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गायक: [ग+वुल गवैया, संगीतवेत्ता-न नटा न विटा ।। के द्वारा स्थायी रूप से रक्खी जाने वाली तीन यज्ञान गायका:--भर्त० ३।२७ ।
ग्नियों में से एक, यह अग्नि पिता से प्राप्त की जाती गायत्रः, त्रम् [गायत्री+अण्] गीत, सूक्त ।
है तथा सन्तान को सौंप दी जाती है, इसी से यश में गायत्री गायन्तं त्रायते-गायत्+त्रा+क+हीप] 1. २४ अग्न्याधान किया जाता है, तु. मनु० २।२३१ मात्राओं का एक वैदिक छंद--गायत्री छन्दसामहम् 2. वह स्थान जहाँ यह अग्नि रक्खी जाती है, स्यम् एक
-भग० १०॥३५ 2. संध्या (प्रातः और सायम् ) के परिवार का प्रशासन, गृहपति का पद और प्रतिष्ठा । समय प्रत्येक ब्राह्मण के द्वारा बोला जाने वाला गुरु-गाह मेध (वि.) (स्त्री०-धी) [गृहमेधस्येदम्-अण] गृहमंत्र; इसके जप से बहुत से पापों का प्रायश्चित पति के लिए योग्य या समुचित,-धः पाँच यज्ञ जिनका होता है, वह मंत्र यह है:--तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य अनुष्ठान गृहपति को नित्य करना होता है। धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्-ऋक्० ३।६२।१०, | गार्हस्थ्यम् [गृहस्थ+ष्यञ] 1. गृहस्थ पुरुष के जीवन की -त्रम गायत्री छंद में रचित तथा सस्वर उच्चरित अवस्था या क्रम, घरेलू काम काज, गृहस्थी 2. गृहपति सूक्त ।
के द्वारा नित्य अनुष्ठेय पंचयज्ञ । गापत्रिन् (वि.) (स्त्री०-णी) [गायत्र+इनि] वेद सूक्तों | गालनम् [गल+णि+ल्यट] 1. (तरल पदार्थ का) छन
का गायक, विशेष कर सामवेद के मंत्रों का गायन कर रिसना 2. प्रचंड ताप से गल जाना, गलना, __ करने वाला।
पिघलना। गायनः (स्त्री०-नी) [गै+ल्युट गवैया--तर्थव तत्पौरुष-गालव. [ गल+घञ, तं वाति--वा+क] 1. लोध्र
गायनीकृता:-०१११०३, भर्त० ३।२७, अने पा०, वृक्ष 2. एक प्रकार का आवनस 3. एक ऋषि, विश्वा--नम् 1. गाना, गीत 2. गायन विद्या से अपनी आजी- मित्र का शिष्य (हरिवंश पुराण में उसे विश्वामित्र विका चलाने वाला।
का पुत्र बतलाया गया है। गारुड (वि०) (स्त्री०-डी) [गरुडस्येदम्- अण्] 1. गरुड गालिः [गल-इन् ] अपशब्द, दुर्वचन, गाली--ददतु ददतु
की शक्ल का बना हुआ 2. गरुड से प्राप्त या गरुड गालीलिमन्तो भवन्तो वयमपि तदभावाद्गालिदानेसे संबंध रखने वाला,-ड:,-डम् 1. पन्ना-रघु० १३॥ ऽसमर्थाः ---भर्त० ३३१३३ । ५३ 2. साँपों के विष को उतारने का मंत्र-संग्रहीत- | गालित (वि०) [ गल+णिच+क्त ] 1. छाना हुआ गारुडेन-का० ५१ 3. गरुड द्वारा अधिष्ठित अस्त्र 2. (अर्क की भांति) खींचा हुआ 3. पिघलाया हुआ, 4. सोना।
ताप से लगाया हुआ। गारुडिकः गारुड+ठक] जादू मंत्र करने वाला, ऐन्द्र- | गालोड्यम [ गलोड्य+अण ] कमल का बीज ।
जालिक, जहरमोरा या विषनाशक ओषधियों का गावलगणिः [ गवलाण-इन 1 संजय का विशेषण, गवविक्रेता।
लगण का पुत्र। गारुत्मत (वि०) (स्त्री०-ती) गरुत्मान् अस्त्यस्य-अण्] गाह (भ्वा० आo---गाहते, गाढ या गाहित) डुबकी 1. गरुड की आकृति का बना हुआ 2. (अस्त्र की
लगाना, गोता लगाना, स्नान करना, (पानी जैसे भांति)-गरुडाधिष्ठित- रघु० १६१७७,-तम् पन्ना । पदार्थ में) डुबोना-गाहन्तां महिषा निपानसलिलं गार्दभ (वि०) (स्त्री०-भी) [गर्दभस्येदम् --- अण्] गधे शृङ्गमहुस्ताडितम् -श० २१६, गाहितासेऽथ पुण्यस्य से प्राप्त या गधे से संबद्ध, गर्दभसंबंधी।
गङ्गामूर्तिमिव द्रुताम्-भट्टि० २२।११, १४१६७ (आलं. गाद्धघम् [गर्द्ध+व्या ] लालच,-शि० ३।७३ ।।
भी); मनस्तु मे संशयमेव गाहते-कु० ५।४६, संशयों गाधं (वि.) (स्त्री०-धी) [गध्रस्यायम--अण] गिद्ध से में डुबा हुआ या संशयाल 2. गहराई में घुसना, बैठना,
उत्पन्न,--धं: 1. लालच (प्रायः 'गार्थ्य' का अर्थ) घमना-फिरना-कदाचित्काननं जगाहे-का० ५८, 2. बाण। सम- पक्षः,-वासस् (पुं०) गिद्ध के ऊन न सत्त्वेष्वधिको बबाधे तस्मिन्वनं गोप्तरि गाहपरों से युक्त बाण।
माने- रघु० २।१४, मेघ० ४८, हि० १।१७१, कि० गार्भ (वि.) (स्त्री-भी) , [गर्भ साधु-अण् ठक् वा] १३१२४ 3. आलोडित करना, क्षब्ध करना, हिचकोले गाभिक (स्त्री-की) (वि.)] 1. गर्भाशयसंबंधी, भ्रूणवि- देना, बिलोना 4. लीन होना (अधिक के साथ) षयक 2. गर्भावस्थासंबंधी-मन् ०२।२७ ।।
5. अपने आपको छिपाना 6. नष्ट करना,-अब-, गाभिणम्-ण्यम् गिभिणीनां समहः भिक्षा अण] गर्भवती ('अ' को प्रायः लुप्त करके) 1. डुबकी लगाना, स्नान स्त्रियों का समूह ।
करना, गोता लगाना-तमोपहन्त्री तमसां बगाह्य-रघु० गार्हपतम् गृहपतेरिदम्-- अण्] गहपति का पद व प्रतिष्ठा । १४१७६, स्वप्नेऽवगाहतेऽत्यर्थं जलम्-याज्ञ. १२२७२ गार्हपत्यः [गृहपतिना नित्यं संयुक्तः, संज्ञायां त्र्य] 1. गृहपति । 2. घुसना, पैठना, पूरी तरह व्याप्त होना-पूर्वापरौ
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