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आस्तिक ऋषि के बीच में पड़ने से तक्षक के प्राण बचे और सर्पयज्ञ बन्द कर दिया गया। इस यज्ञ के कारण ही वैशम्पायन ने राजा को महाभारत की कथा सुनाई, राजा ने भी ब्रह्महत्या के पाप का प्रायश्चित्त करने के लिए उस कथा को ध्यानपूर्वक सुना ) । जनयत् (वि० ) ( स्त्री - श्री) [जन् + णिच् + तृच् ] पैदा करने वाला, जन्म देने वाला, सृष्टिकर्ता - ( पुं०) पिता । जनयित्री [ जनयितृ + ङीप् ] माता । जनस् (नपुं० ) [जन् + णिच् + असुन्] दे० जन ३ । जनि:, जनिका जनी (स्त्री० ) [ जन्+इन्, जनि + कन् + टापू, जनि + ङीष् ] 1. जन्म, सृजन, उत्पादन 2. स्त्री 3. माता 4. पत्नी 5. स्नुषा, पुत्रबधू । जनित ( वि० ) [जन् + णिच् + क्त ] 1. जिसे जन्म दिया गया है 2. पैदा किया हुआ, सृजन किया हुआ, उत्पन्न किया हुआ ।
जनितू (पुं० ) [जन् + णिच् + तृच् ] पिता । जनित्री [जनितू + ङीप् ] माता ।
जनु (नू ) ( स्त्री० ) [ जन्+उ, जनु + ऊङ् ] जन्म, उत्पत्ति । जनुस् (नपुं०) [ जन्+उसि.] 1. जन्म- - धिग्वारिधीनां
जनु: - भामि० ११६ 2. सृष्टि, उत्पादन 3 जीवन, अस्तित्व - जनुः सर्वश्लाघ्यं जयति ललितोत्तंस भवतः - भामि० २५५ । सम० – जनुषान्धः जन्म से अन्धा,
जन्मान्ध ।
जन्तुः [ जन् + तृन् ] 1. जानवर, जीवित प्राणी, मनुष्य
- श० ५/२, मनु० ३।७१ 2. आत्मा, व्यक्ति 3. निम्न जाति का जानवर। सम० कम्बुः 1. घोघे की सीपी 2. घोध, फलः गूलर का वृक्ष । जन्तुका [ जन्तु +कै++ टाप ] लाख । जन्तुमतो [ जन्तु + त् + ङीप् ] पृथ्वी । जन्मम् [ जन्+मन् ] उत्पत्ति । जन्मन् [ जन् + मनिन् ] 1. जन्म- तां जन्मने शलवधूं प्रपेदे – कु० १।२१ 2. मूल उद्गम, उत्पत्ति, सृष्टि -आकरे पद्मरागाणां जन्म काचमणेः कुतः - हि० प्र० ४४, कु० ५।६० (समास के अन्त में) से उत्पन्न या उदय - सरलस्कन्धसंघट्टजन्मा दवाग्निः - मेघ० ५३ 3. जीवन, अस्तित्व – पूर्वेष्वपि हि जन्मसु मनु० ९/१००, ५1३८, भग० ४/५ 4. जन्म-स्थान 5. उत्पत्ति । सम० अधिपः 1. शिव का विशेषण 2. ( ज्योतिष में ) जन्म लग्न का स्वामी - अन्तरम् दूसरा जन्म, अन्तरीय ( वि० ) दूसरे जन्म से सम्बद्ध या किसी दूसरे जन्म में किया हुआ, अन्ध (वि०) जन्म से ही अन्धा, अष्टमी भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी, श्रीकृष्ण का जन्म दिन, - - कील: विष्णु का विशेषण, - कुण्डली जन्म-पत्रिका में बनाया गया चक्र जिसमें जन्म के समय की ग्रहों की स्थिति दर्शायी गई हो,
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--कृत् (पुं०) पिता, क्षेत्रम् जन्म स्थान – तिथि: ( पुं०, स्त्री० ) - दिनम् - दिवस: जन्मदिन, यः (वि०) पिता, नक्षत्रम् भम् जन्म के समय का नक्षत्र, - नामन् ( नपुं०) जन्म से बारहवें दिन रक्खा गया नाम, पत्रम्, पत्रिका वह पत्र या पत्रिका जिसमें जन्म लेने वाले बालक के जन्म काल के नक्षत्र या ग्रह आदि बतलाये गये हों, प्रतिष्ठा 1. जन्म स्थान 2. माता श० ६ - भाज् (पुं०) जानवर, जीवित प्राणी - मोदन्तां जन्मभाजः सततं - मुच्छ० १०/६०, --- भाषा मातृभाषा — यत्र स्त्रीणामपि किमपरं जन्मभाषावदेव प्रत्यावासं विलसति वचः संस्कृतं प्राकृतं च - विक्रम ० १८०६, भूमिः (स्त्री०) जन्म स्थान, स्वदेश, – योग: जन्मपत्र, रोगिन (वि०) जन्म का रोगी, जिसे जन्मसे ही रोग लगा हो, लग्नम् वह लग्न जो जन्म के समय हो, वर्मन् (नपुं० ) योनि, शोधनम् जन्म से प्राप्त कर्तव्यों का परिपालन, साफल्यम् जीवन के उद्देश्यों की सिद्धि, स्थानम् 1. जन्मभूमि, स्वदेश, वह घर जहाँ जन्म लिया है 2. गर्भाशय । जन्मिन् (पुं० ) [ जन्मन् + इनि] जानवर, जीवधारी प्राणी । जन्य ( वि० ) [ जन् + ण्यत्, जन्+ णिच् + यत् वा ]
1. जन्म लेने वाला, पैदा होने वाला 2. जात, उत्पन्न, 3. ( समास के अन्त में) से उत्पन्न, जनित 4. किसी वंश या कुल से संबद्ध 5. गंवारू, सामान्य 6. राष्ट्रीय, 1. पिता 2. मित्र, दूल्हे का सम्बन्धी या सेवक 3. साधारण जन 4. जनश्रुति, किंवदन्ती, -म्यम् 1. जन्म, उत्पत्ति, सृष्टि 2. जात, सृष्ट, उत्पादित वस्तु, (विप० जनक ) - जन्यानां जनकः कालः- भाषा० ४५; जनकस्य स्वभावो हि जन्ये तिष्ठति निश्चितम् - - शब्द०, 3. शरीर 4. जन्म के समय होने वाला अपशकुन 5. बाजार, मण्डी, मेला 6. संग्राम, युद्ध-तत्र जन्यं रघोघोरं पार्वतीयैर्गणैरभूत् - रघु० ४।७७ 7 निन्दा, अपशब्द, क्या 1. माता की सहेली 2. बघू का सम्बन्धी वधू की सेविका - याहीति जन्यामवदत्कुमारी -- रघु० ६।३० 3. सुख, आनन्द 4. स्नेह । जन्युः [ जन् + युच् बा० न अनादेशः ] 1. जन्म 2. जानवर
जीवधारी, प्राणी 3. आग 4. सृष्टिकर्ता ब्रह्मा । जप (भ्वा० पर० - जपति, जपित या जप्त ) 1. मन्द स्वर में
उच्चारण करना, मन ही मन में बार कहना, गुनगुनाना --जपन्नपि तवैवालापमन्त्रावलिम् - गीत० ५, हरिरिति हरिरिति जपति सकामम् ४, नं० ११/२६ 2. मन्त्रों का गुनगुनाना, मन ही मन प्रार्थना करना - मनु० ११।१९४, २५१, २५९, उप, कान में कहना कानाफूसी करके अपने अनुकूल कर लेना, विद्रोह के लिए भड़काना या उकसाना — उपजप्यानुपजपेत् — मनु०
७।१९७ ।
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