नारी या नारी सार्थत: पुमान् ...मृच्छ० ३।२७। १२।६७, इसी प्रकार वित्त बुद्धि° 3. मृत्यु ... सम०---तरंगक: 1. जार, उपपति 2. लम्पट, दूषणम् ' मुसीबत, संकट 5. परिहार, परित्याग 6. भगदड़, स्त्री का दुर्व्यसन (वे हैं- पानं दुर्जनसंसर्गः पत्या च | पलायन । विरहोऽटनम्, स्वप्नोभ्यगृहवासश्च नारीणां दूषणानि | नाशक (वि०) नश्+णिच् +ण्वुल] विध्वंसक, नाश षट्-मनु० ९।१३,-प्रसंगः कामासक्ति, लम्पटता, करने वाला। --रत्नम् स्त्रीरत्न, श्रेष्ठ स्त्री।
नाशन (वि०) (स्त्री०--नी) [नश् +-णिच् + ल्युट्] नायंगः [ नारीणामङ्गमिव शोभनमंग यस्य | संतरे का नष्ट करने वाला, नाश कराने वाला, हटाने वाला पेड़।
(समास में) --नम् 1. विध्वंस, बर्बादी 2. दूर हटाना, नाल (वि०) [ नलस्येवम् -... अण् ] नरकुल का बना हुआ दूर कर देना, बाहर निकाल देना 4. नष्ट होना,
.-लम् 1. पोला डंठल, विशेष कर कमल की डंडी; मृत्यु। विकचकमल: स्निग्धबड्यनाल:-मध० ७६, रघु० नाशिन (वि.) (स्त्री-नी)/नश् +-णिनि 1. विध्वंसक, ६।१३, कु० ७८९, (पुं० भी इस अर्थ में) 2. शरीर नाश करने वाला, हटाने वाला 2. नष्ट करने वाला, की नलिकाकार वाहिनी, घमनी 3. हरताल 4. मूठ, नष्ट होने योग्य –भग० २।१८ मनु० ८।१८५ । दस्का --ल: नहर, नालो।
नाष्टिकः [नष्ट+ठ ] खोई हुई वस्तु का स्वामी। नालंबी (स्त्री०) शिव की वीणा।।
नासा नास्- अ+टाप] 1. नाक ---स्फुरदधरनासापुटतया नाला [ नल+ण+टाप् ] पोला डंठल, विशेषकर कमल उत्तर० १।२९, भग० ५।२६ 2. हाथी की सैंड नाल ।
3. दरवाज़े की चौखट को ऊपर की लकड़ी। सम० नालिः, -----ली (स्त्रो०) नल-+-णिच् + इन्, नालि+ अग्रम् नाक का अग्रभाग, मा० .१११, --छिद्रम्,..
ङोष्] । शरीर की नलिकाकार वाहिनी, धमनी 2. रन्धम्,... विवरम् नथुना,-- दारु (नपुं०) दरवाजे की पोलाडंठल, विशेषकर कमलनाल, 3. २४ घंटे का नौखट की ऊपर बाली लकड़ी, -- परित्रावः नाक का समय, घड़ी 4. हाथी के कानों को बींधने का बहना, सर्दी लगना,-पुटः,-पुटम् नथुना,--वंशः नाक उपकरण 5. नहर, नाभी 6. कमलफूल।
की हड्डी, स्त्रावः सर्दी से नाक का बहना। नालिक: [नलमेव नालमस्त्यस्य ठन्] भैसा-का 1. कमल ! नासिकंघय (वि.) [नासिका+धे-- खश्, मुम, ह्रस्वश्च ' की डंडी 2. नली 3. हाथी का कान बींधने का नाक के द्वारा पीने वाला।
उपकरण, -कम् 1. कमल का फुल 2. एक प्रकार का | नासिका | नास+ण्वुल-टाप, इत्वम् ] नाक, दे० 'नासा'। फंक से बजने वाला वाद्ययंत्र, बांसुरी।
सम०-मल: नाक से निकलने वाला श्लेष्मा। नालिकेर, नालिकेलि -ली दे० नारिकेर आदि । नासिक्य (वि.) [नासिकायच] 1. अनुनासिक 2. नाक नालीक: [नाल्यां कायति-क+क तारा०] 1. बाण 2. में होने वाला, क्यः अनुनासिक ध्वनि,-क्यम् नाक ।
भाला, नेजा 3. कमल 4. कमल की रेशेदार डंडी 5. | नासीरम् | नासाय ईत ईर-+क तारा०] सेना के सामने कमल के फूलों का रेशेदार डंठल ।
आगे बढ़ना या लड़ना --र: 1. (सेना का) अग्रभाग नालीकिनी [नालोक -इनि+डीप्] 1. कमल फूलों का । -नासोरचरयोर्भटयोः महावी०६, नै० ११६८2 गुच्छा , समूह 2. कमलों का सरोवर ।
सेना की पंक्ति के आगे चलने वाला योद्धा। नाविकः [नावा तरति-ठन् जहाज़ का कर्णधार, चालक | नास्ति (अव्य०) न+अस्ति] 'यह नहीं है' अनस्तित्व,
-- अख्यातिरिति ते कृष्ण मग्ना नौ विके त्वयि, जैसा कि 'नास्तिक्षीरा' में। सम०-वादः 'सर्वोपरि नाविकपुरुषे न विश्वास:--महा० 2. पौतवाहक, शासक या परमात्मा का अनस्तित्व' सिद्धांत, नास्तिमल्लाह 3. नौयात्री।
कता, अनास्था..-बौद्धेणव सर्वदा नास्तिवादशरेण नागिन् (पुं०) नौ+ इनि] केवल, मल्लाह ।
-का०४९ ।
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