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( ४७५ ) निर्मलवंशोद्भव,--भाषा किसी देश की बोली,-रूपम् । षतः मनुष्य,-भुज् (पुं०) 1. जीव, आत्मा 2. सूर्य, औचित्य, उपयुक्तता -- व्यवहारः स्थानीय, प्रचलन, -भृत् (पुं०) जीवधारी, मनुष्य-धिगिमां देहभृतादेशविदेश की प्रथा।
मसारताम्-रघु० ८५१, भग० ८१४, १४।१४ देशकः [दिश-बुल] 1. शासक, राज्यपाल 2. शिक्षक, गुरु 2. शिव को विशेषण 3. जीवन, जीवनशक्ति,--यात्रा 3. पथ-प्रदर्शक।
1. मरण, मृत्यु 2. पोषक पदार्थ, आहार, लक्षणम् देशना [दिश+णि --यच-टाप] निर्देशन, अनदेश । मस्सा, त्वचा के ऊपर काला तिल,-वायः पाँच जीवनदेशिक (वि.) [देश+ठन] स्थानीय, किसी विशेष स्थान वायु में से एक, प्राणवायु,-सारः मज्जा,-स्वभावः
से सम्बन्ध रखने वाला, देशी-क: 1. आध्यात्मिक शरीर का स्वभाव या गुण ।
गुरुः 2. यात्री 3. पथ-दर्शक 4. स्थानों से परिचित । देहभर (वि.) [देह-+9+खच्, मुम्] पेटू, उदरंभरि । देशिनी दिश् +णिनि+डो] तर्जनी, अंगूठे के पास वाली बेहवत् [देह+मतुप्] शरीरधारी, (पुं०) 1. मनुष्य 2. जीव । अंगली।
देहला [देह+ला--क] मदिरा, शराब। देशी [देश-+-डोष] किसी देशविशेष की बोली, प्राकृत का | देहलिः, लो (स्त्री०) [देह+ला+कि, देहलि+ ङीष्] एक भेद-दे० काव्या० १।३३।
दरवाजे की चौखट में नीचे वाली लकड़ी जिसे लांघ देशीय (वि०) [देश+छ] 1. किसी प्रान्त से सम्बन्ध रखने कर घर में घुसते निकलते हैं,--विन्यस्वन्ती भवि
वाला, प्रान्तीय 2. स्वदेशीय, स्थानीय 3. किसी देश गणनया देहलीदत्तपुष्पैः-मेघ० ८७, मृच्छ० ११९ । का निवासी (समासान्त में) जैसा कि मगधदेशीय, सम-दीपः देहलीपर रक्खा हुआ दीपक, न्याय, दे० तद्देशीय, बंगदेशीय आदि में 4. अदूर, लगभग, सीमान्त- 'न्याय के अन्तर्गत । वर्ती (शब्दों के अन्त में प्रत्यय की भाँति प्रयुक्त) देहिन (वि०) (स्त्री०-नी) [देह-इनि] शरीरधारी, --अष्टादशवर्षदेशोयां कन्यां ददर्श-का० १३१, लगभग शरीरी (पुं०) 1. जीवधारी प्राणी-विशेषतः मनुष्य १८ वर्ष की लड़की (जिसकी आयुसीमा १८ हो) - त्वदधीनं खलु देहिनां सुखम्-कु० ४।१०, शि०
--- रघु० १८।३९, इसी प्रकार 'परदेशीय' आदि । २।४६ भग० २।१३, १७।२, मनु० १।३० ५।४१ देश्य (वि०) [दिश् + प्रयत्] 1. जिसकी ओर संकेत करना 2. आत्मा, जीव (शरीर में प्रतिष्ठापित)-तथा शरी
हो, या जिसे प्रमाणित करना हो 2. स्थानीय, प्रान्तीय राणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही 3. देशी, स्वदेशी 4. असली, खरा, निर्मल वंशोद्भव - भग० २२२२, १३,५।१४,-नी पृथ्वी । 5. अदूर, लगभग-दे० ऊपर 'देशीय',-श्यः 1. चश्म- दै (भ्वा०-पर० दायति, दात) 1. पवित्र करना, शुद्ध दीद गवाह,--अभियोक्ता दिशेद्देश्यम् --मनु० ८.५२, ।
करना 2. पवित्र होना, 3. रक्षा करना, अव-, 1. धवल ५३, किसी देशविशेष का निवासी,-श्यम् प्रश्नोक्ति, करना, उज्ज्वल करना 2. पवित्र करना। तर्कोक्ति, पूर्वपक्ष।
दैतेयः [दिति+ढक] दिति का पूत्र, राक्षस, दैत्य, । सम० देहः-हम् [दिह घन] शरीर,---देहं दहन्ति दहना इव -इज्यः,-~-गुरुः,-पुरोधस् (पुं०)-पूज्यः असुरों के
गन्धवाहा:-भामि० १११०४, दे० नी० समस्त शब्द । | गुरु शुक्राचार्य के विशेषण,-निषदनः विष्णु का विशेसम०–अन्तरम् अन्य (दूसरे का) शरीर, प्राप्तिः । षण, मातृ (स्त्री०) दिति दैत्यों की माता, मेवजा (स्त्री०) दूसरा जन्म लेना,-आत्मवादः भौतिकता, पृथ्वी। चार्वाकों के सिद्धान्त,-आवरणम् कवच,पोशाक,-ईश्वरः | दत्यः [दिति-+ण्य] दे० 'दैतेय'। सम-अरिः 1. देवता आत्मा, जीव,--उद्भव,-उद्भूत (वि०) शरीरज, 2. विष्णु का विशेषण,-देवः 1. विष्णु का विशेषण सहज, जन्मजात-कर्तृ (पु.) 1. सूर्य 2. परमात्मा 2. वायु,---पतिः हिरण्यकशिपु का विशेषण । 3. पिता,..कोषः 1. शरीर का आवरण 2. पर, बाज़ | दैत्या [दैत्य+टाप्] 1. औषधि 2. मदिरा ।। 3. त्वचा, चमड़ा, क्षयः 1. शरीर का हास 2. रोग, | देन (स्त्री-नी), दैनंदिन (स्त्री०-नी), दैनिक (स्त्री० बीमारी,-गत (वि.) शरीर में प्राप्त, मूर्तरूप,—जः -को) (वि.) [दिन+अण, दिनं दिनं भवः दिन• पुत्र,-जा पुत्री,-त्यागः 1. मृत्यु 2. इच्छामृत्यु, शरीर दिन+अण्, दिन। ठन] आह्निक, प्रति दिन का, को छोड़ना,--तीर्थे तोयव्यतिकरभवे जह्नकन्यासरवो- -भामि० १११०३। देहत्यागात्---रघु० ८०९५,---दः पारा,-दीपः आँख, दैनम् --न्यम् [दीन+अण, ष्या वा] 1. ग़रीबी, दरिद्रा--धर्मः शरीर के अंगों की क्रिया,-वाहकम् हड्डी, वस्था, दयनीय अवस्था, दुर्दशा--दरिद्राणां दैन्यम् -धारणम, जीना, जीवन,-धिः बाजू, कक्ष,-धृष्
- गंगा०२, इन्दोर्दैन्यं त्वदनुसरणक्लिष्टकान्ते विति (पुं०) वायु, हवा,-बद्ध (वि.) मूर्त, सशरीर-रघु० ---मेघ०७४ 2. कष्ट, खेद, विषाद, शोक, उत्साह११।३५,-भाज् (पुं०) शरीरधारी, जीवधारी, विशे- हीनता 3. दुर्बलता 4 कमीनापन।
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