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( ४६८ )
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उसकी चोटी पकड़ कर उसे भरी सभा में खींच लाया, ] दुहित (स्त्री०) [ दुह+तृच् ] बेटी, पुत्री। सम०-पतिः वहाँ उसने उसे विवस्त्र करना चाहा, परन्तु दीन | 'दुहितुः पतिः' भी) जामाता, दामाद । दुःखियों के सहायक श्रीकृष्ण ने उसका चीर बढ़ा कर | (दिवा० आ० यते, दून) 1. कष्टग्रस्त होना, पीडित उसकी लज्जा की रक्षा की। दुःशासन के इस जघन्य होना, खिन्न होना--न दूये सात्वतीसूनुर्यन्मह्यमपराकृत्य से भीम इतना उत्तेजित हो गया कि उसने भरी ध्यति-शि० २०११, कथमथ वंचयसे जनमनुगतमसमसभा में प्रतिज्ञा की 'कि मै तब तक सुख की नींद न शरज्वरदून- गीत० ८, कष्टग्रस्त, दुःखी--दे० 'दु' सोऊंगा जब तक इस दुष्ट दुःशासन का खून न पी लूं। (कर्मवा०) 2. पीडा देना। महाभारत युद्ध के १६ वें दिन भीम का दुःशासन से । दूतः, दूतक: [दु+क्त, दीर्घश्च, दूत-+कन् ] सन्देशहर, सामना हुआ। भीम ने एक ही पछाड़ में दुःशासन संदेशवाहक, राजदूत-चाण० १०६ । सम०–मुख का काम तमाम कर दिया-- और उसका खून पीकर (वि०) राजदूत के द्वारा बात करन वाला। अपनी प्रतिज्ञा पूरी की),-शील (दुश्शील) (वि०)। | दूतिका, दूतीः [ दू+ति-कन्+टाप्, दूति + ङीष् ] गुण्डा, दुराचारी, बदमाश,—सम (दुःसम या दुस्सम) 1. संदेशवाहिका रहस्य की (गुप्त) बातें जानने वाली (वि.) 1. असम, असमान, असदृश 2. प्रतिकूल, 2. प्रेमी और प्रेमिका से बातचीत कराने वाली, कुटनी दर्भाग्यपूर्ण 3. अनिष्टकर, अनुचित, बुरा,-समम्
(विशे० दूती का 'ती' कभी कभी ह्रस्व हो जाता है (अव्य०) बुरी तरह से, दुष्टतापूर्वक,-सत्वम् दुष्ट --दे० रघु० १८१५३, १९।१८, कु० ४।१६, और प्राणी,-सन्धान,- सन्धेय (वि०) जिनका मिलना या इसके ऊपर मल्लि०)। जिनमें सुलह कराना कठिन हो,---सह (दुस्सह) (वि०) । दूत्यम् [ दूतस्य भाव:-दूत (ती)+यत् ] 1. किसी दूत असह्य, अप्रतिरोध्य, असमर्थनीय,-साक्षिन् (पुं०) का नियुक्त करना 2. दूतालय 3. संदेश । सूठा गवाह, साध,-साध्य (वि०) 1. जिसका पूरा | दून (वि.) [दू+क्त, नत्वम् ] पीडित, कष्टग्रस्त, आदि, होना कठिन हो 2. जिसका इलाज करना कठिन हो दे० 'दु' और 'दू' के नीचे । 3. जिसपर विजय न प्राप्त की जा सके, ---स्थ,-स्थित दूर (वि.) [ दुःखेन ईयते-दुर्+इण्+रक्, धातोः (वि.) ['दुस्थ' या 'दुस्थित' भी लिखा जाता है।
लोपः ] (म० अ० दवीयस्, उ० अ० दविष्ठ) दूरस्थ, 1. दुर्दशाग्रस्त, गरीब, दयनीय 2. पीड़ित, विषण्ण,
दूरवर्ती, फासले पर, दूरस्थित, विप्रकृष्ट---किं दूरं दुःखी 3. अस्वस्थ, रुग्ण 4. अस्थिर, अशान्त 5. मूर्ख,
व्यवसायिनाम्- चाण० ७३, न योजनशतं दूरं वाह्यबुद्धिहीन, अज्ञानी, (अव्य०-स्थम्) बुरी तरह से,
मानस्य तृष्णया--हि० १११४६, ४९,-रम् दूरी, अधूरे ढंग से, अपूर्ण रूप से,-स्थितिः (स्त्री०) 1. दुर्दशा, फासला ('दूर' शब्द के अप्रधान कारक के कुछ रूप विषण्णता, दयनीयता 2. अस्थिरता, स्पृष्टम् (दुस्पृ- निम्नलिखित रूप से क्रिया विशेषण की भांति प्रयुक्त ष्टम्) 1. ईषत्स्पर्श या सम्पर्क 2. जिह्वा का ईषत् होते हैं-(क) दूरम् 1. फ़ासले पर, विप्रकृष्ट, दूरी पर स्पर्श या प्रयत्न जिससे य, र, ल तथा व् की ध्वनि (अपा० या संबं० के साथ)-ग्रामात् वा ग्रामस्य दूरं निकलती है,-स्मर (वि.) जिसका याद रखना कठिन --सिद्धा० 2. ऊपर ऊँचाई पर 3. नीचे गहराई में
या पीड़ा कर हो-उत्तर० ६।३४,-स्वप्नः बुरा स्वप्न । 4. अत्यंत, अत्यधिक, बहुत ज्यादह-नेत्रे दूरमनजने यह (अदा० उभ०-दोग्धि, दुग्धे, दुग्ध) दोहना, निचोड़ना, ---सा० द. 5. पूर्णरूप से, पूरीतरह से,-निमग्नां दूर
उद्धृत करना (द्विक० के साथ)--भास्वन्ति रत्नानि मम्मसि-कथा० १०।२९, दूरमुख़्ततापा:-मेघ० ५५, - महौषधीश्च पृथूपदिष्टां दुदुहुर्धरित्रीम्- कु. १२, यः (ख) दूरेण 1. दूर, दूरवर्ती स्थान से, दूर से,---खल: पयो दोधि पाषाणं स रामाद्भुतिमाप्नुयात्-भट्रि. कापटचदोषेण दूरेणव विसृज्यते--भामि० ११७८ ८1८२, पयो घटोनीरपि गोंदु हन्ति-१२।७३, रघु० 2. कहीं अधिक, अत्यधिक ऊँचाई पर-दूरेण ह्यवरं ५।३३ 2. किसी वस्तु में से कोई दूसरी चीज निका- कर्म बुद्धियोगाद्धनञ्जय-भग० २।४९, रघु० १०॥३० लना,-(द्विक० के साथ)-प्राणान्दुहन्निवात्मानं शोक अने. पा. (ग) दूरात् 1. फासले से, दूरी से,--प्रक्षाचित्तमवारुषत्-भट्टि० ८१९ 3. छान कर निकाल लनाद्धि पक्षस्य दूरादस्पर्शनं वरम्, दूरादागतः-दूर से लेना, लाभ उठाना-दुदोह गां स यज्ञाय शस्याय आया हुआ (यह समस्त पद समझा जाता है)-नदीयमघवा दिवम्-रघु० ११२६ 4. (अपेक्षित पदार्थ) मभितो......... दूरात्परित्यज्यताम्-भर्तृ० १३८१, प्रदान करना कामान्दुग्धे विप्रकर्षत्यलक्ष्मीम्-उत्तर० रघु० ११६१ 2. सूक्ष्म दृष्टि से 3. सुदूर पूर्व काल से ५।३१ 5. उपभोग करना-प्रेर० दोहयति-दुहाना, (घ) दूरे, दूर, फ़ासले पर, दूरवर्ती स्थान पर-न मे इच्छा०-दुधुक्षति, दुहने की इच्छा करना-राजन् । दूरे किचित्क्षणमपि न पावें रथजवात्-श० ११९, पुलसि यदि क्षितिधेनुमेनाम्-भर्तृ० २०५६ । । भोः श्रेष्ठिन् शिरसि भयमतिदूरे तत्प्रतीकारः-मुद्रा०
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