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गंध का संघना,जलम् सुवासित, सुगंधित जल,ज्ञा 6. कोयल। सम० -- नगरम,--पुरम् गंधों का नासिका, - तूर्यम बिगुल तथा दंदुभि आदि रणवाद्य नगर, आकाश में एक काल्पनिक नगर, संभवतः मरी---तैलम खुशबूदार तेल, सुगन्धित द्रव्यों से तैयार किया चिका आदि किसी नैसगिक घटना का परिणाम, गया तेल,-दारु (नपुं०) अगर को लकड़ो, द्रव्यम् - राजः चित्ररथ, गंधों का स्वामी, विद्या संगीत सुगन्धित द्रव्य,--धुलि: (स्त्री०) कस्तूरो, नकुलः कला, विवाहः मनु० ३।२७ में वर्णित आठ प्रकार के छ छुन्दर,-नालिका,- नाली नासिका,-निलया एक विवाहों में से एक, इस प्रकार का विवाह यवक और प्रकार की चमेली,-पः एक पितृवर्ग,---पलाशिका हल्दी, यवती की पारस्परिक रुचि और पूर्णतः प्रेम का परि--एलाशी आमा हल्दी की जाति, - पाषाण: गन्धक, णाम है, इसमें न किसी प्रकार की रीनिरस्म की --..पिशाचिका धने का धुआं, (अपनी गंध से पिशाचों आवश्यकता है और न किसी मगे संबंधियों की अनुको आकृष्ट करने के कारण तथा कालेरंग का होने के मति की, कालिदास के कथनानुसार यह है:-- कारण सम्भवतः इसका यह नाम पड़ा है),- पृष्पः कथमध्यबान्धवकृता स्नेहप्रवतिः - श० ४११६,.. वेदः 1. बेत का पीधा 2. केवड़े का पौधा, (पम्) खुशबूदार चार उपवेदों में से एक, जिसमें संगीत कला का फूल -पुष्पा नील का पौधा, -- पूतना भूतनी, प्रेतनी, विवेचन है,-हस्तः, हस्तक: एरंड का पौधा । --फली 1. प्रियगलता 2. चम्पककला,-बधुः आम का गन्धारः (ब०व० [गध । ऋ अण ] एक. देश और वृक्ष, ---- मातृ (स्त्री०) पृथ्वी... मादन: 1. भौरा'
उसके शासको का नाम । 2. गन्धक ( नः, - नम्) मेरु पहाड़ के पूर्व में स्थित
थत गन्धाली (स्त्री०) 1. भिड़ 2. सतत सुगंध । सम० गर्भः
माली | एक पहाड़ जिसमें चंदन के अनेक जंगल हैं..... मादनी होती। मदिरा, शराब,-मादिनी लाख, - मार्जारः गन्धविलाव,
लाव, , गन्धाल (बि०) गन्ध- आलब ] सुगंधित, सुवासित, .- मुखा, मूषिकः, ----मूषी (स्त्री०) छछुन्दर, मृगः खः 1. गन्धबिलाव 2. कस्तूरोमग, मैथन: साँड, मोदनः
प साडा मादनः गन्धिक (जि०) [गन्ध -..ठन । (केवल समास के अन्त में
र गन्धक, मोहिनी चम्पक को कली,-यक्तिः (स्त्री०)
प्रयोग) 1. गधवाल। जैसा कि 'उत्पलगन्धिक' 2. लेग सुगन्धद्रव्यों के तैयार करने की कला,--राजः एक प्रकार
मात्र रखने वाला--भ्रानगन्धिकः (नाममात्र का भाई), की चमेली (जम्) 1. एक प्रकार का गंधद्रव्य
-- कः 1. सुगंधों का विक्रेता 2. गंधक । 2. चंदन की लकड़ी,--लता प्रियंगलता, लोलपा मधु
गभस्ति (पुं०, स्त्री०) | गम्यते ज्ञायते गम्-- ड-गः मकवी,-वहः वाय-रात्रिन्दिवं गन्धवहः प्रयाति-श०
दिषयः तं विभस्ति, भस्। क्तिच् | प्रकाश की किरण, ५।४, दिग्दक्षिणा गन्धवहं मुखेन - कु० ३।२५,--बहा
सर्यकिरण या चन्द्र किरण,- स्तिः (प.) सूर्य (स्त्री०) नामिका,-वाहक: 1. वाय 2. कस्तूरीमग,---वाही
अग्नि की पत्नी स्वाहा का विशेषण । मम० -- करः नासिका,-विह्वल: गेहूँ,- वक्षः साल का पेड़, व्या
.... पाणिः, हस्तः सूर्य ।। कुलम् कंकोल का पेड़,---शुण्डिनी छछु दर, - शेखरः
गभस्तिमत् (पु.) ! गम्ति -- मतप । मयं --- धनव्यपायेन कस्तुरी,-सारः चन्दन, सोमम सफेद कुमदिनी,
गभस्तिमानिव रघु० ३१३७, (नपुं०) पाताल के -हारिका गंधकारिका, स्वामिनी के पीछे-पीछे सुगंध
सात प्रभागों में से एक । लेकर चलने वाली सेविका ।
गभीर (वि) [गच्छति जलमत्र; गम् -। ईरन्, नि० गन्धक: [ गन्ध+कन् । गंधक ।
मुगागमः ] = [ गम्भीर] 1. गहरा उत्तालास्त इमे गन्धनम् [गन्ध + ल्युट ] 1. अध्यवसाय, अविराम प्रयत्न
गभीरपयसः पुण्या: सरित्सङ्गमा:---उत्तर० ३०, 2. चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना, मार डालना ।
भामि०२११०५ 2. गहरी आवाज वाला (ढोल की 3. प्रकाशन 4. सचना, संसचन, सकेत ।
भांति) 3. घना, सटा हुआ, (जंगल की भाँति) दुर्गम गन्धवती [गध-मतप +डीप, मस्य वत्वम् ] 1. पृथ्वी,
4. अगाध, मेधावी 5. संगीन, संजीदा, महत्त्वपूर्ण, • 2. शराब 3. व्यास की माता सत्यवती 4. चमेलो का ।
उद्यत 6. गुप्त, रहस्यपूर्ण 7. गहन, दुर्बोध, दुर्गाए । एक भेद।
सम० आत्मन् परमात्मा, वेध (वि०) अत्यन्त गन्धर्वः | गन्ध --अब +अच स्वर्गीय गायक, अर्ध देवों का । भेदक या अन्त: प्रवेशी।
वर्ग जो देवताओं के गवैये तथा संगीतज्ञ माने जाते गौरिका [गभीर-कन्+टाप, इत्वम् ] गहरी आवाज है, कहते हैं कि वह कन्याओं के स्वर को मधुर बना वाला बड़ा ढोल। देते है-सोमं शौचं ददावासा गंधर्वश्च शभा गिरम् गभोलिकः ! ? छोटा गावदम किया। याज्ञ० ११७१ 2. गवैया 3. घोड़ा 4. कस्तूरोमग गम् (भ्वा० पर०-- गच्छलि, गत--प्रेर० गमति, सन्नन्त 5. मृत्यु के बाद तथा पुनर्जन्म से पूर्व की आत्मा . -जिगमिति, जिगांगते- आ०) जाना, चलना.
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