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। ४३३ )
नूपुर (पसमा कराना चांदी तोलार की छत पर
तुरासाहू (पुं०) [तुर + सहू + णिच् + क्विप[ (कर्तृ विष्णु के उपासक पूजा करते हैं। सम-पत्रम्
ए. व.-तुराषाट्-ड्) इन्द्र, कु० २१, रघु० (शा०) तुलसी का पत्ता, (आलं.) बहुत तुच्छ १५।४० ।
उपहार,-विवाहः कार्तिक शुक्ला द्वादशी को, बालकृष्ण तुरी तुर+इन्+डीप्] 1. एक रेशेदार उपकरण जिससे को प्रतिमा के साथ तुलसी का विवाह ।
जलाहे बाने के धागों को साफ़ करके अलग अलग | तला तोल्यतेऽनया--तुल+अब+टाप] तराजू, तराजू करते हैं 2. नली, जुलाहे की नाल—तद्भटचातुरीतुरी | की डंडी। -०१२3. चित्रकार की कची।
तुलया 1. तराजू में रखना, तोलना 2. माप तोल 3. तोलना तुरीय (वि.) [चतुर्-+-छ, आद्यलोपः] चौथा,—यम् 4. मिलाना-झुलना, समानता, समकक्षता, समता
चौथाई, चौथा भाग, चौथा (वेदा० द० में) 2. आत्मा (संब०, करण या समास में प्रयोग)-कि धूर्जटेरिव की चतुर्थ अवस्था जिसमें वह ब्रह्म अर्थात् परमात्मा तुलामुपयाति सख्ये---वेणी० ३१८, तुला यदारोहति के साथ तदाकार हो जाती है। सम०---वर्ण: चौथे दन्तवाससा-कु० ५१५४, रघु० ८।१५, सद्यः परस्परवर्ण का मनुष्य, शूद्र।
तुलामधिरोहता द्वे-रधु० ५।६८, १९४८,५० 5. तुला तुरुष्कः [ब० ०] तुर्क लोग।
राशि, सातवीं राशि-जयति तुलामधिरूढो भास्वानपि तुर्य (वि०) चितुर+यत, आद्यलोपः] चौथा, नै० ४११२३, जलदपटलानि--पंच० १३३०6. घर की छत पर
-र्यम् 1. एक चौथाई, चौथा भाग 2. (वेदा० द० में) लगा ढाल शहतीर7. सोना चांदी तोलने का १०० पल आत्मा की चौथी अवस्था जिसमें आत्मा ब्रह्म के साथ बट्टा । सम०--कूटः कम तोलना,-कोटिः,-टी तदाकार हो जाती है।
नपुर (पैरों में पहनने का स्त्रियों का आभूषण)--लीला (भ्वा० पर०, चुरा० उभ-तोलति, तोलयति--ते, चलत्स्त्रीचरणारुणोत्पलस्खलत्तलाकोटिनिनादकोमल:(तुलयति-ते भी जिसे कुछ लोग 'तुला' की नामधातु शि० १२१४४,-कोशः-बः तोल द्वारा कठिन मानते हैं) 1. तोलना, मापना 2. मन में तोलना, परीक्षा,-दानम् शरीर के बराबर तोल कर सोने या विचार करना, सोचना 3. उठाना, ऊपर करना चाँदी का किसी ब्राह्मण के लिए दान,---घटः तराज का --कैलासे तुलिते--महावी० ५।३७, पौलस्त्यतुलितस्या- पलड़ा,-धर: 1. व्यापारी, व्यवसायी, सौदागर 2. राशिदेरादधान इव ह्रियम्-रघु० ४१८०, १२६८९, शि० चक्र में तुलाराशि,--धारः व्यापारी, व्यवसायी, सौदा१५।३० 4. सम्भालना, पकड़ना सहारा देना-पृथिवी- गर, परीक्षा तुला द्वारा तोलने की कठिन परीक्षा, तले तुलितभूभृदुच्यसे--शि० १५।३०, ६१ 5. तुलना -पुरुषः सोना, जवाहरात तथा अन्य मूल्यवान् वस्तुएँ जो करना, उपमा देना (करण के साथ)-मुखं श्लेष्मागारं एक मनुष्य के भार के बराबर हों (तथा दान में किसी तदपि च शशाङ्कन तुलितम् --भर्त० ३।२०, शि० ब्राह्मण के लिए दी जायँ) तु० तुलादान,-प्रग्रहः, ८।१२ 6. तुल्य होना, समकक्ष होना (कर्म के साथ) ---प्रग्राहः तराजु की डंडी या डोरी,--मानम्,---यष्टिः प्रासादास्त्वां तुलयितुमलं यत्र तैस्तविशेषः-मेघ०६४ | तराज की डंडी,-बीजम् घंधची, गुंजा,-सूत्रम् तराजू 7. हल्का करना, गहण, करना, तिरस्कार करना-. की डोरी। अन्तःसारं घन तुलयितुं नानिल: शक्ष्यति त्वाम--मेघ० | तुलित (भू० क. कृ०) [तुल+क्त ] 1. तोला हुआ, २०, (यहाँ 'तु' का अर्थ है 'सम्भालना या बहा ले प्रतितुलित 2: तुलना किया हुआ, उपमित, बराबर जाना') शि० १५।३० 8. सन्देह करना, अविश्वास किया हुआ--भर्तृ० ३।३६, दे० 'तुल' । पूर्वक परीक्षण करना--कः श्रद्धास्यति भूतार्थं सर्वो मां तल्य (वि.) तुलया संमितं यत्] 1. समान प्रकार या तुलयिष्यति-मच्छ० ३।२०, ५।४३ (यहाँ कुछ संस्करणों
श्रेणी का, संतुलित, समान, सदृश, अनुरूप (संबं० या में 'तूलयिष्यति' भी पाठ है) 9. जांच करना, परीक्षण
करण के साथ अथवा समास में) मनु० ४।८६, याज्ञ० करना, दुर्दशा करना --हा अवस्थे ! तुलयसि-मच्छ ०
२१७७, रघु० २।३५, १२६८०, १८१३८ 2. योग्य १, (तूलयसि),--उद्,-सम्भालना, सहारा देना,
3. समरूप, वही 4. समदर्शी। सम०-- दर्शन समदर्शी, थामे रहना।
सबको समष्टि से देखने वाला,--पानम् मिलकर तुलनम् तुल+ल्युट्] 1. तोलना 2. उठाना 3. तुलना करना मद्यपान करना, सहपान,-योगिता (अलं. शा. में)
उपमा देना आदि, ना 1. तुलना 2. तोलना 3. उठाना एक अलंकार, एक ही विशेषण रखने वाले कई पदार्थों उन्नयन 4. निर्धारण करना, आंकना, प्राक्कलन करना का एकत्र संयोग, पदार्थ चाहे प्रसंगानुकूल हो अथवा 5. परीक्षा करना।
असंबद्ध-नियतानां सकृद्धर्मः सा पुनस्तुल्ययोगिता तुलसी [तुलां सादृश्यं स्थति नाशयति--तुला सोक -काव्य० १०, तु. चन्द्रा० ५।४१, रूप (वि०)
+ही एक पवित्र पौधा जिसकी हिन्दू विशेषकर । अनुरूप, समरूप, समान, सदृश ।
हा अवस्य जांच करना, पकरणों /
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