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१, भर्तृ० ३३८८, दूरीकृ-1. फ़ासले पर हटा देना, । दूलिका, दूली [दूली+कन्+टाप, ह्रस्वः, दूर+अ+ हटाना' दूर करना,-आश्रमे दूरीकृतश्रमे---दश० ५, ङीष, रस्य ल:] नील का पौधा । भामि० १।१२२ 2. वंचित करना अलग करना दूष (वि०) [दूष+णिच् + अच्] (समासान्त में प्रयुक्त) --मृच्छ० ९।४ 3. रोकना, परे करना 4. आगे बढ़ | दूषित करने वाला, अपवित्र करने वाला-दा. जाना, पीछे छोड़ जाना, दूर रखना-श० १११७, 'पंक्तिदूष'। इसी प्रकार दूरीभू-दूर रहना, परे रहना, अलग | दूषक (वि०)(स्त्री०-षिका) [दूष+णि+ण्वुल] 1. भ्रष्टारहना, फ़ासले पर रहना-दूरीभते मयि सहचरे चक्र- चार करने वाला, अपवित्र करने वाला, विषाक्त करने वाकीमिवैकाम् । सम०-अन्तरित (वि.) लम्बी वाला, दूषित करने वाला, बिगाड़ने वाला 2. उल्लंघन दूरी होने से वियुक्त,-आपातः दूर से निशाना लगाना करन वाला, अवज्ञा करने वाला, गुमराह करने वाला ---आप्लाव (वि०) दूर तक कूदने वाला, लम्बी 3. अपराध करने वाला, अतिक्रमण करने वाला, छलांग लगाने वाला,---आरुढ (वि०) 1. ऊँचाई पर अपराधी 4. आकृति बिगाड़ने वाला 5. पापी, दुष्कृत, चढ़ा हुआ, दूर तक आगे बढ़ा हुआ 2. गहरा, उत्कट --कः कुपथ पर चलाने वाला, भ्रष्ट करने वाला, -दूरारूढ़ः खलु प्रणयोऽसहन:--विक्रम०४,---ईरितेक्षण बदनाम या दुष्ट पुरुष । (वि.) भंगी दृष्टि वाला,- गत (वि.) दूर हटा
दूषणम् [दूष-+ल्युट्] 1. बिगाड़ना, भ्रष्ट करना, विषाक्त हुआ, दूरस्थ, दूर गया हुआ, आगे तक बढ़ा हुआ, करना, बर्बाद करना, अपवित्र करना आदि 2. उल्लंघन गहराई तक गया हुआ-दूरगतमन्मथाऽक्षमेयं काल- करना, तोड़ना (समझौता आदि) 3. पथभ्रष्ट करना, हरगस्य----श० ३,-ग्रहणम् दूरस्थित पदार्थों को भी
बलात्कार करना, सतीत्व नष्ट करना 4. गाली देना, देखने की दिव्य शक्ति,--दर्शन: 1. गिद्ध 2. विद्वान्
निन्दा करना, कलंकित करना-रघु० १२१४६ पुरुष, पण्डित, दशिन् (वि०) दूर की देखने वाला, 5. बदनामी, अप्रतिष्ठा 6. विपरीत आलोचना, आक्षेप अग्रदृष्टि, वुद्धिमान् (-पुं०) 1. गिद्ध 2. विद्वान् पुरुष 7. निराकरण 8. दोष, अपराध, त्रुटि, पाप, जुर्म 3. द्रष्टा, पैगम्बर ऋषि,-दृष्टि: दूर तक देखने की ---नोलकोऽप्यवलोकते यदि दिवा सूर्यस्य किं दूषणम् शक्ति 2. बुद्धिमत्ता, अग्रदृष्टि,-पातः 1. दूर तक - भर्तृ० २।९३, हा हा धिक् परगृहवासदूषणं-उत्तर गिरना 2. दूर की उड़ान 3. बहुत ऊँचाई से गिरना, ११४०, मनु० २।२१३, हि० १९८, ११५, २११८०, -पात्र (वि०) विस्तृत पाट वाला (नद आदि) ---णः एक राक्षस, रावण की सेना का एक नायक -पार (वि०) 1. बहुत चौड़ा (दरिया) 2. जो जिसे भगवान राम ने मार गिराया था। सम०-अदित कठिनाई से पार किया जा सके,-बन्धु (वि०) पत्नी राम का विशेषण,-आवह (वि.) कलंक में किसी तथा अन्य भाई बन्धुओं से निर्वासित ..... मेघ०६, को फंसाने वाला।
-भाज् (वि०) दूरवर्ती, फ़ासले पर विद्यमान,-वर्तिन | दूषिः, --बी (स्त्री०) [दूष+णिच् +इन, दृषि+कीष] (वि.) दूरी पर विद्यमान, दूर हटाया हुआ, दूरस्थ, __ ढीढ, आँख का कीचड़। फासले पर,-वस्त्रक (वि०) नंगा, -विलम्बिन् (वि०) | दषिका [दृषिकन+टाप] 1. लेखनी, चित्रकार की कंची नीचे दूर तक लटकने वाला,-वेधिन् (वि०) दूर से 2. एक प्रकार का चावल 3. ढीढ, आँखों का कीचड़। ही बींधने वाला,—संस्थ (वि०) दूरी पर विद्यमान
| बूषित (वि.) [दूष् + णिच्-क्त] 1. भ्रष्ट, दूषित, विकृत फासले पर, दूरवर्ती --कण्ठाश्लेषप्रणयिनि जने कि
| 2. चोटिल, क्षतिग्रस्त 3. अपहत, हतोत्साहित 4. कलंपुनरसंस्थे-मेघ० ३।
कित, बदनाम 5. मिथ्यादोषारोपित, बदनाम, निन्दित। दूरतः (अव्य०) [दूर+तस्] 1. दूर से, फ़ासले से-तद्राज्यं
| दूष्य (वि.) [दूष-+-णिच्+यत्] 1. भ्रष्ट होने के योग्य दूरतस्त्यजेत्-- पंच० ५।६९, वहति च परीतार्प दोष
2. गर्हणीय, दण्डनीय, दूषनीय-व्यम् 1. मवाद, राद विमुञ्चति दूरतः-गीत० २ 2. दूर, फ़ासले पर ! 2. विष 3. कपास 4. पोशाक, वस्त्र 5. तम्बू-शि० - पंच० १।९।
१२।६५,-व्या हाथी का चमड़े का तंग। दूरेत्य (वि.) [दूरे भवः--दूर+एत्य] दूरी पर मौजूद, | द (तुदा० आ०-द्रियते, द्रित, इच्छा० दिदरिषते) दूर से आया हुआ।
(इसका स्वतन्त्र प्रयोग विरल है-प्रायः आ उपसर्ग सूर्यम् [दूरे उत्सार्यम्-दूर-+यत्] विष्ठा, मैला ।
लग कर प्रयुक्त होता है) आदर करना, सम्मान करना, दूर्वा दुर्व+अ+टाप, दीर्घः] भूमि पर फैलने वाली एक पूजा करना, प्रतिष्ठा करना-द्वितीयाद्रियते सदा
घास, दूब (यह घास देव पूजा के लिए पवित्र समझी __-हि०प्र० ७, मुद्रा० ७१३, भट्टि० ६५५ 2. रखजाती है)। सम-अकुर दूब के कोमल पत्ते वाली करना, मन लगाना (प्रायः --'न' के साथ) ---विक्रम ३।१२।
3. अपने आप के अच्छी तरह लगाना, संलग्न करना,
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