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( ३५० )
गुल्मः,-ल्मम् [गुड+मक, डस्य ल:-तारा०] 1. वृक्षों का | गू: (स्त्री०) [गम् --कू टिलोप:] 1. कूड़ा करकट 2. मल,
झुंड, झुरमुट, वन, झाड़ी-मनु० ११४८, ७११९२, | विष्ठा। १२।५८, याज्ञ० २।२२९ 2. सिपाहियों का दल, सैन्य- | गूढ (भू० क० कृ०) [गूह+क्त] 1. छिपा हुआ, गुप्त, गुप्त दल जिसमें ४५ पदाति, २७ अश्वारोही, ९ रथारोही रक्खा हुआ 2. ढका हुआ। सम०---अङ्गः कछुवा, और ९ गजारोही होते हैं 3. दुर्ग 4. तिल्ली 5. तिल्ली -अघ्रिः सांप-आत्मन् (समास होकर 'गूढोत्मन्' बनता
का बढ़ जाना 6. गाँव को पुलिस चौकी 7. घाट । ह, सिद्धा० ने इस प्रकार समाधान किया है-भवेद् गुल्मिन (वि०) (स्त्री०-नी) [गुल्म+ इनि] झुरमुट या | वर्णागमाद् हंसः सिंहो वर्णविपर्ययात्, गूढोरमा वर्ण
झाड़वन्द में उगनेवाला, बढ़ी हुई तिल्ली वाला, तिल्ली विकृतेर्वर्णलोपात्पृषोदरः), परमात्मा,-उत्पन्नः-जः के रोग से ग्रस्त ।
हिन्दूधर्म शास्त्रों में वर्णित १२ प्रकार के पुत्रों में से गुल्मी [गुल्म+अच+डोष्] तंबू ।
एक, यह उस स्त्री का गुप्त पुत्र है जिसका पति परदेश गु (गू) वाकः [गु- आक] सुपारी का पेड़।
गया हुआ है, तथा वास्तविक पिता अज्ञात है--गृहे गह (भ्वा० उभ०-गृहति-ते) ढकना, छिपाना, परदा
प्रच्छन्न उत्पन्नो गूढजस्तु सुतः स्मृतः -- याज्ञ०२।१२९, डालना, गुप्त रखना-गुह्यं च गृहति गुणान् प्रकटी
१७०,- नोडः खंजनपक्षी, - पथ: 1. गुप्तमार्ग 2 पगकरोति-भर्तृ० २०७२, गूहेत्कर्म इवाङ्गानि- मनु० ।
डंडी 3. मन, बुद्धि,-पाद,-पादः सांप,-पुरुषः जासूस, ७।१०५, रघु० १४।४९, भट्टि० १६१४९, उप--,
गुप्तचर, भेदिया,- पुष्पकः बकुलवृक्ष,- मार्गः भूगर्भ आलिंगन करना, तरङ्गहस्तैरुपगृहतीव--रघु० १३।६३,
मार्ग,-मैथुनः कौवा,-वर्चस् (पुं०) मेंढक,--- साक्षिन् १८।४७, भट्टि० १४१५२, शि० ९।३८, नि ,छिपाना, (पु०) गुप्त गवाह, ऐसा साक्षी जिसने प्रतिवादी की गुप्त रखना।
बातों को चुपचाप सुना हो। गुहः गुह+क] 1. कार्तिकेय का विशेषण-- गुह इवाप्रति- | गूयः, थम् [गू+थक्] मल, विष्ठा ।
हतशक्ति:-का० ८, कु० ५।१४ 2. घोड़ा 3. निषाद | गन (वि.) [गू+क्त उत्सृष्ट मल । या चांडाल का नाम जो शृंगवेर का राजा तथा गूरणम् -दे० 'गुरण'। भगवान् राम का मित्र था।
गषणा ? मोर के पंख में बनी हुई आंख की आकृति । गुहा [गुह+टाप्] 1. गुफा, कंदरा, छिपने का स्थान, गू (भ्वा० पर०.... गरति) छिड़कना, तर करना गीला
-गुहानिबद्धप्रतिशब्ददीर्घम्-रघु० २१२८, ५१, करना। धर्मस्य तत्त्वं निहितं गुहायाम्-महा० 2. छिपाना, गृज, गृज् (भ्वा० पर०... गर्जति, गृञ्जति) शब्द करना, ढकना 3. गढ़ा, बिल 4. हृदय । सम० - आहित दहाड़ना, गुर्राना आदि। (वि.) हृदय में रक्खा हुआ, चरम् ब्रह्म,-मुख गञ्जनः [ग +ल्युट] 1. गाजर 2. शलजम 3. गांजा (वि०) गुफा जैसे मुंह का, चौड़े मह का खुले मह (गांजे की पत्तियों को चबाना जिससे कि मादकता पैदा का,-शय: 1. चूहा 2. शेर 3. परमात्मा।
हो),....नम् विषैले तीर से मारे हुए पशु का मांस । गुहिनम् [गुह,+इनन्] वन, जंगल ।
गण्डि (डी) वः [?] गीदड़ों की एक जाति । गुहेरः [गुह,+एरक्] 1. अभिभावक, प्ररक्षक 2. लहार। गृध् (दिवा० पर० . गृध्यति, गृद्ध) ललचाना. इच्छा गुह्म (सं० कृ०) [गुह, +-क्यप्] 1. छिपाने के योग्य,
करना, लोभवश प्रयत्नशील होना, लालायित होना, गोपनीय, गुप्त रखने के योग्य, निजी-गुह्यं च गृहति
अभिलाषी होना। --भर्तृ० २०७२ 2. गुप्त, एकान्तवासी, विरक्त | गधु (वि.) [गध+कु] कामातुर, लम्पट,-धुः कामदेव । (सेवानिवृत्त) 3. रहस्यपूर्ण --भगः १८।६३, - ह्यः गृनु (वि.) [गध +-क्नु] 1. लोभी, लालची-अगृध्नराददे 1. पाखंड 2. कछुवा,-ह्यम् 1. भेद, रहस्य --मौनं । सोऽर्थम् - रघु० १२१ 2. उत्सुक, इच्छुक । चैवास्मि गुह्यानाम्-भग० १०॥३८, ९।२, मनु | गध्यम्,-ध्या [गृध् + क्यप्] इच्छा, लोभ । १२।११७ 2. गुप्त इन्द्रिय, पुरुष या स्त्री की जनने- | गध्र (वि.) [गध-क] 1. लोभी लालची-ध्रः,-ध्रम् न्द्रिय । सम---गुरुः शिव का विशेषण, दीपक: गिद्ध,-मार्जारस्य हि दोषेण हतो गद्धो जरगवः जुगन,निष्यन्दः मत्र,-भाषितम 1. गुप्तवार्ता -हि. ११५९, रघु० १२५०, ५९। सम-कटः
2. भेद, रहस्य की बात,-मयः कार्तिकेय का विशेषण। राजगह के निकट विद्यमान एक पहाड़,-पतिः,-राजः गुह्यकः [गुह्यं गोपनीयं कं सुखं येषाम् ...ब० स०] यक्ष जैसी गिद्धों का राजा, जटाय-अस्यैवासीन्महति शिखरे
एक अर्धदेवों की श्रेणी जो कुबेर के सेवक तथा उसके गधराजस्य वासः--उत्तर० श२५,-~-वाज, बाजित कोष के संरक्षक है-गाकस्तं ययाचे--मेघ० ५, (वि.) गिद्ध के परों से युक्त (बाण आदि)। मनु० १२।४७ ।
गृष्टिः (स्त्री०) [गृह्णाति सकृत् गर्भम् - -ग्रह +क्तिच्
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