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-शि० ४।४४ 2. उपाधि 3. दो आघों में से एक । (वि.) पाँच (धः) बुद्ध का विशेषण, अवताराः (०, जैसे दाल, आधा भाग 4. म्यान, कोष 5. छोटा अंकुर ब० ब०) विष्णु के दस अवतार, दे० 'अवतार' के या कोंपल, फूल की पंखड़ी, पत्ता-..-रघु० ४।४२, श० अन्तर्गत,-अश्वः चन्द्रमा,--आननः,-आस्य: रावण ३।२१, २२ 6. शस्त्र का फलक 7. पंज, राशि, ढेर के विशेषण-रघु० १०७५,-आमयः रुद्र का विशे8. सेना की टुकड़ी, सैनिकों की टोली । सम-आढकः षण, -- ईशः दस ग्रामों का अधीक्षक, एकादशिक 1. झाग 2. मसीक्षेपी मत्स्य का भीतरी कवच 3. खाई, (वि०) जो दस रुपये देकर ग्यारह लेता है, अर्थात परिखा 4. बवंडर, आँधी 5. गेरु, कोषः कुन्दलता, जो १० प्रतिशत पर उधार देता है, कण्ठः, कम्बरः
-निर्मोकः भोजपत्र का वृक्ष,-पुष्पा केवड़े का पौधा, रावण के विशेषण-सप्तलोककवीरस्य दशकण्ठकुल---सूचिः, --ची (स्त्री०) कांटा, --स्नसा पत्ते का रेशा द्विपः-उत्तर० ४।२७, अरिः, जित् (पुं०) रिपुः या नस ।
राम के विशेषण --रघु० ८।२९, गुण (वि.) दस बलनन् [ दलल्युट ] फट पड़ना, तोड़ना, काटना, बांटना, गुना, दस गुणा बड़ा,—ग्रामिन् (पुं०)-प: दस ग्रामों
कुचलना, पीसना, टुकड़े २ करना --मत्तेभकुम्भदलने को अधीक्षक, ----ग्रीवः =दशकण्ठः,-पारमितास्वरः 'दस भुवि सन्ति शरा:--भर्तृ० ११५९ ।
सिद्धियों का स्वामी' बुद्ध का विशेषण,-पुरः एक बलनी (स्त्री०) दलिः (०) [दलन+डी, दल+इन् ] प्राचीन नगर का नाम, राजा रन्तिदेव की राजधानी मिट्टी का ढेला, मिट्टी का लौंदा।
-मेघ०४७,-बल:,-भूमिगः बुद्ध के विशेषण,-मालिका: बलपः [दल+-कपन् ] 1. शस्त्र 2. सोना 3. शास्त्र ।
(ब० व०). 1. एक देश का नाम 2. इस देश के बलशः (अन्य०) [ दल+शस् ] टुकड़े-टुकड़े करके, खण्ड | निवासी या शासक,--मास्य (वि०) 1. दस महीने खण्ड करके।
का 2. गर्भ में दस मास (जन्म से पूर्व का बच्चा), दलित (भू० क० कृ०) [ दल-+क्त ] 1. टूटा हुआ, चीरा -मुखः रावण का विशेषण, रिपुः राम का विशेषण
हुआ, फाड़ा हुआ, फटा हुआ, टुकड़े २ हुआ 2. खुला ---रघु० १४१८७,-- रथः अयोध्या का एक प्रसिद्ध हुआ, फैलाया हुआ।
राजा, अज का पुत्र, राम और उनके तीन भाइयों का दल्भः [ दल+भ] 1. पहिया 2. जालसाजी, बेईमानी पिता, (दशरथ के तीन पत्नियां थीं, कौशल्या, सुमित्रा, 3. पाप।
और कैकेयी, परन्तु कई वर्षों तक उनके कोई सन्तान दवः [दु+अच् ] 1. वन, जंगल 2. जंगल की आग, दावा- न हई । वशिष्ठ ने दशरथ को पुत्रेष्टि यज्ञ करने के
ग्नि--बितर वारिद वारि दवातूरे - सुभा० 3. आग, लिए कहा, ऋष्यशृङ्ग की सहायता से वह यज्ञ संपन्न गर्मी 4. बुखार, पीड़ा। सम०---अग्निः ,-दहनः जंगल हुआ। इस यज्ञके पूरा होने पर कौशल्या से राम को आग, दावाग्नि ----यस्य न सविधे दयिता दवदहन- का, सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का तथा कैकेयी स्तुहिनदीधितिस्तस्य, यस्य च सविधे दयिता दवदहनस्तु- से भरत का जन्म हुआ। दशरथ को अपने सभी पुत्र हिनदीधितिस्तस्य-काव्य० ९, भामि० ११३६, मेघ बड़े प्यारे थे परन्तु राम तो उनका 'प्राण' था।
५३, शशाम वृष्टयापि विना दवाग्निः --रघु० २१४। इसके पश्चात जब कैकेयी ने मन्थरा के द्वारा उकसाये वक्युः [ दु+अथुच् ] 1. आग, गर्मी 2. पीडा, चिन्ता,
जाने पर अपने दो पूर्व प्रतिज्ञात वर मांगे तो दशरथ दुःख 3. आँख की सूजन ।।
ने उसके गहित प्रस्तावों से उसका मन हटाने के लिए दविष्ठ (वि०) [ दूर-- इष्ठन्, दवादेशः ] 1. अत्यंत दूर कैकेयी को धमकाया, जब वह न मानी तो खुशामद, __का, के, को।
अनुनय विनय के द्वारा उसे समझाने का प्रयत्न किया। दवीयस् (वि.) [दूर + ईयमुन्, दबादेशः ] 1. अपेक्षाकृत
परन्तु कैकेयी बराबर निर्दय बनी रही। फलत: दूर का 2. कहीं परे, कहीं दूर,-- विद्यावतां सकल मेव
बेचारे राजा को अपने पुत्र राम को निर्वासित करने गिरां दबीयः--भामि० ११६९ ।।
के लिए बाध्य होना पड़ा। और उसके पश्चात् दशक (वि.) [ दशन्+कन् ] दस से युक्त, दशगुना, ..
उन्होंने इसी दुःख में अपने प्राण त्याग दिय),- रश्मि----कामजो दशको गणः- मनु०७।४७,---कम् दश का
शतः सूर्य .... रघु०८।२९,---रात्रम् दस रातों (बीच के समाहार।
दिनों समेत) का समय (त्रः) दस दिन तक चलने वशत्, दशतिः (स्त्री०) [दशन् । अति | दस का समाहार,
वाला एक विशेष यज्ञ,--रूपभृत् (पुं०) विष्णु का दशक।
विशेषण,-वक्त्रः,--बदन: दे० 'दशमुख,-वाजिन दशन (सं० वि० ब०व०) [दंश् --कनिन् ] दस,-स
(पुं०) चन्द्रमा,-वाषिक (वि०) हर दश वर्ष के भूमि विश्वतो वृत्वाऽत्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम्-ऋग् १०।९०,
पश्चात् होने वाला या दश वर्ष तक टिकने वाला। १। सम-अबगुल (वि०) दस अडगुल लम्बा, अधं । विध ( वि० ) दस प्रकार का,--शतम् 1. एक हजार
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