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रेखा में प्रगति करना, फैलाना, विस्तार करना 2. रक्षा | तारणः [त+णिच् + ल्युट् ] नाव, खड़नई,--णम् 1. पार करना, सरंक्षण में रखना,--वि. फैलाना, रचना करना | उतारना 2. बचाना, छुड़ाना, मुक्त करना । ----भट्रि०१६।१०५ ।
तारणिः,–णी (स्त्री०) [त+णिच् +अनि, तारणि+ ङीष्] तार (वि०) [त---णिच् +अच्] 1. (स्वरादिक) ऊँचा घड़नई, बेड़ा।
2. (शब्दादिक) उत्ताल, कर्कश ---मा० ५।२० 3. चम- | तारतम्यम् तरतम-+ष्या] 1, क्रमांकन, अनुपात, सापेक्ष कीला, उज्ज्वल, स्पष्ट -हारांस्तारांस्तरलगुटिकाम् महत्व, तुलनात्मक मूल्य 2. अन्तर, भेद-निर्धनं (मल्लि. इसको मेघदूत का प्रक्षेपक मानते हैं), उरसि निधनमेतयोयोस्तारतम्यविधिमक्तचेतसां, बोधनाय निहितस्तारो हार:--अमरु २८ 4. अच्छा, श्रेष्ठ, सुरस, विधिना विनिर्मिता रेफ एव जयवैजयन्तिका-उद्भट । --र: 1. नदी का किनारा 2. मोती की चमक 3, सुन्दर तारलः [तरल+अण्] कामुक, लम्पट, विषयी । और बड़ा मोती-हारममलतरतारमुरसिदधतम्-गीत० तारा [तार+टाप्] 1. तारा या ग्रह-हंसश्रेणीषु तारासु ११ 4. उच्चस्वर,—र:-रम् 1. तारा या ग्रह
-रघु०४।१९, भर्तृ० १११५ 2. स्थिर तारा-रघु० 2. कपूर,-रम् । चाँदी 2. आँख की पुतली (पुं०
६।२२ 3. आँख की पुतली, आँख का डेला-कान्ताभी माना जाता है)। सम०--अभ्रः कपूर,-अरिः
मन्तः प्रमोदादभिसरति मदभ्रान्ततारश्चकोर:-मा० लोहभस्म,-पतनम् तार का गिराना या उल्कापतन,
९।३०, विस्मयस्मेरतारैः-१।२८, कू० ३।४७ 4. मोती -पुष्पः कुन्द या चमेली की बेल,-वायः सायँ सायँ
5. (क) वानरराज वाली की पत्नी, अंगद की माता, करती हुई या सनसनाती हुई हवा,--शुद्धिकरम्-सीसा,
इसने अपने पति को राम और सुग्रीव के साथ युद्ध -स्वर (वि०) ऊँचे स्वर का या उत्ताल ध्वनि का,
न करने के लिए बहुत समझाया। राम द्वारा वाली -हारः 1. सुन्दर मोतियों की माला 2. एक चम
के मारे जाने पर इसने सुग्रीव से विवाह कर लिया कीला हार।
(ख) देवगुरु बृहस्पति की पत्नी, एक बार चन्द्रमा तारक (वि.) (स्त्री० -रिका) [तृ+णिच्-+पवुल.] इसको उठा कर ले गया और याचना करने पर भी
1. आगे ले जाने वाला 2. रक्षा करने वाला, बचाकर वापिस नहीं किया। घोर युद्ध हुआ, अन्त में ब्रह्मा रखने वाला, बचाने वाला,-कः 1. चालक, खिवैया, ने सोम को इस बात के लिए विवश कर दिया कि कर्णधार 2. छुड़ाने वाला, बचाने वाला 3. एक तारा बृहस्पति को वापिस दे दी जाय । तारा से राक्षस जिसे कातिकेय ने मार गिराया था (यह वज्रांग बुध नामक एक पुत्र का जन्म हुआ। यह बुध ही और वरांगी का पुत्र था, पारियात्र पहाड़ पर तपस्या चन्द्रवंशी राजाओं का पूर्वज कहलाया (ग) राजा करके इसने ब्रह्मदेव को प्रसन्न किया और वरदान मांगा हरिश्चन्द्र की पत्नी तथा रोहितास की माता-इसीको कि मुझे संसार में, ७ दिन के बच्चे को छोड़ कर, और तारामती भी कहते हैं) । सम-अधिपः, आपीडः, कोई न मार सके। इस वरदान की बदौलत वह -पतिः चाँद-रघु० १३१७६, कु० ७१४८, भर्तृ० १७१, देवताओं को सताने लगा। दुःखी होकर देवता ब्रह्मा –पयः पर्यावरण, वातावरण,-प्रमाणम्-नक्षत्रमान के पास गये और इस राक्षस को मारने के लिए उनको नक्षत्रकाल,-भूषा रात, मण्डलम् 1. तारालोक, सहायता मांगी (दे० कु०२) ब्रह्मा ने उन देवताओं राशिचक्र 2. आँख की पुतली,—मृगः मृगशिरा नाम को उत्तर दिया कि केवल शिव का पूत्र ही उन्हें का नक्षत्र । परास्त कर सकता है, उसके पश्चात् कार्तिकेय का | तारिकम तार+ठन] किराया, भाड़ा। जन्म हुआ, और उसने अपने जन्म से सातवें दिन
तारुण्यम् [तरुण+ष्यञ] 1. युवावस्था, जवानी 2. ताजगी उस राक्षस का काम तमाम कर दिया)।-कः,
(आलं०)। -कम घड़नई, बेड़ा,-कम् 1. आँख को पुतलो
तारेयः [तारा+ढक्] 1. बुधग्रह 2. वालि के पुत्र अंगद का 2. आँख । सम०-अरिः-जित (पं०) कार्तिकेय
विशेषण। का विशेषण ।
ताकिकः [तर्क+ठक] 1. नैयायिक, ताकिक 2. दार्शनिक । तारका [तारक+टाप्] 1. तारा 2. उल्का, धूमकेतु 3. आँख | तायः [तक्ष+ अण्-तार्क्ष+ष्यञ] 1. गरुड़ का विशेषण को पुतली-संदधे दृशमुदग्रतारकाम्-रघु
--स्तेन ताात् किल कालियेन—रघु० ६।४९ ६९, चौर० ५, भर्त० १११।
2. गरुड़ का बड़ा भाई अरुण 3. गाड़ी 4. घोड़ा 5. साँप तारकिणी तारक इनि-डोष ] तारों भरी रात, वह 6. पक्षी। सम० --ध्वजः विष्णु का विशेषण,-नायकः रात जिसमें तारे खिले हुए हों।
गरुड़ का विशेषण। तारकित (वि.) तारक-+इतच] तारों वाला, सितारों | तार्तीय (वि.) तृतीय+अण्] तीसरा। भरा, ताराजटित ।
| तार्तीयोक (वि०) [तृतीय+ईकक] 1. तीसरा-तार्तीयो
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