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जीवित आधार
(वि०) (
जिन्दा, सज
2. सेवक 3. बौद्ध भिक्षु, भिक्षा के सहारे ही जीवित । जीवित (वि.) [जीव+क्त ] 1. जीता हुआ, विद्यमान,
रहने वाला भिखारी 4. सूदखोर 5. सपेरा 6. वृक्ष। सजीव-रघु० १२।७५ 2. पुनः जीवनप्राप्त 3. जीवन जीवत् (वि.) (स्त्री०-न्ती) [ जीव+शत ] जीवित. युक्त, अनुप्राणित 4. (काल) जिसमें रहा जा पका
सजीव । सम० --तोका वह स्त्री जिसके बच्च जिन्दा है।-तम 1. जीवन, अस्तित्व-त्वं जीवितं त्वमसि मे हो,-पति: (स्त्री०)-पत्नी (स्त्री०) वह स्त्री जिसका हृदयं द्वितीयम् - उत्तर० ३।२६, कन्येयं कुलजीवितम् पति जीबित है,-मुक्त (वि.) जीवन्मक्त, जिसने कु० ६।६३, मेघ० ८३, नाभिनन्देत मरणं नाभिनन्देत परमात्मा के सत्यज्ञान से पवित्र होकर भावी जीवन जीवितम्-मनु. ६४५, ७।१११ 2. जीवन की अवधि से मक्ति पा ली है, सांसारिक बंधनों से मुक्त,-मक्तिः 3. आजीविका 4. जीवधारी प्राणी । सम-अन्तक: (स्त्री०) इसी जीवन में परममोक्ष की प्राप्ति,-मत शिव का विशेषण,-आशा जीने की उम्मीद, जीवन से (वि०) जीता हुआ ही मतक, जो जीता हुआ ही मुर्दे प्रेम,-ईशः 1 प्रेमी, पति 2 यम का विशषण-जीविके समान बेकार है, (पागल आदमी या भ्रष्टचरित्र तेशवसतिं जगाम सा--रघु० १०२० (यहाँ शब्द व्यक्ति)।
प्रथम अर्थ में भी प्रयुक्त हुआ है) 3. सूर्य 4. चन्द्रमा, जीवथः [ जीव् + अथ ] 1. जीवन, अस्तित्व 2. कछुवा ---काल: जीवन की अवधि,माधमनी,-व्ययः प्राणों 3. मोर 4. वादल ।
का त्याग,-संशयः जीवन की जोखिम, प्राणसंकट, जोवन (वि.) (स्त्री०--नी) [ जीव+ ल्युट ] जीवनप्रद,
जीवन को खतरा-स आतूरो जीवितसंशये वर्तते जीवनदाता, प्राणप्रद,--न: 1. जीवित आधारी 2. वाय
-वह बुरी तरह से रुग्ण है, उसके प्राण संकट में 3. पुत्र,-नम् जिन्दा रहना, अस्तित्व (आलं.) त्व
हैं-भामि० २।२०। मसि मम भूषणं त्वमसि मम जीवनम्गीत० १०
जीविन (वि.) (स्त्री०--नी) [जीव-इनि] (सामान्यत: 2. जीवन का सिद्धांत, संजीवनीशक्ति--भग० ७।९ ।
समास के अन्त में) 1. जिन्दा, सजीव, विद्यमान--रषु० 3. जल बीजानां प्रभव नमोऽस्तु जीवनाय-कि०
११६३ 2. किसी के सहारे जिन्दा रहने बाला-शस्त्र १८१३९, या जीवन-जीवनं हन्ति प्राणान हन्ति समीरणः
जीविन, आयुधजीविन -(६०) जीवधारी प्राणी। -उद्भट 4. आजीविका, वत्ति, अस्तित्व के साधन
जीव्या [जीव् । यत्+टाप] आजीविका के साधन । (आलं० से भी) मनु० १११७६, हि० ३।३३ 5. पिछले जुगुप्सनम्, जुगुप्सा [गुप्+सन्+ल्युट, अ+टाप् वा] दिन के रक्खे दूध से बनाया गया मक्खन 6. मज्जा । 1. निन्दा, झिड़की 2. नापसन्दगी, अभिरुचि, घृणा, सम-अन्तः मृत्यु,---आघातम् विष,--आवासः बीभत्सा 3. (अलं० शा०) बीभत्स रस का स्थायीभाव 1. जल में रहना, वरुण का विशेषण, जल की अधिष्ठात्री परिभाषा इस प्रकार है :-दोषेक्षणादिभिर्गो जुगुप्सा देवता 2. शरीर,--उपाय: आजीविका,----ओषधम विषयोद्भबा-सा० द० २०७। 1. अमृत 2. संजीवनी औषध ।।
जुष् (तुदा० आ०-जुषते, जुष्ट) 1. प्रसन्न होना, संतुष्ट जीवनकम् [ जीवन+कन् ] आहार, भोजन ।
होना 2. अनुकूल होना, मङ्गलप्रद होना 3. पसन्द जीवनीयम् [जीव+अनीयर ] 1. जल, 2. ताजा दूध ।
करना, अत्यन्त चाहना, प्रसन्नता या खुशी मनाना, जीवन्तः / जीव-झन् ] 1. जीवन, अस्तित्व 2. दवाई,
सुखोपभोग करना---सत्त्वं जुषाणस्य भवाय देहिनाम् औषधि ।
-भाग 4. भक्त होना, अनुरक्त होना, अभ्यास जीवन्तिकः [ =जीवान्तकः, पृषो० ] बहेलिया, चिड़ीमार।
करना, भुगतना, भोगना--पौलस्त्योऽजुषत शुचं विपन्नजीवा [ जी+अ+टाप् ] 1 जल 2. पृथ्वी 3. धनुष की
बन्धुः---भट्टि० १७११२ 5. प्राय: जाना, दर्शन डोरी-महर्जीवाघोषेर्बधिरयति-महावी०६।३०4. चाप
करना, बसना----जुषन्ते पर्वतश्रेष्ठमपयः पर्वसन्धिष के दो सिरों को मिलाने वाली रेखा 5. जीवन के
महा० 6. प्रविष्ट होना, बिठाना, आश्रय लेना-रथं च साधन 6. धातु से बने आभूषणों की झंकार 7. एक
जुजुषे शुभम्-भट्टि० १४१९५ 7. चुनना। पौधा, वच।
ii (भ्वा० पर०---चुरा० उभ.--जोषति, जोषयति जीवातु (पु०, नपुं)[ जीवत्यनेन-जीव-आतु] 1. भोजन,
...ते) 1. तर्क करना, चिन्तन करना 2. जाँचपड़ताल आहार 2. प्राण, अस्तित्व 3. पुनर्जीवन, फिर जीवित
करना, परीक्षा करना 3. चोट पहुंचाना 4. संतुष्ट करना-रे हस्त दक्षिण मतस्य शिशोद्विजस्य जीवातवे विसृज शूद्रमुनौ कृपाणम्-उत्तर० २।१०, पुनर्जीवन | जुष् (वि०) [ जुष् + क्विप् ] (समास के अन्त में) पसन्द दाता औषधि।
करने वाला, उपभोग करने वाला, आनन्द लेने वाला जीविका जोव+अकन्, अत इत्वम् ] जीने का साधन, - भर्त० ३।१०३ 2. दर्शन करने वाला, निकट जाने रोजगार।
वाला, पहुँचने वाला, लेने वाला, धारण करने वाला
होना।
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