________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
( ३५५
गोणी [गुण् + + ङीय् ] 1. गूण, बोरा 2. 'द्रोण' के बरावर माप 3. चीथड़े, फटपुराने कपड़े । गोण्ड : [ गो: अण्ड इव] 1. मांसल नाभि 2. निम्न जाति का पुरुष, पहाड़ी, नर्मदा तथा कृष्णा नदी के मध्यवर्ती दि प्रदेश के पूर्वी भाग का निवासी । गोतमः [ गोभिः व्यस्तं तमो यस्य व० स० पृषो० ] अङ्ग'राकुल से संबन्ध रखने वाला एक ऋषि, शतानन्द का पिता तथा अहल्या का पति । गोतमी [ गोतम - डीपू | गोतम की पत्नी अहल्या । सभ० पुत्रः शतानन्द का विशेषण ।
गोधा [ गुध्येते, वेष्टयते दारतया गुब+घञ्ञ ! टाप् ] 1. धनुष के चिल्ले की चोट से बचने के लिए बाएँ हाथ में बांधी जाने वाली चमड़े की पट्टी 2 मंडियाल, भगरमच्छ 3. स्नायु, तांत ।
गोधिः (पुं० ) [ गौत्र धीयतेऽस्मिन् आधारे इन् ] 1. मस्तक 2. गंगा में रहने वाला घड़ियाल | गोधिका [ गुध्नाति गुब् + ल् + प्] एक प्रकार की छिपकली, गोह |
गोपः (स्त्री० - पी ) ( गुरु + अच्; घन वा | 1. रक्षक, रक्षा artamaanitयो जगुर्यशः- रघु० ४।२० 2. छिपाना, गुप्त रखना 3. दुर्वचन, गाली 4. हड़बड़ी, सोभ 5. प्रकाश, प्रभा, दीप्ति । गोदान [ गुप्+आय् + ल्युट् । प्ररक्षण, संरक्षण, बचाव । गोपायित ( वि० ) [गुप-आय् +क्त] प्ररक्षित बचाया हुआ ।
गोप्तृ ( स्त्री० स्त्री ) [ गुप् + तृच् 1. प्ररक्षक, संधारक, अभिभावक - तस्मिन्वनं गोप्तरि गाहमाने - रघु० २।१४, १९५५ मालवि० ५।२० भग० ११ ११ 2. छिपाने वाला, गुप्त रखने वाला - (पुं०) विष्णु का विशेषण | गोमत् (वि० ) ( गो + मनुप् ] 1. गौओं से संपन्न, तो एक नदी का नाम ।
गोमयः -- यम् [गो + मयट् ] गोवर, छत्रम् प्रियम् कुकुरमुत्ता, साँप की छतरी भी । गोभिन् (पुं०) गो+मिनि] 1. मवेशियों का स्वामी 2. गीदड़ 3. पूजा करने वाला 4. बुद्धदेव का सेवक गोरणम् गुर् स्फूर्ति, अध्यवसाय, धैर्य । गोदम् गुरु ददन्, नि० ] ( 'गोद' भी) गस्तिष्क, दियारा । गोल: [गुल 1. विण्ड, गोर 2. लि
लोक, अंतरिक्ष, 3. आकाश मंडल 4. Farrer जारज पुत्र तु० कुंड 5. एक राशि पर कई ग्रहों का समागम, -- ला ! काठ की गेंद ( इससे लड़के हैं) 2. गांव पानी भरने का घड़ा 3. कार मबिया, सैनसिल 4. मसी, स्वाही 5. सखी सहेली 46. gut bin 7. iRT HÅLL गोल्फ :
गुड् |
स्थल: ] 1. पिंड, भूगोल 2. बच्चों
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
)
के खेलने के लिए काठ की गेंद 3. पानी का मटका 4. विधवा का जारज पुत्र 5. पाँच या पाँच से अधिक ग्रहों का सम्मिलन 6. गुड़ की पिंडियां 7. खुशबूदार गोंद ।
गोष्ठ (स्वा० आ० --गोष्टते) एकत्र होना, इकट्ठे होना, ढेर लगना ।
गोष्ठः, ष्ठम् [गोष्ठ +अच्] (प्रायः 'गोष्ठम् ) 1. ब्रज, गोशाला, गो-घर 2 ग्वालों का स्थान, ष्ठः सभा या रामाज " व्रज का कुत्ता जो हरेक को भौंकता है, ( आलं०) वह आलसी पुरुष जो अपने पड़ोसियों की निंदा करता है, गोष्ठेपण्डितः 'व्रज में निपुण' शेखीखोरा, मिथ्या डींग हांकने वाला ।
गोष्ठि, ष्ठी (स्त्री० ) [ गोट् +इन्, गांठ + ङीप् |
1. सभा, सम्मेलन 2. जनसमुदाय, समाज 3. संलाप, बातचीत, प्रवचन- गोष्ठी सत्कविभिः समम् भर्तृ० ११२८ -- मा० १००२५ तेनैव सह सर्वदा गोष्ठीमनुभवति पंच० २ 4. समुदाय, जमाव 5. पारिवारिक संबंध, रिश्तेदार (विशेषतः वह जिससे संबंध बनाये रखने की आवश्यकता 6. एक प्रकार का एकांकी नाटक, पतिः सभा का प्रधान, सभापति । गोष्पदम् [गोः पदम्, प० त० - गो + पद + अच्, नि० सुट्
पत्वं च | 1. गाय का पैर 2. धरती पर बना गाय के पैर का चिह्न 3. पैर के चिह्न में समा जाने वाले जल को मात्रा, अर्थात् बहुत ही छोटा गड्ढा 4. आय के खुर-चिह्न में समाने के योग्य मात्रा 5. वह स्थान जहाँ गौओं का आना-जाना बहुतायत से हो । गोह्य (त्रि०) | गुह + ण्यत् । गोपनीय, छिपाने के योग्य । गौञ्जिकः [गुञ्जा + ठक् ] सुनार ।
गौडः (पुं) एक देश का नाम स्कंदपुराण इसकी स्थिति
इस प्रकार बतलाता है-बङ्गदेशं समारभ्य भुवनेशान्तगः शिवे, गौडदेश: समाख्यातः सर्वविद्याविशारदः । 2. ब्राह्मणों का एक भद, डा (व० ब ० ) गौड़ देश के निवासी, डी 1. गुड़ से बनाई हुई शराब - गौडी पेष्टीच माध्वी च विज्ञेया त्रिविधा सुरा - मनु० ११४९५ 2. एक रागिनी 3. (अलं० श० में) रीति, वृनि या काव्य रचना की एक शैली - सा० द० कार चार रीदियों का वर्णन करना है, काव्य में केवल तीन का ही उल्लेख है, वहाँ 'पा' का ही दूसरा नाम 'गोडी' है ओजः प्रकाशकैस्तैः ( वर्णः ) तु रुपा (अर्थात् गोडी) काव्य० ७, आज प्रकाशकबन्ध आडम्बरः पुनः समासबहुला गौडी - सा० द० ६२७ ।
गॉडिफ: 1 / ठक् ] देख, गन्ना । पण (वि०) (स्त्री० णी) [गुण द्वितीय कोटि का अनावश्यक 2.
For Private and Personal Use Only
अण् ] 1. मातहत, ( व्या० में) अप्रत्यक्ष