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( ५०१ ) संभाला गया, पहना गया, उपयोग में लाया गया 6. | अडिग 2. संतुष्ट, प्रसन्न, प्रहृष्ट, तृप्त-रघु० रख दिया गया, जमा किया गया 7. अभ्यास किया | १३१७७ । । गया, पालन किया गया 8. तोला गया 9. (कतवा०) | धत्वन (पु.) [धृ-+-क्वनिप] 1. विष्णु का विशेषण, धारण किया हुआ, संभाला हुआ 10. तुला हुआ दे० 2. ब्रह्मा की उपाधि 3. सद्गुण, नैतिकता 4. आकाश ऊपर 'धू' । सम०-आत्मन् (वि०) पक्के मन वाला, 5. समुद्र 6. चतुर व्यक्ति। स्थिर, शान्त,स्वस्थचित्त--दंड (वि०) 1. दण्ड देने
धष 1. (भ्वा० पर० घर्षति, धषित) 1. एकत्र होना, वाला 2. वह जिसको वण्ड दिया जाता है-पट
संहत होना, चोट पहुंचाना, क्षति पहुंचाना, 11 (भ्वा० (वि.) कपड़े से ढका हुआ- राजन् (वि.) (देश
पर० चुरा० उभ० घर्षति, धर्षयति-ते)। नाराज आदि) अच्छे राजा द्वारा शासित,-- राष्ट्रः विचित्र करना, चोट पहुंचाना, क्षति पहुंचाना 2. अपमानित वीर्य की विधवा पत्नी से उत्पन्न व्यास का ज्येष्ठपुत्र
करना, मर्यादा से हीन व्यवहार करना 3. घावा (ज्येष्ठ पुत्र होने के कारण धृतराष्ट्र राज्य का अधि
बोलना, जीतना, पराभूत करना, विजय प्राप्त करना, कारी था, परन्तु जन्मांध होने के कारण उसने प्रभु
नष्ट करना 4. आक्रमण करने का साहस करना, सत्ता पांडु को सौंग दी। जिस समय पाण्ड वानप्रस्थ
ललकारना, चुनौती देना 5. (किसी स्त्री के साथ) लेकर जंगल की ओर गया, तो राज्य की वागडोर
बलात्कार करना, सतीत्व हरण करना, iii (स्वा० फिर धृतराष्ट्र ने स्वयं संभाल ली, और अपने ज्येष्ठ
पर० घृष्णोति, धृष्ट) 1. दिलेर या साहसी होना पुत्र दुर्योधन को युवराज बनाया। जब युद्ध में भीम
2. विश्वस्त होना 3. घमंडी होना, उद्धत होना, ने दुर्योधन का काम तमाम कर दिया तो चतराष्ट्र
4. ढीठ होना, उतावला होना 5. साहस करना, निडर को बदला लेने की इच्छा हुई, फलतः उसने युधिष्ठिर होना (तुमुन्नत के साथ) 6. ललकारना, चुनौती और भीम को आलिंगन करना चाहा। श्रीकृष्ण उसकी
देना--भट्टि० १४।१०२ 7. (चुरा० आ०–घर्षइस बात को तुरन्त ताड़ गये, उन्हें विश्वास हो गया
यते) हमला करना, आक्रमण करना, बलात्कार करना । कि धृतराष्ट्र ने भीम को अपना शिकार समझ लिया है। इस लिए श्रीकृष्ण ने लोहे की एक भीग की मूर्ति
धृष्ट (वि.) [धृष्+क्त] 1. दिलेर, साहसी, विश्वस्त, बनवाई। जिस समय धृतराष्ट्र भीम का आलिंगन
2. बीट, अक्खड़, निर्लज्ज, उच्छं खल, अविनीत करने के लिए आगे बढ़ा तो श्रीकृष्ण ने भीम की
----- धृष्ट: पार्वे वसति-हि० १२६ 3. प्रगल्भ, लौहमति आगे करवा दी जिसको कि बदला लेने के
दुःसाहसी 4. दुश्चरित्र, लुच्चा,--ष्ट: विश्वासघातक
पति या प्रेमी--कृतागा अपि निःशस्तजितोऽपि न प्रबल इच्छुक धृतराष्ट्र ने इस प्रकार इतना बल लगा
लज्जितः, दृष्टदोषोऽपि मिथ्यावाक् कथितो घृष्टकर दबाया कि वह लौह मूर्ति टुकड़े २ हो गई। इस
नायकः। सा० द०७२ । सम०-युम्नः द्रुपद का प्रकार असफल प्रयत्न हो धृतराष्ट्र अपनी पत्नी गांधारी समेत हिमालय पर्वत की ओर चला गया
पुत्र और द्रौपदी का भाई (धष्टद्युम्न और उसका जताँ कुछ वर्षों के पश्चात् वह स्वर्ग सिधार गया),
पिता द्रुपद दोनों महाभारत के युद्ध में पांडवों की
ओर से लड़े। धृष्टद्युम्न ने कई दिन तक पांडवों की -~-वर्मन् (वि.) कवच पहने हुए, कवचित ।
सेना के मुख्य सेनापतित्व का पद संभाला। जब धृतिः (स्त्री०) [धु-+-क्तिन् 1 1. लेना, पकड़ना, हस्तगत
द्रोण ने घोर संघर्ष के पश्चात् द्रुपद को मार डाला, करना 2. रखना, अधिकृत करना 3. स्थापित रखना,
तो धृष्टद्युम्न ने प्रतिज्ञा की कि मैं अपने पिता की सहारा देना 4. दृढ़ता, स्थिरता, स्थैर्य 5. धैर्य, स्फति,
मृत्यु का बदला लूंगा। आखिर युद्ध के सोलहवें दिन दृढ़संकल्प, साहस, आत्म-संयम-भज तिं त्यज
प्रातः काल धृष्टद्युम्न को अपनी प्रतिज्ञा पूरा करने भीतिपसेतुकाम् –नै० ४।१०४, कि० ६।११, रघु०
का अवसर मिला जव कि उसने अन्यायपूर्वक द्रोण ८१६६ 6. सन्तोष, तृप्ति, सुख, प्रसन्नता, खुशी, हर्ष
का सिर काट डाला, दे० द्रोण। उसके पश्चात् एक धृतेश्च ..धीरः सदृशोळवत्त सः- रघु० ३।१०, १६। दिन यह पाण्डवशिविर में सो रहा था कि अचानक ८२, चक्षर्वध्नाति न तिम-विक्रम०२।८, शि.
अश्वत्थामा ने आ दबाया और मौत के घाट उतार ७।१० १४7. साहित्यशास्त्र में वणित ३३ व्यभि
दिया गया)। चारीभावों में 'सन्तोष' की गिनती की गई है-ज्ञाना
धृष्णज (वि.) [ष+नजिङ ] 1. साहसी, विश्वस्त भीष्टागमाद्यैस्तु संपूर्णस्पताधतिः, सौहित्यवचनोल्लास 2. ढीठ, निर्लज्ज। सहास प्रतिभादिकृत्-सा० द० १९८, १६८ | धष्णिः [धृष् + नि] प्रकाश की किरण । 8. यज्ञ ।
धष्णु (वि.) [धृष्+क्नु] 1. दिलेर, विश्वस्त, साहसी, धृतिमत् (दि०) [ धृति -- मतुप् ] 1. पक्का, स्थिर, दृढ़, I बहादुर, बलशाली (अच्छे अर्थ में) 2. निर्लज्जं, ढीठ ।
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