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से परे,--अधिष्ठानकम् वक्षस्थल का वह प्रदेश जहाँ । आसक्ति, संपद् (स्त्री०) गुणों की श्रेष्ठता या समृद्धि, पेटी बाँधी जाती है,..... अनुरागः दूसरों के सद्गुणों की बड़ा गुण, पूर्णता,-सागरः 1. गुणों का समुद्र, एक सराहना करना-कि० ११११,-अनुरोधः अच्छे गुणों बहुत गुणी पुरुष 2. ब्रह्मा का विशेषण । की अनुरूपता या उपयुक्तता,-अन्वित (वि०) अच्छे गुणक: [गुण+ण्वुल ] 1. हिसाब करने वाला, या हिसाब गुणों से युक्त, श्रेष्ठ, मूल्यवान, अच्छा, सर्वोत्तम,--अप- लगाने वाला 2. (गणित में) वह अंक जिससे गुणा वादः गुणों का तिरस्कार, गुणों का अपकर्षण, गुण- किया जाय। निन्दा, आकरः 'गुणों की खान' सर्वगुणसंपन्न,--आढघ गुणनम् [गुण + ल्युट ] 1. गुणा करना 2. संगणना 3. गुणों (वि०) गणों से समृद्ध,--आत्मन (वि०) गणी-आधारः का वर्णन करना, गुणों को बतलाना या गिनना-इह गुणों का पात्र, सद्गुणी, गुणवान् व्यक्ति, आश्रय
रसभणने कृतहरिगुणने मधुरिपुपदसेवके ----गीत. ७, (वि.) गुणी श्रेष्ठ,-उत्कर्षः गुण को श्रेष्ठता, उत्तम
-नी पुस्तकों की परीक्षा करना, अध्ययन करना, गुणों का स्वामित्व,-उत्कीर्तनम् गुणों का कीर्तन, विभिन्न पाठों के मूल्य को निर्धारण करने के लिए सुति, प्रशस्ति,--उत्कृष्ट (वि०) गुणों में श्रेष्ठ,--कर्मन् पाण्डुलिपियों का मिलान करना। (नपुं०) 1. अनावश्यक या गौण कार्य 2. (व्या० में) | गणनिका [गुण+यु-कन्, इत्वम् ] 1. अध्ययन, बारगौण या कार्य का व्यवधानसहित (अर्थात् अप्रत्यक्ष) बार पढ़ना, आवृत्ति--विशेषविदुषः शास्त्रं यत्तवोद्ग्राकर्म, उदा०-नेताश्वस्य सुघ्नं सुघ्नस्य वा, में स्रुघ्नं
ह्यते परः, हेतुः परिचयस्थर्य वक्तुर्गणनिकव सा-शि० गणकर्म है,-कार (वि०) अच्छे गुणों का उत्पादक, २।७५, (आमेडितम् -- मल्लि.) 2. नाच, नाचने का लाभदायक, हितकर (रः) 1. वह रसोइया जो अति- व्यवसाय या नृत्यकला 3. नाटक की प्रस्तावना "रिक्त विशिष्ट भोजन तैयार करता है 2. भीम का 4. माला, हार-दरिद्राणां चिन्तामणिगुणनिका, विशेषण,--गानम् गणों का गान करना, स्तुति, प्रशंसा, -आन० ३ 5. शून्य, अंकगणित में विशेष चिह्न जो
—ानु (वि०) 1. अच्छे गुणों का इच्छुक 2. अच्छे शून्यता को प्रकट करता है। गुणों वाला,-गृह्म (वि०) गुणों की सराहना करने गुणनीय (वि.) [गुण+अनीयर ] 1. वह राशि जिसे वाला, गुणों से संलग्न, गुणों का प्रशंसक-ननु वक्त- गुणा किया जाय 2. जिसको गिना जाय 3. जिसे उपविशषनि:स्पृहा गुणगृह्या वचने विपश्चित:-कि० २।५, देश दिया जाय,—यः अध्ययन, अभ्यास । पहीत,-ग्राहक, पाहिन् (वि.) दूसरों के) गुणों गुणवत् (वि०) [गुण+मतुप् ] गुणों से युक्त, गुणी, का प्रशंसक-रत्न. ११६, भामि० १९,ग्रामः गुणों श्रेष्ठ। का समूह-गुरुतरगुणग्रामाम्भोजस्फुटोज्ज्वलचन्द्रिका | गुणिका [गुण +इन्+कन् +टाप्] रसौली, गिल्टी, सूजन। –भर्त० ३।११६, गणयति गुणग्रामम्-गीत० २, | गणित (भ० क० कृ०) [गण+क्त] 1. गुणा किया हुआ भामि० १११०३,-श (वि०) गुणों की सराहना जानने
2. एक स्थान पर ढेर लगाया हुआ, संगृहीत 3. गिना वाला, प्रशंसक,-भगवति कमलालये भशमगुणज्ञासि -मुद्रा०२, गुणागुणज्ञेषु गुणा भवन्ति--हि० प्र०
| गुणिन् (वि०) [गुण+इनि] 1. गुणों से युक्त, गुणवाला, ४७,-त्रयम्, 'त्रितयम् प्रकृति के तीन घटक धर्म गुणी--गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गुणः-मनु० ८७३, अर्थात् सत्त्व, रजस् और तमस,-धर्मः कुछ गुणों याज्ञ० २२७८ 2. भला, शुभ-गुणिन्यहनि-दश० पर आधिपत्य करने में आनुषंगिक गुण या धर्म,-.निधि: ६१ 3. किसी के गुणों से परिचित 4. गुणों को धारण गुणों का भण्डार,---प्रकर्षः गुणों की श्रेष्ठता, बड़ा गुण, करने वाला (कर्म) 5. (अप्रधान) अंशों वाला, मुख्य --लक्षणम् आन्तरिक गुण का सांकेतिक चिह्न,-लय- (विप० गुण)-गुणगुणिनोरेव संबन्धः । निका,-- लयनी तंबू,--वचनम्,-वाचक: विशेषण, गुण गणीभूत (वि०) [अगुणी गुणीभूतः-गुण+वि+भू बतलाने वाला शब्द, संज्ञा शब्द जो विशेषण की भांति
+क्त] 1. मूल महत्त्वपूर्ण अर्थ से वञ्चित 2. गौण या प्रयुक्त हो जैसे 'श्वेतोऽश्व:' में 'श्वेत' शब्द,-विवेचना
अप्रधान बनाया हुआ 3. विशेषणों से आवेष्टित । दूसरों के गुणों की सराहना करने में विवेकबुद्धि,
सम०--व्यङ्ग्यम् (अलं० शा० में) काव्य के तीन -वृक्षः,-वृक्षक: एक मस्तूल या स्तंभ जिससे नौका
भेदों में से दूसरा-मध्यम-जिसमें अभिधेय अर्थ की या जहाज बांधा जाय,-वृत्तिः गौण या अप्रधान संबंध अपेक्षा व्यंजना द्वारा अभिव्यक्त अर्थ अधिक आकर्षक (विप० मुख्यवृत्ति),-वशेष्यम् गुण की प्रमुखता, नहीं होता है, सा०६० परिभाषा देता है:-अपरं तु
-शमः विशेषण, -संख्यानम् तीन अनिवार्य गुणों की गुणीभूतव्यङग्यं वाच्यादनुत्तमे व्यङग्ये, २६५, काव्य का संगणना, सांख्यदर्शन (योगदर्शन सहित), संग: यह भैद इसके आगे आठ भागों में विभक्त किया गया 1. गुणों का साहचर्य 2. सांसारिक विषयवासनाओं में । है-दे० सा.द. २६६, काव्य० ५।
हुआ।
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